पशु कल्याणडेयरी फ़ार्मिंगपशुपालन से आर्थिक लाभपशुपोषण एवं प्रबंधन

ठंड में पशुओं को क्या क्या नहीं खिलाएं । Thand Me Pashuon Ko Kya Kya Nahi Khilayen

ठंड में पशुओं को क्या क्या नहीं खिलाएं । Thand Me Pashuon Ko Kya Kya Nahi Khilayen, ठंड के मौसम में चिकना हरा घास खाने और घर में बच जाने वाला बासी खाना को अत्यधिक खिला देने से पशुओं को ‘अफारा’ रोग हो जाता है।

Thand Me Pashuon Ko Kya Kya Nahi Khilayen
Thand Me Pashuon Ko Kya Kya Nahi Khilayen

सर्दी का मौसम इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि जानवरों के लिए भी बेहद सावधानी बरतने वाला मौसम होता है। पशुपालक द्वारा की गई छोटी से छोटी लापरवाही भी पशु के लिए खतरनाक शाबित हो सकता है।

ठण्ड के दिनों में हरा चारा या बासी खाना खाने से पशु अफारा रोग का शिकार भी हो सकता है और पशुओं के लिए जानलेवा भी हो सकता है। कई बार पशुओं को कच्चा आंटा खिला देना भी अफारा रोग कारण बन जाता है।

कड़कनाथ मुर्गी पालन के फ़ायदे

पशुओं को कैसे होता है अफारा रोग?

पशुधन एक्सपर्ट के मुताबिक सर्दी के मौसम में हरा एकदम चिकना घास खाने और घर में बच जाने वाला बासी खाना को अत्यधिक मात्रा में पशुओं को खिला देने या खा लेने से पशुओं को अफारा रोग हो जाता है। कई बार आंटा खा लेने से भी पशुओं को अफारा रोग हो जाता है।

शादी, बर्थ डे, और अन्य किसी भी कार्यक्रम में बचा हुआ खाना को लोग पशुओं को खिलाते हैं या किसी जगह में फेंक देते जिसे आवारा पशु खा लेते है। चूँकि यह वेस्ट और तैलीय मटेरियल होता है जो कि पशु स्वास्थ्य के लिए कतिपय सही नहीं होता है। जिसे खाने पर पशु को अफारा होने के चांस या खतरा बढ़ जाता है।

अफारा रोग के क्या है लक्षण?

  • डॉक्टर के मुताबिक रोग का मुख्य लक्षण है पशु का पेट फूल जाना।
  • इसमें पशु के बाएं साइड का पेट वाला भाग धीरे-धीरे फूलना शुरू होता है।
  • जो कि कुछ देर के बाद देखने पर ज्यादा फुला हुआ दिखाई देने लगता है।
  • साथ ही इस कारण पशु बेचैनी का शिकार होने लगता है और पेट में दर्द महसूस करता है।
  • असहनीय दर्द के कारण पशु पैर से अपने ही पेट में लात मरने लगता है।
  • पेट में गैस का अधिक दबाव होने के कारण पशु अपनी जीभ निकालने लगता है।
  • उपर्युक्त लक्षणों को देखकर पशुपालक अपने पशुओं में आफरा रोग के लक्षण का पता लगा सकते हैं।

बेरोजगार युवाओं के लिए डेयरी फार्मिंग-सुनहरा अवसर

पशुधन एक्सपर्ट डॉक्टर के मुताबिक यदि किसी पशुपालक के पशु को अफारा रोग हो जाता है और समय रहते ध्यान नहीं दिया जाता है तो उसकी मृत्यु तुरंत भी हो सकती है। इससे पेट इतना फूल जाता है कि वह हार्ट पर प्रेसर बनाने लगता है।

जब हार्ट पर प्रेसर बनता है तो ब्लड फ्लो बंद हो जाता है। गैस भी ज्यादा बनने लगता है जिस कारण हार्ट में अत्यधिक दबाव के वजह से पशु कि मौत भी हो जाती है।

इस बीमारी कि शुरुवाती लक्षण का पता लगते ही किसी पेशेवर चिकित्सक या पशु चिकित्सक से संपर्क कर लेना चाहिए। सही समय पर पशु कि त्वरित उपचार हो जाने पर पशु की मृत्यु होने से बचाया जा सकता है। अन्यथा यह रोग पशु के लिए खतरनाक शाबित हो सकता है।

इन्हें भी पढ़ें : किलनी, जूं और चिचड़ीयों को मारने की घरेलु दवाई

इन्हें भी पढ़ें : पशुओं के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ

इन्हें भी पढ़ें : गाय भैंस में दूध बढ़ाने के घरेलु तरीके

इन्हें भी पढ़ें : ठंड के दिनों में पशुओं को खुरहा रोग से कैसे बचायें

प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार/रोकथाम के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें.

ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

Most Used Key :- पशुओं की सामान्य बीमारियाँ और घरेलु उपचार

किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे नीचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है.

ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.

-: My Social Groups :-