कृषि और पशुपालनकृत्रिम गर्भाधानडेयरी फ़ार्मिंगपशु चिकित्सा आयुर्वेदपशुधन की योजनायेंपशुधन संसारबकरीपालनभारत खबर

आईवीएफ तकनीक से पशु नस्ल सुधार कैसे होगा : How will IVF Technology Improve Cattle Breed

पशुधन ख़बरें –

इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं का INAPH और Animall एप्प क्या है?

इन्हें भी पढ़ें :- गाय भैंस में फिमेल बछिया पैदा करने की सेक्स सॉर्टेड सीमेन टेक्नोलॉजी क्या है?

इन्हें भी पढ़ें :- दुधारू पशुओं को खली खिलाने के फायदे तथा सोयाबीन की खली से दूध उत्पादन कैसे बढ़ाएं?

इन्हें भी पढ़ें :- पशुशाला निर्माण के लिये स्थान का चयन ऐसे करें.

इन्हें भी पढ़ें :- नेपियर घास बाड़ी या बंजर जमीन पर कैसे उगायें?

इन्हें भी पढ़ें :- बरसीम चारे की खेती कैसे करें? बरसीम चारा खिलाकर पशुओं का उत्पादन कैसे बढ़ायें?

आईवीएफ तकनीक से पशु नस्ल सुधार कैसे होगा : How will IVF Technology Improve Cattle Breed, भारत सरकार दिन प्रतिदिन किसानों की आय को दुगुनी करने के लिये तत्पर है. भारत में किसानों का आय का साधन कृषि और पशुपालन पर आधारित है. किसानों की आय को दुगुनी करने के लिये पशुपालन पर विशेष जोर दिया जा रहा है. पशुपालन के जरिये गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर आदि के नस्ल के सुधार हेतु पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान, भ्रूण प्रत्यारोपण किया जा रहा है. आज हम चर्चा करेंगे IVF तकनीक की और इससे पशुओं के नस्ल में सुधार कैसे किया जा सकता है? आईवीएफ की मदद से गायों पर सरोगेसी का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे देशभर में अधिक बछड़े पैदा किए जा सकते हैं.

IVF Technology in Cattle
IVF Technology in Cattle

आईवीएफ तकनीक (IVF) टेक्नोलॉजी क्या है?

आईवीएफ तकनीक (IVF- इन विट्रो फर्टिलाईजेशन) में मादा पशु के अंडाशय से अंडे निकालकर प्रयोगशाला के कृत्रिम वातावरण में एम्ब्रियो या भ्रूण तैयार किया जाता है. एम्ब्रियो के परिपक्व होने के पश्चात् गाय, भैंस के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. टेस्ट ट्यूब बेबी के बाद अब देश में ‘टेस्ट ट्यूब बछड़ा’ प्रक्रिया की शुरुआत होगी. आईवीएफ तकनीक से बेहतरीन नस्ल और अधिक दूध देने वाले बछड़े पैदा किए जा सकेंगे. जाने-माने पशु वैज्ञानिक डॉ. श्याम झा ब्राजील से इसका प्रशिक्षण लेकर भारत आए हैं. इसकी शुरुआत बड़े स्तर पर केंद्र सरकार करेगी. सामान्यतः एक दुधारु पशु से एक बछड़ा पैदा करने के लिए एक साल का समय लगता है. लेकिन आईवीएफ तकनीक से साल में 25 से 30 बछड़े पैदा किए जा सकते हैं. केंद्र सरकार देश में पशु धन के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए केंद्र सरकार उन्नत नस्ल सुधार कार्यक्रम चला रही है. इस अभियान के तहत पशु धन वैज्ञानिकों ने आईवीएफ तकनीक से टेस्ट ट्यूब बछड़ा तैयार करने में महारथ हासिल की है.

भारत में बनेगा 30 आईवीएफ लैब

आईवीएफ तकनीक का फायदा देश के पशुपालकों को मिलेगा. इसके लिए देशभर में 30 जगहों पर इस तरह की लैब स्थापित की जाएंगी. जे.के ट्रस्ट के निदेशक राजेश पटेल ने बताया कि बीते कई साल से वे आईवीएफ तकनीक पर काम कर रहे हैं. आईवीएफ से 15 माह में एक गाय से 100 बछड़े तक पैदा किए जा सकते हैं. डॉ. श्याम झा को और उनके संगठन के द्वारा देश के दस से भी अधिक राज्यों में 43 से भी अधिक स्थानों पर दी जा रही आईवीएफ सेवाओं से न केवल देश में स्वदेशी गौ संवर्धन को गति मिलेगी बल्कि केंद्र सरकार के पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सहयोग भी मिलेगा. यह कदम किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाएगा.

