कार्बोलिक एसिड और बोरिक एसिड का उपयोग : Uses of Carbolic Acid and Boric Acid
कार्बोलिक एसिड और बोरिक एसिड का उपयोग : Uses of Carbolic Acid and Boric Acid, पशुपालक एवं पशुप्रेमी बंधुओं के लिये पशु चिकित्सा में प्रयुक्त होने वाली साधारण औषधियों का ज्ञान होना बहुत ही आवश्यक आवश्यक होता है. क्योंकि पशु चिकित्सा में प्रयुक्त होने वाली छोटे-छोटे साधारण औषधियां जैसे बोरिक एसिड, कार्बोलिक एसिड, मैग्नीशियम सल्फेट, नौसादर, नीला थोथा, पीसी खड़िया आदि औषधियों के उपयोग और प्रयोग की जानकारी होने से पशुओं के साधारण बीमारी की रोकथाम किया जा सकता है तथा औषधियों में होने वाले अधिक आर्थिक व्यय से बचा जा सकता है.

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पशु चिकित्सा में प्रयुक्त साधारण औषधियां
1 . बोरिक एसिड (Boric Acid) – यह एक रंगहीन पदार्थ है जो सफ़ेद रवेदार पाउडर के रूप में मिलता है जो चखने पर अम्लीय (एसिडिक-Acidic) और कड़वा (Bitter) होता है. यह 20 भाग ठंडे पानी, 3 भाग उबलते पानी, 4 भाग ग्लिसरीन अथवा 30 भाग (90%) एल्कोहल में घुलनशील है.
औषधीय क्रिया – यह एक नॉन-इरीटेन्ट एंटीसेफ्टिक, शोष(Desiccant), परिरक्षक (Preservative) एंटीजायमोटिक औषधि है.
उपयोग – बोरिक एसिड का प्रयोग कई कामों में आता है.
A) डस्टिंग पाउडर के रूप में – घावों को सुखाने के लिये पाउडर को निम्न रूप से तैयार किया जा सकता है-
आइडोफार्म | 1 भाग |
बोरिक एसिड | 2 भाग |
जिंक आक्साइड | 2 भाग |
B) घोल के रूप में – घावों को ढोने के लिये –
बोरिक एसिड | 14.20 घ.से.मी. (c.c.) |
सेलिसिलिक एसिड | 3.55 घ.से.सी.(c.c.) |
डिस्टिल्ड वाटर | 1136.0 घ.से.सी.(c.c.) |
C) मलहम के रूप में – फटे हुए थन, छाजन और घावों पर लगाने के लिये बोरिक एसिड मलहम के रूप में प्रयोग किया जाता है. इसका प्रयोग होठ और जीभ के छालों पर भी होता है.
बोरिक एसिड | 50 ग्राम |
वेसेलिन | 100 ग्राम |
D) पेन्ट्स के रूप में – बोरिक एसिड 25 ग्राम, ग्लिसरीन 25 ग्राम होठ और जीभ के छालों पर इसका प्रयोग किया जाता है.
2. कार्बोलिक एसिड (Carbolic Acid)/फिनोल (Phenol) – यह एक रंगहीन रवेदार पदार्थ है, जिसके रवे सुई के आकार के होते हैं. हवा में खुले रहने पर वायु से नमी ग्रहण कर लेते हैं और इसमें एक अजीब तरह की गंध आती है. यह स्वाद में मीठा और तिक्त होता है.
- कार्बोलिक एसिड का एक भाग तीन भाग पानी में घुलनशील है. इसके अतिरिक्त यह एल्कोहल, ईथर, क्लोरोफार्म एवं ग्लिसरीन में पूर्ण रूप से घुलनशील है. इसके अतिरिक्त यह एल्कोहल, ईथर, क्लोरोफार्म एवं ग्लिसरीन में पूर्ण रूप से घुलनशील है.
इसकी क्रिया –
- उपरी प्रयोग में कार्बोलिक एसिड, कास्टिक, डिसइन्फेक्टेड, एंटीसेप्टिक डियोडोरेंट, पैरासिटीसाइड और लोकल एनेस्थेटिक है.
- भीतरी प्रयोग में यह गैस्ट्रिक सैडटिव, इंटेस्टैनल एंटीसेफ्टिक और एंटीजायमोटिक है.
औषधियाँ जो कार्बोलिक एसिड से तैयार होती है –
1 . द्रव फिनाइल – 800 भाग फिनोल में 200 भाग डिस्टिल्ड वाटर मिलाने से एक रंगहीन द्रव तैयार हो जाता है जो रखे रहने पर हल्के गुलाबी रंग का हो जाता है.
- प्रयोग करने से पूर्व इसमें थोड़ी सी ग्लिसरीन मिलाकर और फिर पानी डालकर पतला कर लेते हैं. ऐसा करने से इसका Irritation गुण नष्ट हो जाता है.
इसकी औषधीय मात्रा –
- घोड़ा (Horse) – 1 c.c. से लेकर 1.75 c.c. तक
- कैटल (गाय/भैंस) – 1.75 c.c. से लेकर 3.55 c.c. तक
- कुत्ता (Dog) – 0.06 से लेकर 0.12 c.c. तक
2. फिनोलयुक्त ग्लिसरीन – 480 भाग ग्लिसरीन में 170 भाग फिनोल मिलाकर तैयार किया जाता है.
3. फिनोलयुक्त तेल – 5 भाग फिनोल में 95 भाग मूंगफली और अलसी का तेल मिलाकर तैयार किया जाता है.
उपयोग –
- इसका 5 प्रतिशत घोल घावों के धोने में प्रयुक्त होता है.
- इसका 2 प्रतिशत घोल शरीर के जूं, खाज एवं पिस्सुओं को दूर करने में प्रयुक्त होता है.
- कुत्तों द्वारा कटे घाव, अथवा सांप द्वारा काटे गए स्थान को जलाने के लिये शुद्ध फिनोल प्रयोग किया जाता है.
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