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पशुओं को सायलेज खिलाएं दूध बढ़ाएं : Feed Silage to Animals to Increase Milk

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पशुओं को सायलेज खिलाएं दूध बढ़ाएं : Feed Silage to Animals to Increase Milk, अच्छे दुग्ध उत्पादन के लिए दुधारु पशुओं के लिए पौष्टिक दाने और चारे के साथ हरा चारा खिलाना बहुत जरुरी है. हरे चारा पशुओं के अंदर पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है. एक दुधारू पशु जिसका औसत वजन 550 किलोग्राम हो, उसे 25 किलोग्राम की मात्रा में साइलेज खिलाया जा सकता है. सायलेज बनाने के लिये हरे चारे का भण्डारण वायु रहित स्थान पर करना चाहिए. जिससे उसके मूल गुणों को क्षति न पहुंचे और उसकी गुणवत्ता युक्त पोषक तत्व नमी की मात्रा की स्थिति में बनी रहती है और विभिन्न क्रियाओं द्वारा अम्ल तैयार होने से अधिक उत्तम पौष्टिक खाद्य को सायलेज कहा जाता है. सायलेज को पशुओं का आचार भी कहा जाता है.

Feed Silage to Animals to Increase Milk
Feed Silage to Animals to Increase Milk

हरे चारे की उपलब्धता और संरक्षण

साधारणतः हरा चारा जुलाई से लेकर अक्टूबर तक पशुपालक के पास पर्याप्त मात्रा में हरा चारा और घास उपलब्ध होती है. यह हरा चारा खराब किए बिना पशुपालक उन दिनों के लिए सुरक्षित कर सकते है जब हरे चारे की कमी होती है. ”हरे चारे की सबसे ज्यादा कमी होती है तो वो गर्मियों का समय है. पशुपालक अपने घर के आस-पास गड्ढ़ा करके साइलेज को बना सकता है. इसको खिलाने से पशुओं के दुग्ध उत्पादन भी अच्छा होता है और लागत भी बहुत ज्यादा नहीं आती है. अच्छे दुग्ध उत्पादन के लिए दुधारु पशुओं के लिए पौष्टिक दाने और चारे के साथ हरा चारा खिलाना बहुत जरुरी है. हरे चारा पशुओं के अंदर पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है. एक दुधारू पशु जिस का औसत वजन 550 किलोग्राम हो, उसे 25 किलोग्राम की मात्रा में साइलेज खिलाया जा सकता है. भेड़-बकरियों को खिलाई जाने वाली मात्रा 5 किलोग्राम तक रखी जाती है. अगर कोई भी किसान इसे शुरू करता है तो पहले प्रशिक्षण ले लें. यह प्रशिक्षण अपने निकटतम ब्लॉक स्तरीय पशुचिकित्सक से भी ले सकते है. किसानों के लिये साइलेज एक अच्छा विकल्प है.

सायलेज क्या है?

साइलेज उस पदार्थ को कहते हैं जो कि अधिक नमी वाले चारे को हवा रहित नियंत्रित रखा जाता है. साइलेज बनाने के लिए गड्ढे की आवश्यकता होती है जिसे साइलो कहते हैं. जब हरे चारे को हवा की अनुपस्थिति में किण्वन किया जाता है तो लैक्टिक अम्ल पैदा होता है. यह हरे चारे को अधिक समय तक सुरक्षित रखने में सहायक होता है.

सायलेज बनाने के लिये फसल का चुनाव

अच्छा साइलेज बनाने के लिए यह आवश्यक है कि फसल का चुनाव अच्छी प्रकार से किया जाय और उसे ठीक अवस्था में काटकर कुट्टी की जाए. जिस चारे की फसल में शर्करा अच्छी तरह नहीं मिलेगी तो अच्छा साइलेज नहीं बनेगा. अच्छा साइलेज बनाने के लिए चारा फसलों की कटाई फूल आने की अवस्था में करनी चाहिए. अनाज वाली हरी फसलें जैसे मक्का, बाजरा, ज्वार, जई साइलेज बनाने के लिए सही है. इन फसलों में शर्करा की मात्रा अधिक होने के कारण प्राकृतिक किण्वन अच्छा होता है. इसके अलावा दलहनी फसलों के साथ अगोला और धान के फसल से प्राप्त पुआल में (सहादा) मिलाकर उसके ऊपर लगभग 3-5 प्रतिशत शीरा मिलाकर उत्तम किस्म का साइलेज तैयार कर सकते हैं. धान का पुआल और दो दलीय फसल के चारे में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत कम होती है. अतः एक दलीय और दो दलीय फसलों का निम्नलिखित मिश्रण तैयार करके सायलेज बना सकते है.

1 . ज्वार और ल्युर्सन को क्रमशः = 1:3 भाग मिलाएं.

2. धान का पुआल और बरसीम = 1:5 भाग मिलाएं.

