कृषि और पशुपालनकृत्रिम गर्भाधानडेयरी फ़ार्मिंगपशु कल्याणपशु चिकित्सा आयुर्वेदपशुधन की योजनायेंपशुधन संसारबकरीपालन

भारत में पशुओं की पहली मोबाइल IVF लैब : India’s First Mobile IVF Lab for Animal

पशुधन ख़बरें –

इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं का INAPH और Animall एप्प क्या है?

इन्हें भी पढ़ें :- गाय भैंस में फिमेल बछिया पैदा करने की सेक्स सॉर्टेड सीमेन टेक्नोलॉजी क्या है?

इन्हें भी पढ़ें :- दुधारू पशुओं को खली खिलाने के फायदे तथा सोयाबीन की खली से दूध उत्पादन कैसे बढ़ाएं?

इन्हें भी पढ़ें :- पशुशाला निर्माण के लिये स्थान का चयन ऐसे करें.

इन्हें भी पढ़ें :- नेपियर घास बाड़ी या बंजर जमीन पर कैसे उगायें?

इन्हें भी पढ़ें :- बरसीम चारे की खेती कैसे करें? बरसीम चारा खिलाकर पशुओं का उत्पादन कैसे बढ़ायें?

भारत में पशुओं की पहली मोबाईल IVF लैब : India’s First Mobile IVF Lab for Animal, इस मोबाइल IVF लैब (IVF Mobile Unit) के जरिये उत्तम नस्ल की गायों के साथ ही अन्य नस्लों के पशुओं के रिप्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जाएगा. भारत को जानवरों के लिए पहली मोबाइल IVF लैब (IVF Mobile Unit) मिल गई है. देश में पशुओं के इन विट्रो फर्टिलाइजेशन IVF के लिए पहली चलित लैब का लोकार्पण गुजरात के अमरेली में संत मुरारी बापू और केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने किया. यह अपनी तरह की पहली इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) मोबाइल यूनिट है. इस मोबाइल लैब के जरिये उत्तम नस्ल की साहीवाल गायों के साथ ही अन्य नस्लों के पशुओं के रिप्रोडक्शन को बढ़ावा दिया जाएगा. यह भारत की पहली आईवीएफ मोबाइल यूनिट है. इस यूनिट की मदद से अमरेली के पशुपालकों को आईवीएफ तकनीक उपलब्ध कराने का काम नए साल के पहले दिन 1 जनवरी से शुरू किया गया. रविवार को अमरेली में सारही तपोवन आश्रम के भूमिपूजन कार्यक्रम में इस मोबाइल आईवीएफ वैन का उद्घाटन किया गया. केंद्र सरकार और अमर डेयरी के संयुक्त उपक्रम में यह वैन संचालित की जाएगी. यह पशुओं के लिए देश की पहली आईवीएफ वैन है.

IVF First Mobile Unit Lab
IVF First Mobile Unit Lab

मोबाईल IVF लैब क्या है?

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की मदद से जानवरों का रिप्रोडक्शन किया जाता है. इससे गोजातीय पशुओं की स्वदेशी नस्लों में सुधार होता है, जिससे देश में दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है. जानवरों में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के साथ गर्भधारण स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) भी नस्ल सुधार कार्यक्रम को लेकर लगातार काम कर रहा है. केंद्रीय मंत्री रूपाला ने बताया कि यह भारत की पहली आईवीएफ मोबाइल इकाई है. इस इकाई की मदद से अमरेली के पशुपालकों को आईवीएफ तकनीक उपलब्ध कराने का काम शुरू हो गया है. बता दें, आईवीएफ उन्नत प्रजनन तकनीक है. यह प्रजनन में मदद करने और संतान उत्पत्ति की एक अत्याधुनिक प्रक्रिया है. अच्छी नस्ल के पशुओं के संवर्धन के लिए यह मोबाइल वैन कारगर साबित होगी. साहीवाल नस्ल की गायों व अच्छी नस्ल के दुधारू पशुओं की आबादी बढ़ाने में आईवीएफ वैन अहम भूमिका निभाएगी.

आसान शब्दों में बताया जाए तो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के जरिये एक लैब में मादा जानवर के अंडे और एक नर जानवर के स्पर्म को मिलाकर एग प्रोड्यूस किया जाता है. इससे अच्छी नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी. जानवरों के लिए यह एक एडवांस टेक्नोलॉजी है. 

इन्हें भी देखें :- दूध दोहन की वैज्ञानिक विधि क्या है? दूध की दोहन करते समय कौन सी सावधानी बरतें?

इन्हें भी पढ़े :- मिल्किंग मशीन क्या है? इससे स्वच्छ दूध कैसे निकाला जाता है.

इन्हें भी पढ़े :- पशुओं के आहार में पोषक तत्वों का पाचन कैसे होता है?

इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में अच्छे उत्पादन के लिये आहार में क्या-क्या खिलाएं?

पशुपालकों को होगा अधिक लाभ

पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि आज सारही तपोवन आश्रम के भूमिपूजन कार्यक्रम में भारत सरकार और अमर डेयरी में IVF की मोबाइल वैन लोकार्पित की गई. इस तकनीक की मदद से गायों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी. सर्वोत्तम दूध देने वाली गायों की नस्लों को बढ़ाया जा सकेगा. इससे किसानों और पशुपालकों को फायदा मिलेगा.

