मुर्गी को स्वस्थ रखने के सिंद्धांत : Principle of Keeping Chicken Healthy
मुर्गी को स्वस्थ रखने के सिंद्धांत : Principle of Keeping Chicken Healthy, मुर्गीपालन एक सस्ता व्यवसाय है जिसमें लागत कम और लाभ अधिक होता है. घर में मुर्गी पालने पर उसके रख-रखाव एवं भोजन पर कोई अधिक व्यय नहीं करना पड़ता है क्योकि खरपतवार की पत्तियां, घर का बचा-खुचा भोजन, शक-भाजी के बेकार पत्ते और अनाज की छांटन, आटा चक्की के इर्द-गिर्द बिखरा अनाज, अनाज की फटकन जो प्रायः बेकार ही फेंक दिया जाता है, वे सभी मुर्गी पालन के काम आता है. परंतु अगर आप मुर्गीपालन पालन को उद्योग के रूप में कर रहे हैं तो मुर्गी पालन में सफलता पाने के लिये निम्नलिखित सिद्धन्तों का पालन करना होगा.

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मुर्गी पालन के सिद्धांत
- मुर्गी पालन के लिये सदैव टीका लगी हुई ही मुर्गी खरीदें सरकारी पोल्ट्री फार्मों से जब मुर्गियां दी जाती है तो ‘रानीखेत’ और ‘चेचक’ आदि बिमारियों के टीके लगाकर उसको सुरक्षित कर दिया जाता है.
- या अपने यहाँ पैदा किये हुए चूजों को जिनकी आयु 6-8 सप्ताह तक हो, ‘रानीखेत’ और चेचक के टीके लगवा लेना चाहिए.
- जैसे ही पता चले की कोई पक्षी बीमार है तो उसे तुरंत अलग कर देना चाहिए और मुर्गियों के घरों को साफ़ करके उसमें चुना छिड़क देना चाहिए एवं बीमार मुर्गी की चिकित्सा करानी चाहिए.
- मुर्गी के वंश ख़राब न हो इसके लिये मुर्गे और मुर्गियां एक ही नस्ल के रखने चाहिए.
- मुर्गियों को प्रति 30-40 दिन पर डीवर्मिंग की जानी चाहिए. प्रत्येक बार एक ही दवा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.
- अण्डों से बच्चे निकलवाने के लिये अक्टूबर से फ़रवरी माह का समय में निकलवाये जा सकते है.
- अंडे से बच्चे या चूजे सेनी (Incubators) द्वारा भी निकाले जा सकते हैं, यह एक सुविधाजनक यन्त्र है.
- एक नर के साथ 8-10 मुर्गियां रखी जा सकती है. यदि खाली अंडे मात्र ही लेने हो तो मुर्गे रखने की आवश्यकता नहीं. मुर्गियाँ बिना मुर्गे के अंडे दे देतीं हैं.
- रोगी निर्बल और अनुचित रंग के पक्षियों को यथा शीघ्र छांटकर निकाल देना चाहिए.
- फरवरी-मार्च (पतझड़) में पैदा हुए पक्षी अधिक अच्छे रहते हैं.
- मुर्गी को बिठाने वाले अंडे 7 दिन से अधिक पुराने नहीं होने चाहिए.
- अण्डों का चौड़ा सिर ऊपर को रखना चाहिए.
- बाहर से मंगाये अण्डों को कम से कम 12 घंटे तक नुकीले सिर को पानी की ओर रखने के बाद मुर्गी को बिठाना चाहिए.
- बिठाने (सेने) के लिये कड़कनाथ मुर्गी अंडे खरीदते या लेते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए वह रोगी न हो. बहुमूल्य अण्डों पर बिठाने से पहले, 24 घंटों तक कड़कनाथ मुर्गी के निचे मामूली अंडे रखकर यह परीक्षा कर लेनी चाहिए कि मुर्गी अच्छी तरह कूदक है जिससे कि बीच में वह अण्डों पर से उठ न जाये.
- मुर्गीशाला के दरवाजे पर चुना अथवा कीटाणुनाशक दवा से बोरा भिगोकर रखना चाहिए ताकि आने-जाने वाले व्यक्तियों के पैरों के माध्यम से बिमारियों के कीटाणु मुर्गीशाला में न पहुंचे.
- मुर्गी से अच्छा उत्पादन करने के लिये आवश्यक है कि उनको संतुलित आहार दिया जाये, जिसमें खनिज एवं विटामिन्स आवश्यक मात्रा में उपलब्ध हों.
- मुर्गीशाला में 20 सप्ताह तक 14 घंटे तथा बाद में 16 घंटे तक प्रकाश दिया जाना चाहिए. प्रति मुर्गी प्रकाश की आवश्यकता 40 वाट होती है. बिजली न रहने पर प्रकाश की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए अन्यथा मुर्गियाँ गिरने लगती हैं और उत्पादन घट जाता है.
- गर्मियों में दाना पानी से भिगोकर देना अच्छा होता है.
- अण्डों को नियत समय पर सुबह, दोपहर तथा शाम को एकत्रित करना चाहिए.
- मुर्गी शाला का निरिक्षण प्रातः तथा सायं काल को करना चाहिए तथा देखना चाहिए कि पानी और दाने के बर्तन साफ हैं तथा उसमें दाना पानी आवश्यकता अनुसार भरना चाहिए.
- मुर्गीशाला में मरी हुई मुर्गी को जला देना चाहिए अथवा गड्ढे में दबा देना चाहिए. ताकि बीमारी का फैलाव अन्य मुर्गियों में फैलने से रोका जा सके.
- स्वस्थ मुर्गियां चुस्त एवं दाना पानी के बर्तनों के चारो ओर घुमती है. जो मुर्गियां अलग अकेले पंख गिराये सुस्त बैठी हों, उनका निरिक्षण अलग से करके उसकी व्यवस्था करनी चाहिए.
- मुर्गियां 19-20 माह की आयु तक ही अच्छे अंडे देती हैं. अतः 19 माह के बाद इन्हें हटा देना चाहिए.
- मुर्गी का दाना एक ही प्रकार का होना चाहिए. यदि बदलना आवश्यक हो तो उसे पहले दाने के साथ 50-75% मिलाकर दें और तीसरे दिन नया आहार 100% देना चाहिए.
- मुर्गी शाला का तापमान 90 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर बढ़ते ही अंडा उत्पादन गिर जाता है तथा 100 डिग्री फारेनहाइट तक पहुचते ही मुर्गियां मरना प्रारंभ हो जाति हैं.
- अत्यधिक ताप से बचाने के लिये छत के ऊपर सफ़ेद रंग किया जाना चाहिए अथवा बोरो की नकली छत बनाई जा सकती है. छत पर पानी का छिडकाव करना चाहिए तथा छत पर छप्पर की अतिरिक्त व्यवस्था भी की जा सकती है.
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