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गाय के गोबर से महिलाओं ने बनाई राखियाँ : Women Made Rakhis from Cow Dung

गाय के गोबर से महिलाओं ने बनाई राखियाँ : Women Made Rakhis from Cow Dung, रायपुर के गौठानों में महिलाएं गोबर की सुंदर राखियां तैयार कर रही हैं. इसके लिए अयोध्या से राखियों का ऑर्डर भी रायपुर पहुंचा है. इस रक्षाबंधन में करीब 3 हजार से ज्यादा राखियां रायपुर के गोकुल नगर गौठान में तैयार की गई हैं. पिछले साल एक गौठान को ही विभिन्न राज्यों से लगभग 70 हजार राखियों की मांग आई थी. छत्तीसगढ़ में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार अनेक योजनाएं क्रियान्वित कर रही है. इन्हीं में से एक राखी उद्योग है. स्व सहायता समूह इन दिनों गोठानों में गोबर की राखियां तैयार कर रहे हैं. पिछले कुछ सालों में इन राखियों की डिमांड छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में बढ़ी है.

Women Made Rakhis from Cow Dung
Women Made Rakhis from Cow Dung

इको फ्रेंडली राखियाँ – लोगों को इको फ्रेंडली राखियां बहुत पसंद आ रही हैं. इस बार भी राखी के त्योहार में गोबर से बनी राखियां बाजार में रंग जमाए हुए हैं. इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ की गोबर की बनी राखियों की डिमांड छत्तीसगढ़ के साथ गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत कई बड़े राज्यों के बाजारों में हैं. रायपुर के गौठानों में महिलाएं गोबर की सुंदर राखियां तैयार कर रही हैं. इसके लिए अयोध्या से राखियों का ऑर्डर भी रायपुर पहुंचा है. इस रक्षाबंधन में करीब 3 हजार से ज्यादा राखियां रायपुर के गोकुल नगर गौठान में तैयार की गई हैं. पिछले साल एक गौठान को ही विभिन्न राज्यों से लगभग 70 हजार राखियों की मांग आई थी.

इन राखियों की खासियत – गौशाला में बन रही राखियां पूरी तरह इको फ्रेंडली हैं. इसमें गोबर, औषधि युक्त पौधों के रस, मौली धागा और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि आकर्षक लुक में नजर आएं. यही कारण है कि इन राखियों की मांग कई महानगरों से आने लगी है. रायपुर के गौठान में जो राखियां तैयार की हुई हैं, इनमें खास बात यह है कि हर राखी के बीच में तुलसी के बीज डाले गए हैं, जिससे अगर इन राखियों को मिट्टी से भरे गमले में डाला जाएगा तो उसमें से भी पौधा अंकुरित हो जाएगा. गोबर को हमेशा से शुद्ध और पवित्र माना गया है और इसमें तुलसी के बीज जाने के बाद यह और भी ज्यादा खास हो गई है.

बिहार में देशी गाय के गोबर से बनाई गई इको फ्रेंडली राखियाँ

गाय के गोबर से बनी राखियां न सिर्फ इको फ्रेंडली हैं बल्कि इसे गमले में डालकर खाद के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है. बिहार के औरंगाबाद में देसी गाय के गोबर से बनी राखियों की खूब चर्चा है. औरंगाबाद के कुटुंबा प्रखंड के चपरा गांव स्थित पंचदेव मंदिर में देसी गाय के गोबर से इको फ्रेंडली राखियां बनाई गई हैं. जिले में ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में बहनों के द्वारा भाइयों की कलाई पर ये बांधी जाएंगी. इतना ही नहीं यहां की राखियां फौजी भाइयों की भी कलाई की शोभा बढ़ाएगी. झारखंड के जमशेदपुर से औरंगाबाद के पंचदेव धाम आकर सीमा पांडेय यहां की युवतियों एवं महिलाओं को न सिर्फ गोबर से राखियां बनाना सिखा रही हैं बल्कि वे गोबर से दीपक, खिलौने, देवी-देवताओं की मूर्तियां, अगरबत्ती, धूप बत्ती, डायबिटीज एवं बीपी मैट, मोबाइल रेडिएशन प्रोटेक्शन सहित कई प्रकार की सामग्रियां बनाकर आत्मनिर्भर होना सिखा रही हैं. मंदिर कमेटी की ओर से सभी महिलाओं को उनके काम के आधार पर दैनिक भुगतान भी किया जाता है.