इन्हें भी देखें :- दूध दोहन की वैज्ञानिक विधि क्या है? दूध की दोहन करते समय कौन सी सावधानी बरतें?

इन्हें भी पढ़े :- मिल्किंग मशीन क्या है? इससे स्वच्छ दूध कैसे निकाला जाता है.

इन्हें भी पढ़े :- पशुओं के आहार में पोषक तत्वों का पाचन कैसे होता है?

इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में अच्छे उत्पादन के लिये आहार में क्या-क्या खिलाएं?

IVF तकनीक में भ्रूण कैसे तैयार किया जाता है?

डॉ. कुशवाहा ने बताया कि दोनों की पेरेंटल हिस्ट्री देखने के बाद गाय को अंडाणु बढ़ाने के लिए हारमोन थैरेपी दी जाती. इसके लिये कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया से गाय के अंडाणु को देसी नस्ल के सांड के सीमेन को गाय में ही निषेचित कराया जाता है. इसमें एक बार में दस से 12 अंडाणु निषेचित होते है, निषेचन के सात दिन बाद भ्रूण तैयार होने पर उन्हें फ्लशिंग तकनीक से बाहर निकाल लिया जाता है. इसके बाद कम उत्पादन क्षमता वाली देसी गायों में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. इस तकनीक को इन-वीवो (एमओईटी) कहते हैं. इस प्रक्रिया से अब तक 295 बछिया और बछड़े का जन्म हो चुका है. इस तरह टेस्ट-ट्यूब एनिमल का प्रदेश में पहली बार आईवीएफ तकनीक का प्रयोग किया जायेगा. इसमें अंडाणु व वीर्य का निषेचन टेस्ट ट्यूब में किया जायेगा. इसमें सोनोग्राफी मशीन और ओवम पिकअप एसेंबली की सहायता से गाय के अंडाणु टेस्ट ट्यूब में एकत्रित किया जाता है. फिर उसे गाय की ओवरी के तापमान में लैब में रखा जाता है. उसके बाद बेहतर नस्ल के वीर्य को अंडाणु से निषेचित कराया जाता है. इसके बाद लैब के इंक्यूबेटर में इन्हें उचित तापमान में रखा जाता है. जिसके बाद टेस्ट ट्यूब एनिमल यानि एंब्रियो बनने की प्रोसेस शुरू हो जाती है. इस आईवीएफ तकनीक से तैयार हुए एंब्रियो कम उत्पादन क्षमता वाली गायों में प्रत्यारोपित किया जाएगा. इसके लिए प्रदेश की गौशालाओं में गायों को चिंहित किए जाने के लिए सर्वे चल रहा है. जिसमें टेस्ट ट्यूब एनिमल को प्रत्यारोपित किया जाएगा.

आईवीएफ (IVF) तकनीक से होगा गाय भैंस में नस्ल सुधार

मप्र राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम द्वारा आईवीएफ लैब में एंब्रियो (भ्रूण) तैयार किए जा रहे हैं. जिसे गायों में प्रत्यारोपित कर बछड़े या बछिया पैदा किये जाएंगे, जिससे नस्लों का सुधार होगा तथा पशुपालकों को पता चल सकेगा कि बछड़ा होगा या बछिया. भोपाल की यह आईवीएफ लैब वर्ष 2019-2020 में स्थापित की गई थी. मप्र राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के एमडी डॉ. एच.बी.एस. भदौरिया ने बताया इस तकनीक का उपयोग करके बेहतर देसी नस्ल की गाय और बैल तैयार करना है. अभी तक यह प्रयोग गिर और साहीवाल नस्ल की गायों पर किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि यह प्रयोग राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत किया जा रहा है. इस योजना के तहत देश में 15 भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोगशालाओं को चिंहित किया गया है. मप्र में मदरबुल फार्म में आईवीएफ लैब तैयार की गई है. जिसमें एंब्रियो तैयार किए जा रहे हैं. श्री भदौरिया का कहना है कि यह एंब्रियो पशुपालक को वर्ष 2022 अगस्त तक जिला, ब्लाक, पंचायत स्तर पर उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके लिए पशुपालकों को कुक्कुट विकास निगम में संपर्क करना होगा. निगम के विशेषज्ञ ने बताया कि एक गाय से सौ से अधिक भ्रूण तैयार किए जा रहे हैं. इसके लिये देसी नस्ल की बेहतर गाय से अंडाणु लिए हैं, जिससे एंब्रियो तैयार किए जा रहे हैं. एक बेहतर नस्ल की गाय अपने पूरे जीवन काल में केवल सात से आठ बार ही बछिया या बछड़े को जन्म देती है. वहीं इस पद्धति से एक गाय से एक साल में सौ से अधिक भ्रूण तैयार किए जाएंगे.

