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पशुओं में पथरी बीमारी का उपचार : Treatment of Appendicitis of Animals

पशुओं में पथरी बीमारी का उपचार : Treatment of Appendicitis of Animals, यह रोग मुत्रतंत्र का ऐसा रोग है जिससे पीड़ित पशु पेशाब करने में दर्द महसूस करता है तथा पशु रुक-रुककर थोड़ा-थोड़ा पेशाब करता है. यह बीमारी अधिकतर जीवाणु संक्रमण के कारण होता है. सामान्य पशुओं में जीवाणु पेशाब के साथ बाहर निकल जाते हैं. यदि पेशाब के निकास में कोई भी कठिनाई हो तो पशु के मूत्राशय में मूत्र एकत्र हो जाता है. इस स्थिति में संक्रमण के प्रविष्ट हो जाने पर मुत्राशय शोध का विकास हो जाता है. इस समय में मुत्राशय पर आघात पहुँचने की भी संभावना बनी रहती है. इससे जीवाणु का प्रवेश मूत्र नाली द्वारा होता है.

How dose Appendicitis Occur in Animals
How dose Appendicitis Occur in Animals

पशुओं में पथरी के लक्षण

1 . पशु बार-बार कम मात्रा में पेशाब करता है.

2. पेशाब करने में उसे दर्द महसूस होता है, जिसके कारण पशु सिमट सा जाता है.

3. पशु उसी अवस्था में खड़ा रहता है जिस स्थिति में वह मूत्र विशर्जन किया था.

4. पशु इस स्थिति में खाना-पीना कम कर डेटा है.

5. इस स्थिति में पशु को हल्का बुखार भी होता है.

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उपचार और पशुओं की मृत्यु डरा में कमी

बीमारी से ग्रसित पशु को 7-14 दिन तक दिन में दो बार एंटीबायोटिक दवा देनी चाहिए. यह संक्रमण को रोकने तथा समाप्त करने में बहुत लाभकारी होगा. इस उपचार के साथ ही मूत्राशय की सुजन कम करने वाली दवाई का भी प्रयोग कराना चाहिए. पथरी रोग से पीड़ित पशु को अधिक से अधिक पानी पिलाना चाहिए, ताकि पशु का उचित मात्रा में मूत्र विशर्जन हो सके.

पशुओं में पथरी की बढ़ती बीमारी को देखते हुए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) ने इलाज की नई विधि के सफल परिणाम आना शुरू हो गए है. इस विधि में पशुओं के मूत्राशय में सीधे पाइप नली डालकर दवाइयों के माध्यम से पथरी को गलाया जा रहा है. यह विधि सफल होने के साथ काफी प्रचलित होने लगी है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे पथरी से ग्रसित मरने वाले पशुओं की संख्या में 60 से 70 फीसदी तक कमी आई है. इससे पशुपालकों को काफी राहत मिली है.
आईवीआरआई के शल्य चिकित्सा विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि गाय, भैंस, कुत्ता, बकरी की नर प्रजाति में पथरी की बीमारी काफी बढ़ रही है. चूंकि इन जानवरों के नर प्रजाति के अंगों की बनावट अलग होने के कारण उनकी मांसपेशियां संकरी होती है. ऑपरेशन के बाद इनकी मांसपेशियों की नली सिकुड़ जाने से उसमें पथरी फिर से होने की आशंका रहती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि मूत्र नली के बार-बार ब्लॉक होने से पशुओं का बार-बार बड़ा ऑपरेशन करना पड़ता है. अब तक एक बार ऑपरेशन असफल होने के बाद फिर से ऑपरेशन करने का अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था. कई बार मूत्राशय के फटने से पशु के पूरे शरीर में जहर फैल जाता है. ऐसे में ज्यादातर पशुओं की मौत भी हो जाती है. इसलिए नई विधि ढूंढी गई, जो काफी सफल हुई है.
शल्य चिकित्सा विभाग द्वारा बताया गया है कि हाल में आईवीआरआई ने पथरी से ग्रसित पशुओं की मूत्रनली का ऑपरेशन करने के बजाय सीधे पेट में नली डालकर वैकल्पिक मूत्र मार्ग तैयार किया जा रहा है. इसके बाद बीमारी से ग्रसित पशु की पथरी दवाइयों के माध्यम से गलाई जा रही है. यह विधि काफी सफल रही है. इससे पशु का बड़ा ऑपरेशन भी नहीं करना पड़ रहा है. इससे उन्हें आसानी से बचाया जा रहा है.

गाय-भैंस व बकरी में बढ़ रही पथरी की बीमारी आईवीआरआई के पशु चिकित्सा सेंटर पर गाय, भैंस के साथ बकरी, कुत्ता व अन्य जानवरों में पथरी की दिक्कत बढ़ रही है. शल्य चिकित्सा विभाग के विभाग का कहना है कि वर्ष 2004-05 में सालभर में पथरी रोग के ग्रसित पशुओं की संख्या औसतन 100 थी लेकिन अब यह बढ़कर करीब आठ गुना हो गई है. अब यह संख्या 800 व उससे ऊपर होती है. उन्होंने बताया कि अत्यधिक गर्मी और सर्दी में पानी की कमी से पथरी की बीमारी के केस ज्यादा बढ़ जाते हैं. हालांकि उन्होंने पशुओं की संख्या बढ़ने के पीछे यह भी तर्क किया कि अब लोग अपने पशुओं में पथरी की बीमारी को लेकर ज्यादा सतर्क हो गए हैं और उनका इलाज कराने पहुंच रहे हैं.

प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

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