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इको फ्रेंडली राखी की खासियत जानें

सीमा पांडेय ने बताया कि आधुनिकता की होड़ में हम चाईनीज एवं फैंसी राखियों को उपयोग में ला रहे हैं लेकिन गाय के गोबर से बनी राखियां न सिर्फ इको फ्रेंडली हैं बल्कि इसे गमले में डालकर खाद के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है. इन राखियों में किसी न किसी पौधे के बीज भी समाहित रहते हैं जो एक पौधे के रूप में पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. उन्होंने बताया कि गोबर के कंडे से अग्निहोत्र बनाया जाता है जिसकी राख कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने में सहायक होती है. कोरोना काल में उस भस्म से कई मरीज बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के स्वस्थ हुए. इसको करने की इच्छाशक्ति आयुर्वेदाचार्य राजीव दीक्षित से प्राप्त हुआ है.

इस बार किस दिन मनाएं राखी?

रक्षाबंधन पर भद्रा होने की वजह से इसकी डेट को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है. लोग सोच रहे हैं कि 30 या 31 अगस्त किस दिन मनाया जाए. जानकारों का मानना है कि इस बार राखी का पर्व 30 और 31 अगस्त 2023 दोनों दिन मनाया जा सकेगा. 30 अगस्त 2023 को भद्रा रात 09.02 मिनट तक है. इसके बाद राखी बांध सकते हैं.

पंचांग अनुसार 30 अगस्त को राखी बांधने के लिए रात 09.03 के बाद का समय शुभ है. शास्त्रों के अनुसार राखी बांधने के लिए दोपहर का मुहूर्त सबसे अच्छा माना, ऐसे में जो लोग रात में राखी नहीं बांधते वह अगले दिन 31 अगस्त को सुबह 07.05 मिनट से पहले तक राखी बांध सकते हैं, क्योंकि पूर्णिमा तिथि इस दिन सुबह इसी समय समाप्त हो जाएगी. खास बात ये है कि 31 अगस्त को भद्रा का साया भी नहीं रहेगा.

गाय कि गोबर से बनी राखी के साथ मिलेगा तुलसी का उपहार

लव यू जिंदगी फाउनडेशन के तत्वाधान में बहनों को रक्षा बंधन पर एक अलग उपहार दिया है. आगरा नगर निगम और लव यू जिंदगी फाउनडेशन ने गाय के गोबर से करीब हजार तरह की राखियाँ तैयार किया है. यह राखी पूरी तरह से गाय के गोबर से बनाई गई है.

रक्षा बंधन स्पेशल – आगरा नगर निगम और लव यू जिंदगी फाउनडेशन ने लव यू जिंदगी फाउनडेशन के तत्वाधान में बहनों को रक्षा बंधन पर एक अलग उपहार दिया है. नगर निगम और लव यू जिंदगी फाउनडेशन ने गाय कि गोबर से करीब हजार तरह कि राखियाँ तैयार किया है. यह राखी पूरी तरह से गाय के गोबर से बनाई गई है और इको फ्रेंडली है. आजकल बाजार में बिकने वाली प्लास्टिक और अन्य तरह कि राखियाँ पुरे वातावरण को प्रदूषित कर रही है और रक्षा बंधन के बाद कूड़े-कचरे का कारण भी बन जाती है. लेकिन लव यू जिंदगी फाउनडेशन के सदस्यों ने बताया कि गाय कि गोबर से बनी राखियों में तुलसी के बीज भी डाले गए है. रक्षा बंधन के बाद जब यह राखियाँ उपयोग में नहीं रहेंगी तो आप इसे गमले में भी डाल सकते हैं. जिसमें यह मिट्टी के साथ घुल जाएगी और कुछ समय बाद मिट्टी में तुलसी कि बीज होने कि वजह से एक तुलसी का पौधा भी उग जायेगा. उन्होंने बताया कि इस राखी का कीमत मात्र 25 से 30 रुपये है. आगरा नगर निगम के साथ कई जगहों में भी गाय के गोबर से बनी राखियाँ की स्टॉल लगाई गई है.

दोस्तों सबसे पहले आप और आपके पुरे परिवार को रक्षा बंधन की बहुत-बहुत शुभकामनायें. इस रक्षा बंधन में कृपया आप भी स्वयं सहायता समूह के महिलाओं द्वारा देशी गाय के गोबर से बनाई गई इको फ्रेंडली राखियों को खरीदने के लिए बहनों को प्रोत्साहित करें. ताकि प्लास्टिक और अन्य उत्पादों से बनी राखियों से अपने आस-पास होने वाली प्रदुषण के संभावनाओं को रोकने में मदद करें. आशा है आप पर्यावरण को सुरक्षित रखने में जरुर अपनी भूमिका निभाएंगे. धन्यवाद

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