पशुधन के रोग –

इन्हें भी पढ़ें :- बकरीपालन और बकरियों में होने वाले मुख्य रोग.

इन्हें भी पढ़ें :- नवजात बछड़ों कोलायबैसीलोसिस रोग क्या है?

इन्हें भी पढ़ें :- मुर्गियों को रोंगों से कैसे करें बचाव?

इन्हें भी पढ़ें :- गाय, भैंस के जेर या आंवर फंसने पर कैसे करें उपचार?

इन्हें भी पढ़ें :- गाय और भैंसों में रिपीट ब्रीडिंग का उपचार.

इन्हें भी पढ़ें :- जुगाली करने वाले पशुओं के पेट में पाचन क्रिया

आईवीएफ (IVF) तकनीक से बढ़ेगा दूध उत्पादन

इस तकनीक का प्रयोग करने से पशुपालकों को बेहतर नस्ल के बछिया और बछड़े मिल सकेंगे. जो गाय अभी एक या दो लीटर दूध दे रही है, उसकी संतान 16 से लेकर 40 लीटर तक दूध देगी. इस तरह के प्रयोग को एक बार फिर श्वेत क्रांति के रुप में देखा जा रहा है. निगम के एमडी डॉ. भदौरिया का कहना है कि जिन पशुपालकों का अभी गाय पालना महंगा पड़ता है. इस तकनीक की वजह से पशुपालक बेहतर नस्ल की गाय से अपने यहां का दुग्ध उत्पादन बढ़ा पाएंगे. अभी तक विदेशी नस्ल की गाय ही 30 से 60 लीटर तक दूध देती थी. अब देसी नस्ल की गाय इतना ही दूध देगी.

आईवीएफ (IVF) तकनीक से दुर्लभ प्रजाति नहीं होंगे विलुप्त

निगम के एमडी डॉ. एसबीएस भदौरिया ने बताया आईवीएफ यानि टेस्ट ट्यूब एनिमल बहुत कारगर तकनीक है. यह केवल गाय, भैंस की नस्ल सुधारने के लिए ही नहीं बल्कि लुप्त और दुर्लभ प्रजाति के वन्य प्राणियों को बचाने के लिए किया जा सकता है. उनका कहना है कि जंगली भैंसा, बारहसिंगा, पेंगोलिन सहित लुप्त हो रही प्रजाति को बचाया जा सकता है.

इन्हें भी देखें :- खुरहा/खुरपका – मुंहपका रोग का ईलाज और लक्षण

इन्हें भी देखें :- लम्पी स्किन डिजीज बीमारी से पशु का कैसे करें बचाव?

प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

जाने :- लम्पी वायरस से ग्रसित पहला पशु छत्तीसगढ़ में कहाँ मिला?

किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.

पशुधन खबर

इन्हें भी पढ़ें :- दुधारू पशुओं में किटोसिस बीमारी और उसके लक्षण

इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में रासायनिक विधि से गर्भ परीक्षण कैसे करें?

इन्हें भी पढ़ें :- पशुशेड निर्माण करने की वैज्ञानिक विधि

इन्हें भी पढ़ें :- बटेर पालन बिजनेस कैसे शुरू करें? जापानी बटेर पालन से कैसे लाखों कमायें?

इन्हें भी पढ़ें :- कड़कनाथ मुर्गीपालन करके लाखों कैसे कमायें?

इन्हें भी पढ़ें :- मछलीपालन व्यवसाय की सम्पूर्ण जानकारी.

इन्हें भी पढ़ें :- ब्रुसेलोसिस रोग क्या है? पशुओं में गर्भपात की रोकथाम के उपाय