पशुओं के लिए यह घास वरदान से क्यों कम नही : Pashuon Ke Liye Yah Ghaas Vardan Se Kyon Kam Nahi
पशुओं के लिए यह घास वरदान से क्यों कम नही : Pashuon Ke Liye Yah Ghaas Vardan Se Kyon Kam Nahi, पशुपालकों के लिए अद्भुत है यह पानी में तैरता हुआ घास, इसे पशुओं को खिलाने से दूध उत्पादन में चमत्कारिक बढ़ोतरी होती है और पशु का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।

आपको बता दें आज आपको अपने दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन में चमत्कारिक बढ़ोतरी का ऐसा फार्मूला बताने जा रहे है जिसे खिलाने पर आपके के दूध में एकाएक बढ़ोतरी होगी।
बात कर रहें है पशुपाकों के लिए अंजोला घास की जो कि पशुपालकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसको खिलाने से पशुओं में दूध देने कि क्षमता बढ़ जाती है। अंजोला में मौजूद फाइबर कंटेंट पशुओं के लीहाज़ के से बहुत सही माना जाता है। पशुपालक इसकी खेती छायादार जगह पर छोटे से गड्ढे में भी कर सकते हैं।
हमारे देश में खेती के साथ-साथ पशुपालन किसानों की आय का मुख्य साधन शुरुवात से ही माना जाता रहा है। हालाकि समय के साथ बढ़ती महंगाई ने पशुपालन करने वाले पर बुरा असर डाला है। महंगे चारा और उसकी बढ़ती लागत बड़ी चुनौती उभरकर आई है। अंजोला को पशुधन एक्सपर्ट ने पशुपालकों के लिए वरदान के रूप में बताया है।
सबसे पहले तो इसकी खेती करना काफी आसान है। इसके लिए न ज्यादा जगह की जरुरत होती है और नहीं इसके लिए खास तैयारी करनी पड़ती है। दुधारू पशुओं को अंजोला घास खिलाने से दूध देने की क्षमता बढ़ती जाती है।
मिटटी के लिए भी फायदेमंद है अंजोला
एक्सपर्ट के अनुसार अंजोला घास एक जलीय फर्न है। इसका उपयोग धान के खेत में नाइट्रोज़न फिक्सेशन (स्थिरीकरण) के रूप में किया जाता है। इसके उपयोग से पौधों में नाइट्रोजन की उपलब्धता बढ़ जाती है। साथ ही इसके उपयोग से पौधों में उत्पादन क्षमता की बढ़ोतरी भी होती है।
अंजोला को पशु खाद्य पदार्थ के रूप में भी उपयोग किया जाता है। यह वातावरण से नाइट्रोजन लेकर मिटटी में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है, जिससे फसलों की पैदावार और गुणवत्ता दोनों ही बढ़ जाती है।
अंजोला को पशु खाद्य के रूप में इसलिए उपयोग किया जाता है, क्योंकि इसमें फाइबर और आयरन कंटेंट ज्यादा होता है जिससे पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही उनके स्वास्थ्य में भी काफी सुधार हो जाता है।
पशुओं में कैसे बढ़ती है दूध देने की क्षमता
सॉयल एक्सपर्ट ने बताया कि अक्सर देखा जाता है पराली का इस्तेमाल पशु चारे के रूप में करते आ रहे हैं। वही बढ़ती जनसँख्या और उसके हिसाब से बढ़ती खाद्य पदार्थ कि डिमांड कि वजह से जानवरों के लिए हरे चारे का जो खेत है , वह कम होते जा रहा है।
ऐसे में हरे चारे नहीं खाने कि वजह से पशुओं में दूध देने कि क्षमता कम होते जा रही है। जिससे पशुओं में पोषक तत्व कि कमी कि वजह से पशुओं के उत्पादन क्षमता और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है।
ऐसे में यदि हरे चारे के रूप में अंजोला का उपयोग करें तो 6 महीना में पशुओं के दूध देने कि क्षमता 15 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। साथ ही पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार भी हो सकता है, क्योंकि अंजोला में मौजूद फाइबर कंटेंट पशुओं के स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत सही माना जाता है।
बेरोजगार युवाओं के लिए डेयरी फार्मिंग-सुनहरा अवसर

अंजोला घास की खेती कैसे करें?
इस चारे के उपयोग से गाय और बकरियों में आयरन उपलब्धता की वजह से ब्लड कि मात्रा भी बढ़ सकती है। इसका उपयोग अभी पोल्ट्री फीड, डाकरी फीड और कुछ जगहों पर ह्यूमन कंजप्शन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
स्पाइरोलीनाकि तरह ही अंजोला में बहुत सारे गुण मिलते जुलते हैं, जिसके वजह से ह्यूमन कंजप्शन, एनीमल कंजप्शन और पौधा प्रोडक्शन के रूप में इस्तेमाल होना शुरू हो गया है।
अंजोला का उत्पादन या तो आप धान के पौधे के साथ कर सकते है या सीजन ऑफ़ के दौरान एक छोटे से गड्ढे में 1 फ़ीट गहरा खुदाई करके कर सकते हैं। यह अपना पापुलेशन खुद बढ़ा लेता है। सिर्फ इसे सीधी सूर्य की रोशनी से बचाना होता है। इसे छाँव में रखने पर इसकी वृद्धि तेजी से होती है। वहीँ पौधा से पौंड या गड्ढा भर जाने पर इसे निकालकर पशु चारे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
इन्हें भी पढ़ें : किलनी, जूं और चिचड़ीयों को मारने की घरेलु दवाई
इन्हें भी पढ़ें : पशुओं के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ
इन्हें भी पढ़ें : गाय भैंस में दूध बढ़ाने के घरेलु तरीके
इन्हें भी पढ़ें : ठंड के दिनों में पशुओं को खुरहा रोग से कैसे बचायें
प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार/रोकथाम के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें.
ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
Most Used Key :- पशुओं की सामान्य बीमारियाँ और घरेलु उपचार
किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे नीचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है.
ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.