कृषि और पशुपालनडेयरी फ़ार्मिंगपशुपालन से आर्थिक लाभपशुपोषण एवं प्रबंधनपालतू जानवरों की देखभालबकरीपालनभारत खबर

बकरियों के कोठे का रखरखाव करने का सही तरीका : The Right way to Maintain the Goat Shed

बकरियों के कोठे का रखरखाव करने का सही तरीका : The Right way to Maintain the Goat Shed , बकरीपालन करने के लिये, बकरियों से जुड़ी गतिविधि का जानना बहुत ही आवश्यक होता है. क्योंकि बकरियों के रख रखाव का सही तरीका आपको मुनाफा पहुंचा सकता है. अन्यथा बकरियों में अनचाही बीमारी, दस्त, बकरियों में आफरा, न्युमोनिया, सर्दी जुकाम आदि रोग के प्रभाव से बकरीपालन में आर्थिक क्षति हो सकती है. चूँकि बकरीपालन व्यवसाय को आसानी से किया जा सकता है, मगर उनकी देखभाल भी उतनी ही आवश्यक है. इसके लिए बकरी शेड की निगरानी के साथ-साथ समय पर टीकाकरण तथा किसी बीमारी के संक्रमण की सम्भावना या लक्षण को पहचानना बहुत जरुरी होता है.

The Right way to Maintain the Goat Shed
The Right way to Maintain the Goat Shed

महत्वपूर्ण लिंक :- बरसात के मौसम पशुओं का देखभाल कैसे करें?

महत्वपूर्ण लिंक :- मवेशियों में गांठदार त्वचा रोग का कहर.

महत्वपूर्ण लिंक :- लम्पी बीमारी का विस्तारपूर्वक वर्णन.

महत्वपूर्ण लिंक :- राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना क्या है?

बकरियों के बाड़े या कोठे की व्यवस्था

  • बकरियों के बाड़े, उनका घर आरामदायक होना चाहिए, जो उन्हें धूप(गर्मी), बरसात, ठंडी, जंगली जानवर व रोगों से बचाये.
  • बकरियों के रहने के लिये पर्याप्त स्थान होना चाहिए. कम से कम एक युवा बकरी के लिये 10 वर्ग फीट स्थान रहना चाहिए.
  • सर्दियों में बिछावन के लिये सुखी घांस व बोरे के परदे लगाकर बचाव करना चाहिए.
  • बाड़े का फर्श समतल, साफ़-सुथरा होना चाहिए.
  • छत, घास-फूस, पैरा, एस्बेस्टस या खपरैल की हो तो अति उत्तम होगा.
  • बाड़े में शुद्ध हवा का आगमन अच्छा से होना चाहिए, ताकि पेशाब, गोबर की बदबू न रहे और जिससे श्वास का रोग न हो.
  • घर पूर्व, पश्चिम दिशा में होना चाहिए, ताकि सूरज की रोशनी घर पर पड़कर घर पर पनपे, कीटाणुओं का नाश कर सके.
  • नर-मादा (गाभिन व दुधारू) मेमने एवं बीमार बकरियों का अलग-अलग रखने हेतु छोटे-छोटे बाड़े तैयार करना चाहिए.
  • नियमित समय पर बाड़े की साफ-सफाई फिनाइल से धुलाई करते रहना चाहिए.

बकरियों के कोठे के अन्दर लगने वाली सामग्रियां

खाने के लिये बर्तन – बकरियों के खाने का बर्तन को ऊपर रखना चाहिए, क्योंकि बकरियां ऊपर पैर रखकर गर्दन ऊँची करके खाना पसंद करती है. खाने की कमी न हो, इस प्रकार बर्तनों व खाद्यानों की योजना बनानी चाहिए.

पानी के बर्तन – अस्वच्छ पानी से बकरियों में संक्रामक रोग हो सकते हैं. अतः पानी में कीटाणु नाशक दवा का प्रयोग करना चाहिए. पानी के बर्तन, खाने के बर्तन को रोज साफ करना चाहिए.

हर तीन महीने में ध्यान रखने योग्य बातें –

  • फिनाइल या इसके जैसा कीटाणु नाशक छिड़ककर बकरियों एवं उनके बच्चों के कोठे को कीटाणु रहित करना चाहिए.
  • कोठे के जमींन पर चुना छिडकना चाहिए एवं दीवार पर चुने की पुताई करनी चाहिए.
  • अन्तः एवं बाह्य परजीवियों का नाश करने के लिये समय-समय पर बकरियों को दवाई देनी चाहिए.
  • बकरियों के कोठे की मिट्टी साल में एक बार निकालना व बदलना चाहिए. ऐसा करने से परजीवियों के कारण होने वाले रोगों से बचाव हो सकता है.

बकरियों के भोजन सम्बन्धी नियम

  • यदि बकरियों को चारागाह में चरने के लिये नहीं भेजा जाता है तो उन्हें दिन में 3 बार आहार देना चाहिए.
  • एक औसत बकरी को दिन भर में 3.5 – 5 किलोग्राम चारा मिलना चाहिए. इस चारे में कम से कम 1 किलो सुखा चारा (अरहर, चना या मटर की सुखी पत्तियां या अन्य कोई दलहनी घास ) अवश्य देना चाहिए.