साहीवाल नस्ल की गाय की खूबियाँ

1 . साहीवाल नस्ल एक देशी नस्ल की गाय है. इसका सिर चौड़ा, सींग मोटे व शरीर मध्यम आकार का होता है.

2. साहीवाल गायों का रंग अधिकतर लाल और गहरा भूरा होता है. कुछ की त्वचा पर सफेद धब्बे भी रहते हैं. 

3. यह प्रजनन के बाद करीब 9-10 माह दूध देती है. 

4. यह गायें रोज 10 से 16 लीटर तक दूध देने में सफल होती हैं. अन्य देशी गायों की तुलना में इसकी दूध देने की क्षमता ज्यादा होती है. 

साहीवाल गाय की दूध उत्पादन क्षमता

1 . साहीवाल नस्ल के गाय का औसतन दूध उत्पादन 2250 किलोग्राम या 2250 लीटर प्रति ब्यात है.

2. इस नस्ल के गाय के दूध में पर्याप्त मात्रा में वसा पाया जाता है.

3. साहीवाल गाय विदेशी नस्ल ( जैसे- जर्सी, एच.एफ.) के गायों की तुलना में कम दूध देती है, परंतु इस पर खर्च भी कम होता है.

4. साहीवाल नस्ल के गाय की खूबियाँ और दूध उत्पादन में अच्छी गुणवत्ता के कारण वैज्ञानिक और डॉक्टर इसे अच्छी दूध उत्पादक गाय मानते है.

5. धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होने से चिंतित वैज्ञानिक ब्रीडिंग के तहत देशी गायों में कृत्रिम गर्भाधान करके नस्ल सुधार के तहत देशी गायों को साहीवाल नस्ल में परिवर्तित करने में जोर दे रहें है.

पशुधन के रोग –

इन्हें भी पढ़ें :- बकरीपालन और बकरियों में होने वाले मुख्य रोग.

इन्हें भी पढ़ें :- नवजात बछड़ों कोलायबैसीलोसिस रोग क्या है?

इन्हें भी पढ़ें :- मुर्गियों को रोंगों से कैसे करें बचाव?

इन्हें भी पढ़ें :- गाय, भैंस के जेर या आंवर फंसने पर कैसे करें उपचार?

इन्हें भी पढ़ें :- गाय और भैंसों में रिपीट ब्रीडिंग का उपचार.

इन्हें भी पढ़ें :- जुगाली करने वाले पशुओं के पेट में पाचन क्रिया

साहीवाल गाय की अन्य विशेषता

साहीवाल नस्ल की गायें गर्मी, परजीवी और किलनी प्रतिरोधी होती है. जिससे इसके पालन-पोषण में कम खर्च, आसानी से देखभाल तथा डेयरी पशुपालक को बहुत फायदेमंद होता है.

1 . उच्च दूध की पैदावार2. प्रजनन में सरलता
3. रोग प्रतिरोधी4. सीधा और सरल स्वाभाव

साहीवाल नस्ल की पशुओं में गर्मी सहने की क्षमता और उच्च गुणवत्ता के दूध उत्पादन के कारण एशिया, अफ्रीका और कई कैरेबियाई देशों में इसका निर्यात किया गया.

1. दूध उत्पादन – ग्रामीण स्थिति में 1350 कि.ग्रा. या लीटर.2. ग्रामीण और साधारण खान-पान में भी अच्छी दूध उत्पादन क्षमता.
3. व्यवसायिक फार्म की स्थिति में – 2100 कि.ग्रा. या लीटर.4. प्रथम प्रजनन की उम्र – 32 से 36 महिना
5. दो ब्यातों के बीच अधिकतम अंतर 15 महिना.6. मुख्यतः पंजाब, हरियाणा, उ.प्र., दिल्ली तथा म.प्र. में पाया जाता है.

इन्हें भी देखें :- खुरहा/खुरपका – मुंहपका रोग का ईलाज और लक्षण

इन्हें भी देखें :- लम्पी स्किन डिजीज बीमारी से पशु का कैसे करें बचाव?

प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

जाने :- लम्पी वायरस से ग्रसित पहला पशु छत्तीसगढ़ में कहाँ मिला?

किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.

पशुधन खबर

इन्हें भी पढ़ें :- दुधारू पशुओं में किटोसिस बीमारी और उसके लक्षण

इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में रासायनिक विधि से गर्भ परीक्षण कैसे करें?

इन्हें भी पढ़ें :- पशुशेड निर्माण करने की वैज्ञानिक विधि

इन्हें भी पढ़ें :- बटेर पालन बिजनेस कैसे शुरू करें? जापानी बटेर पालन से कैसे लाखों कमायें?

इन्हें भी पढ़ें :- कड़कनाथ मुर्गीपालन करके लाखों कैसे कमायें?

इन्हें भी पढ़ें :- मछलीपालन व्यवसाय की सम्पूर्ण जानकारी.

इन्हें भी पढ़ें :- ब्रुसेलोसिस रोग क्या है? पशुओं में गर्भपात की रोकथाम के उपाय