भारत में पशुओं की पहली मोबाइल IVF लैब : India’s First Mobile IVF Lab for Animal
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भारत में पशुओं की पहली मोबाईल IVF लैब : India’s First Mobile IVF Lab for Animal, इस मोबाइल IVF लैब (IVF Mobile Unit) के जरिये उत्तम नस्ल की गायों के साथ ही अन्य नस्लों के पशुओं के रिप्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जाएगा. भारत को जानवरों के लिए पहली मोबाइल IVF लैब (IVF Mobile Unit) मिल गई है. देश में पशुओं के इन विट्रो फर्टिलाइजेशन IVF के लिए पहली चलित लैब का लोकार्पण गुजरात के अमरेली में संत मुरारी बापू और केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने किया. यह अपनी तरह की पहली इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) मोबाइल यूनिट है. इस मोबाइल लैब के जरिये उत्तम नस्ल की साहीवाल गायों के साथ ही अन्य नस्लों के पशुओं के रिप्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जाएगा. यह भारत की पहली आईवीएफ मोबाइल यूनिट है. इस यूनिट की मदद से अमरेली के पशुपालकों को आईवीएफ तकनीक उपलब्ध कराने का काम नए साल के पहले दिन 1 जनवरी से शुरू किया गया. रविवार को अमरेली में सारही तपोवन आश्रम के भूमिपूजन कार्यक्रम में इस मोबाइल आईवीएफ वैन का उद्घाटन किया गया. केंद्र सरकार और अमर डेयरी के संयुक्त उपक्रम में यह वैन संचालित की जाएगी. यह पशुओं के लिए देश की पहली आईवीएफ वैन है.

मोबाईल IVF लैब क्या है?
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की मदद से जानवरों का रिप्रोडक्शन किया जाता है. इससे गोजातीय पशुओं की स्वदेशी नस्लों में सुधार होता है, जिससे देश में दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है. जानवरों में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के साथ गर्भधारण स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) भी नस्ल सुधार कार्यक्रम को लेकर लगातार काम कर रहा है. केंद्रीय मंत्री रूपाला ने बताया कि यह भारत की पहली आईवीएफ मोबाइल इकाई है. इस इकाई की मदद से अमरेली के पशुपालकों को आईवीएफ तकनीक उपलब्ध कराने का काम शुरू हो गया है. बता दें, आईवीएफ उन्नत प्रजनन तकनीक है. यह प्रजनन में मदद करने और संतान उत्पत्ति की एक अत्याधुनिक प्रक्रिया है. अच्छी नस्ल के पशुओं के संवर्धन के लिए यह मोबाइल वैन कारगर साबित होगी. साहीवाल नस्ल की गायों व अच्छी नस्ल के दुधारू पशुओं की आबादी बढ़ाने में आईवीएफ वैन अहम भूमिका निभाएगी.
आसान शब्दों में बताया जाए तो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के जरिये एक लैब में मादा जानवर के अंडे और एक नर जानवर के स्पर्म को मिलाकर एग प्रोड्यूस किया जाता है. इससे अच्छी नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी. जानवरों के लिए यह एक एडवांस टेक्नोलॉजी है.
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पशुपालकों को होगा अधिक लाभ
पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि आज सारही तपोवन आश्रम के भूमिपूजन कार्यक्रम में भारत सरकार और अमर डेयरी में IVF की मोबाइल वैन लोकार्पित की गई. इस तकनीक की मदद से गायों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी. सर्वोत्तम दूध देने वाली गायों की नस्लों को बढ़ाया जा सकेगा. इससे किसानों और पशुपालकों को फायदा मिलेगा.
साहीवाल नस्ल की गाय की खूबियाँ
1 . साहीवाल नस्ल एक देशी नस्ल की गाय है. इसका सिर चौड़ा, सींग मोटे व शरीर मध्यम आकार का होता है.
2. साहीवाल गायों का रंग अधिकतर लाल और गहरा भूरा होता है. कुछ की त्वचा पर सफेद धब्बे भी रहते हैं.
3. यह प्रजनन के बाद करीब 9-10 माह दूध देती है.
4. यह गायें रोज 10 से 16 लीटर तक दूध देने में सफल होती हैं. अन्य देशी गायों की तुलना में इसकी दूध देने की क्षमता ज्यादा होती है.
साहीवाल गाय की दूध उत्पादन क्षमता
1 . साहीवाल नस्ल के गाय का औसतन दूध उत्पादन 2250 किलोग्राम या 2250 लीटर प्रति ब्यात है.
2. इस नस्ल के गाय के दूध में पर्याप्त मात्रा में वसा पाया जाता है.
3. साहीवाल गाय विदेशी नस्ल ( जैसे- जर्सी, एच.एफ.) के गायों की तुलना में कम दूध देती है, परंतु इस पर खर्च भी कम होता है.
4. साहीवाल नस्ल के गाय की खूबियाँ और दूध उत्पादन में अच्छी गुणवत्ता के कारण वैज्ञानिक और डॉक्टर इसे अच्छी दूध उत्पादक गाय मानते है.
5. धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होने से चिंतित वैज्ञानिक ब्रीडिंग के तहत देशी गायों में कृत्रिम गर्भाधान करके नस्ल सुधार के तहत देशी गायों को साहीवाल नस्ल में परिवर्तित करने में जोर दे रहें है.
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साहीवाल गाय की अन्य विशेषता
साहीवाल नस्ल की गायें गर्मी, परजीवी और किलनी प्रतिरोधी होती है. जिससे इसके पालन-पोषण में कम खर्च, आसानी से देखभाल तथा डेयरी पशुपालक को बहुत फायदेमंद होता है.
1 . उच्च दूध की पैदावार | 2. प्रजनन में सरलता |
3. रोग प्रतिरोधी | 4. सीधा और सरल स्वाभाव |
साहीवाल नस्ल की पशुओं में गर्मी सहने की क्षमता और उच्च गुणवत्ता के दूध उत्पादन के कारण एशिया, अफ्रीका और कई कैरेबियाई देशों में इसका निर्यात किया गया.
1. दूध उत्पादन – ग्रामीण स्थिति में 1350 कि.ग्रा. या लीटर. | 2. ग्रामीण और साधारण खान-पान में भी अच्छी दूध उत्पादन क्षमता. |
3. व्यवसायिक फार्म की स्थिति में – 2100 कि.ग्रा. या लीटर. | 4. प्रथम प्रजनन की उम्र – 32 से 36 महिना |
5. दो ब्यातों के बीच अधिकतम अंतर 15 महिना. | 6. मुख्यतः पंजाब, हरियाणा, उ.प्र., दिल्ली तथा म.प्र. में पाया जाता है. |
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