बदली में पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान के क्या निर्देश है । Badali Me Pashuon Ke Kritrim Garbhadhan Ke Kya Nirdesh Hai
बदली में पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान के क्या निर्देश है । Badali Me Pashuon Ke Kritrim Garbhadhan Ke Kya Nirdesh Hai, पशुपालकों को पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कराते समय पशुओं के सही हीट का ज्ञान होना बहुत जरुरी होता है। अन्यथा गलत समय में कृत्रिम गर्भाधान कराने पर आपका पशु गर्भधारण नहीं कर सकता है।

प्रायः वे पशुपालक जो पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कराते हैं, उनका हमेशा कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता से शिकायत होता है कि मेरा पशु (गाय, भैंस) में कई बार कृत्रिम गर्भाधान कराने के बावजूद गर्भधारण नहीं कर रही है और बार-बार रिपीट हो रही है। पशु के बार-बार हीट में आने से पशुपालक या डेयरी फार्मिंग करने वाले को बहुत ही ज्यादा नुकसान होता है।
ऐसे पशुपालक जिनके पशु बार-बार रिपीट हो रही है उन्हें पशु के गर्मी या हीट की सही पहचान करना अति आवश्यक है। कुछ ऐसे पशुपालक भी हैं जिन्हें लगता है की बदली का मौसम है तो पशु में कृत्रिम गर्भाधान कराने पर पशु (गाय, भैंस) गाभिन नहीं होती है।
एक्सपर्ट के मुताबिक पशुपालकों का यह मानना उचित नहीं है, क्योंकि पशुओं में गर्भाधान के लिए उचित समय (मध्य हीट) का होना जरुरी होता है, इनमें गर्मी, बरसात, ठंडी या बदली के मौसम का कोई प्रभाव पड़ता है। सिर्फ भैंस ठण्ड के दिनों में ही ज्यादा गर्मी या हीट में आती है, क्योंकि भैस में मौसमी मद या हीट पाया जाता है।
परन्तु ऐसा भी नहीं है कि भैंस में सिर्फ ठण्ड के दिनों में ही कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है, कुछ- कुछ भैंस में बरसात या गर्मी के मौसम में भी हीट में आने पर सफल कृत्रिम गर्भाधान होता है और भैंस गाभिन भी हो जाती है।
ऐसे में पशुपालकों के लिए जरुरी है कि पशुपालक को पशुओं के हीट में आने या कृत्रिम गर्भाधान कराने का उचित समय का ज्ञान होना बहुत जरुरी ह। आपका पशुओं के हीट का सही ज्ञान आपको बहुत अधिक आर्थिक नुकसान से बचा सकता है। तो आइये पशुओं के हीट का पता कैसे करें? और पशुओं में में उचित समय पर कृत्रिम गर्भाधान का पता कैसे लगायें?
पशुओं में गर्मी या हीट के लक्षण
बैल या भैंसा हमेशा गाय या भैंस के गर्मी में होने पर उसे देखेगा और उसकी सेवा करेगा, अगर बैल और गाय के बीच कोई सीमा न हो। कई गायों में गर्मी के लक्षण होते हैं जिन्हें इंसानों के लिए पहचानना मुश्किल होता है। गर्मी के लक्षण जो इंसान देख सकते हैं वे निमंलिखित हैं….
- पशु बेचैन हो जाता है, कभी-कभी स्वयं को शेष झुंड से अलग कर लेता है, तथा बैल की तलाश में बाड़ के किनारे-किनारे चलने लगता है।
- जानवर अन्य जानवरों पर चढ़ने की कोशिश करता है, उन्हें सूँघता है और अन्य जानवर भी उसे सूँघते हैं।
- यह जानवर बैल को आकर्षित करने के लिए दहाड़ता है।
- खड़े होने पर ऊष्मा – गाय तब भी स्थिर खड़ी रहती है जब अन्य पशु उस पर सवार होते हैं (खड़े होने पर ऊष्मा का परीक्षण करना ही एकमात्र विश्वसनीय व्यावहारिक परीक्षण है)।
- इस बात के संकेत कि जानवर पर अन्य लोगों ने चढ़ाई की है, जैसे कि उसके पार्श्व भाग पर कीचड़, हुक या पिनबोन पर त्वचा के नंगे धब्बे, पीठ पर उलझे हुए बाल आदि।
- योनि के होंठ लाल हो जाते हैं और कुछ सूज जाते हैं।
- योनिद्वार से लटकता हुआ या पूंछ से चिपका हुआ स्पष्ट, पतला बलगम निकलता है।

औसत गर्मी की अवधि लगभग 11 घंटे तक रहती है, इसलिए गर्मी का पता लगाने के लिए आपको गायों की दिन में कम से कम 3 बार जांच करनी चाहिए। सुबह जल्दी, दोपहर में और देर शाम (हर बार लगभग 20 मिनट का समय दें)। गायों को शांत रहना चाहिए (खाने या किसी और चीज से विचलित नहीं होना चाहिए)।

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पशुओं में कृत्रिम गर्भधान का उचित समय क्या है?
- हां, बदली के मौसम में भी पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कराया जा सकता है।
- कृत्रिम गर्भाधान के लिए, मादा पशु में गर्मी के लक्षण शुरू होने के करीब 12 घंटे बाद गर्भाधान कराना चाहिए।
- सुबह गर्मी में आने वाले पशुओं का गर्भाधान उसी शाम को कर देना चाहिए।
- शाम को गर्मी में आने वाले पशुओं का गर्भाधान अगली सुबह कर देना चाहिए।
- 24-36 घंटे तक गर्मी में रहने वाले पशुओं का गर्भाधान, गर्मी के लक्षण दिखने के 12-18 घंटे बाद कम से कम 12 घंटे के अंतराल पर दो बार कराना चाहिए।
- कृत्रिम गर्भाधान के ज़रिए, सेक्सुअल हेल्थ कंट्रोल संभव होता है।
- प्रजनन से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम संभव होती है।
- कृत्रिम गर्भाधान के लिए, रेक्टो-वेजाइनल तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
- अच्छे परिणाम के लिए, तकनीशियन को इस तकनीक में उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
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