रातब की मात्रा –

  • एक वयस्क बकरी को 50 किलो भार के पीछे 250 ग्राम राशन देना चाहिए.
  • दुधारू बकरी को प्रति 2.5 लीटर दूध उत्पादन पर 500 ग्राम राशन देना चाहिए.
  • 9 माह की आयु के बच्चों को 125-175 ग्राम राशन प्रति दिन देना चाहिए.
  • प्रसव के पहले (2 माह पूर्व) गर्भकाल का राशन 2.50 ग्राम प्रतिदिन देना चाहिए.
  • बकरी को साधारण दिनों में राशन 350 ग्राम और प्रजनन काल में 500 ग्राम राशन प्रतिदिन देना चाहिए.

बकरियों के लिये उपयुक्त राशन ऐसे बनायें

रातब नं 1 – गेहूं का चोकर – 1 भाग

मक्का – 2 भाग

अलसी की खली – 1 भाग

रातब नं 2 – जौ – 1 भाग

मक्का – 2 भाग

चने की भुंसी – 2 भाग

सरसों की खली – 2 भाग

रातब नं 3 – गेहूं का चोकर – 1 भाग

जौ – 2 भाग

मूंगफली की खली – 1 भाग

विधि –

  • उपरोक्त सभी अनाज को भलीभांति कूट कर उसमें खली का बारीक़ चुरा मिला दें. प्रत्येक रातब में 2% नमक +2% हड्डी का चुरा मिलाकर देना चाहिए.
  • उपर्युक्त रात्बों में से किसी एक रातब को लेवें.
  • इस मिश्रण के लिये खनिज लवण निम्न प्रकार से तैयार करें, विशेष कर दुधारी बकरियों के लिये –

वस्तु का नाममात्रा
खड़िया30 ग्राम
नमक23 ग्राम
हड्डी का चुरा40 ग्राम
गंधक5 ग्राम
आयरन आक्साइड2 ग्राम

इन्हें भी पढ़ें : प्रतिदिन पशुओं को आहार देने का मूल नियम क्या है?

इन्हें भी पढ़ें : एशिया और भारत का सबसे बड़ा पशुमेला कहाँ लगता है?

इन्हें भी पढ़ें : छ.ग. का सबसे बड़ा और पुराना पशु बाजार कौन सा है?

इन्हें भी पढ़ें : संदेशवाहक पक्षी कबूतर की मजेदार तथ्य के बारे में जानें.

प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

Most Used Key :- गाय के गोबर से ‘टाइल्स’ बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें?

पशुओ के पोषण आहार में खनिज लवण का महत्व क्या है?

किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.

-: My Social Groups :-

पशुधन खबरपशुधन रोग
इन्हें भी पढ़ें :- गाय, भैंस की उम्र जानने का आसान तरीका क्या है?
इन्हें भी पढ़ें :- बटेर पालन बिजनेस कैसे शुरू करें? जापानी बटेर पालन से कैसे लाखों कमायें?
इन्हें भी पढ़ें :- कड़कनाथ मुर्गीपालन करके लाखों कैसे कमायें?
इन्हें भी पढ़ें :- मछलीपालन व्यवसाय की सम्पूर्ण जानकारी.
इन्हें भी पढ़ें :- गोधन न्याय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इन्हें भी पढ़ें :- नेपियर घास बाड़ी या बंजर जमीन पर कैसे उगायें?
इन्हें भी पढ़ें :- बरसीम चारे की खेती कैसे करें? बरसीम चारा खिलाकर पशुओं का उत्पादन कैसे बढ़ायें?
इन्हें भी देखें :- दूध दोहन की वैज्ञानिक विधि क्या है? दूध की दोहन करते समय कौन सी सावधानी बरतें?
इन्हें भी पढ़े :- मिल्किंग मशीन क्या है? इससे स्वच्छ दूध कैसे निकाला जाता है.
इन्हें भी पढ़े :- पशुओं के आहार में पोषक तत्वों का पाचन कैसे होता है?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में अच्छे उत्पादन के लिये आहार में क्या-क्या खिलाएं?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में रासायनिक विधि से गर्भ परीक्षण कैसे करें?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुशेड निर्माण करने की वैज्ञानिक विधि
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में पतले दस्त का घरेलु उपचार.
इन्हें भी पढ़ें :- दुधारू पशुओं में किटोसिस बीमारी और उसके लक्षण
इन्हें भी पढ़ें :- बकरीपालन और बकरियों में होने वाले मुख्य रोग.
इन्हें भी पढ़ें :- नवजात बछड़ों कोलायबैसीलोसिस रोग क्या है?
इन्हें भी पढ़ें :- मुर्गियों को रोंगों से कैसे करें बचाव?
इन्हें भी पढ़ें :- गाय, भैंस के जेर या आंवर फंसने पर कैसे करें उपचार?
इन्हें भी पढ़ें :- गाय और भैंसों में रिपीट ब्रीडिंग का उपचार.
इन्हें भी पढ़ें :- जुगाली करने वाले पशुओं के पेट में होंनें वाली बीमारी.
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में फ़ूड प्वायजन या विषाक्तता का उपचार कैसे करें?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में गर्भाशय शोथ या बीमारी के कारण.
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं को आरोग्य रखने के नियम.