3. मक्का और लोबिया = 1:4 भाग मिलाएं.

ऐसे चारे जिनमें सायलेज बनाना हो वह दो दलीय और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम है तो सायलेज बनाने में उनका उपयोग करते समय 1क्विंटल चारे में 2% गुड या शिरा का घोल बनाकर छिडकाव करना चाहिए. जिससे उनमें कार्बोहाइड्रेट की पूर्ति हो सके ताकि सायलेज बनाने के समय किण्वन क्रिया में सहायता हो सके.

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सायलेज बनाने की विधि

साइलेज बनाने के लिए ऐसे हरे चारे जिसमें शुष्क पदार्थ की मात्रा 25-30 प्रतिशत हो, कुट्टी बनाकर साइलेज बनाने वाले गड्ढों में दबा दबा कर इस तरह भरा जाना चाहिए कि कटे हुए चारे के बीच में कम से कम हवा रहे. हवा बाहर निकलने से किण्वन जल्दी शुरू हो जाता है. कुट्टी बनाने से कम जगह से अधिक चारा भरा जा सकता है. चारे को साइलो की दीवारों से 2-3 फुट ऊंचाई तक भरे, जिससे दबने पर बना हुआ साइलेज जमीन के स्तर से ऊपर रहे और बरसात का पानी गड्ढों में ना जाए. गड्ढ़ों को भरने के बाद पॉलिथीन की चादर से ढक कर हवा रहित करना चाहिए. गड्ढ़े के ऊपर गीली मिट्टी या गोबर का लेप करके हवा रहित किया जा सकता है.

सायलेज खिलाने की विधि

अच्छी प्रकार से बनाया हुआ साइलेज 30 से 35 दिन में पशुओं को खिलाने योग्य हो जाता है. सबसे पहले मिट्टी को सावधानीपूर्वक हटा लेना चाहिए और इसके बाद पॉलिथीन की चादर को एक किनारे से हटाना चाहिए. साइलेज को आवश्यकतानुसार सावधानी से निकालकर पशु को खिलाना चाहिए जिससे कि साइलेज का कम से कम मात्रा हवा के संपर्क में आए. अन्यथा साइलेज खराब होने की संभावना रहती है.

अच्छा सायलेज निर्माण की आवश्यक बातें

1 . साइलेज बनाने वाला गड्ढ़ा उस स्थान पर होना चाहिए जहां बरसात का पानी ना जा सके.

2. हरे चारे में नमी का प्रतिशत 65 से 75 के बीच होना चाहिए.

3. हरे चारे को कुट्टी बनाकर ही गड्ढों में भरना चाहिए.

4. अच्छा सायलेज के लिये चारों तरफ की दिवार बंद होनी चाहिए, जिससे उत्तम सायलेज बन सके.

5. दीवारें लम्बी और चिकनी होनी चाहिए.

6. जुड़ाई की गई दीवारें पक्की होनी चाहिए जो किण्वन के समय पैदा होने वाले दबाव को रोक सकें.

7. गड्ढे की ऊंचाई उसके व्यास से दुगुना होनी चाहिए.

सायलेज बनाने में सावधानियां

1 . ख़राब मौसम में सायलेज बनाने के लिये चारे की फसल की कटाई नहीं करनी चाहिए.

2. जितना सायलेज बनाना है उतने ही फसल की कटाई करें.

3. गड्ढे का निरिक्षण सायलेज के लिये चारे भरने से पहले कर लें.

4. अगर फसल में नमी कम हो तो, चारे को पानी में भिगो लेना चाहिए.

5. चारे की फसल काटने के बाद उसे कुट्टी करने के बाद गड्ढे दबाना उचित होता है.

6. एक दलीय और दो दलीय चारे की फसल का मिश्रण उचित अनुपात में करें.

7. आवश्यकता होने पर सिरा और नमक उचित मात्रा में मिश्रित करें.

8. गड्ढे को अच्छी तरह से बंद करना चाहिए ताकि अन्दर हवा नहीं जा सके.

सायलेज खिलाने के लाभ

1 . हरे चारे की कमी को सायलेज खिलाकर पूरा किया जा सकता है.

2. हरे चारे का सायलेज बनाकर पौष्टिक अवस्था में ज्यादा समय तक रख सकते है.

3. सायलेज खिलाने से दाने की बचत होती है.

4. मानसून के मौसम में भी सायलेज बनाया जा सकता है.

5. सायलेज खिलाने में दुधारू पशुओं के दूध में बहुत बढ़ोतरी होती है.

6. पशु सायलेज को स्वादिष्ट होने के कारण बड़े चाव के साथ खाते हैं.

7. पशुओं को सायलेज खिलाने से पशुपालक या डेयरी मालिकों को दाने, हरा चारा आदि पर कम पैसा खर्च करना पड़ता है. जिससे पशुपालकों को आमदनी अधिक होती है.

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