कृषि और पशुपालनडेयरी फ़ार्मिंगपशु कल्याणपशु चिकित्सा आयुर्वेदपशुओं में टीकाकरण

पशुओं में थैलेरियोसिस रोग क्या है : What is Theileriosis Disease in Animals

पशुओं में थैलेरियोसिस रोग क्या है : What is Theileriosis Disease in Animals, यह पशुओं में होने वाली गंभीर बीमारी परजीवी जनित रोग है, जिसमें तेज बुखार एवं लसिका गन्थि में सुजन प्रमुख होते हैं. कम उम्र के बछड़ें इस रोग के प्रति अत्याधिक संवेदनषील होते है. साथ ही साथ यह रोग संकर नस्ल के पशु में ज्यादा प्रभावकारी है. इस रोग का प्रकोप वर्षा एवं ग्रीष्म ऋतुओं में अधिक होता है, क्योंकि इस मौसम में रोग संचरण करने वाली किलनियों (चमोकन) की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है.

What is Theileriosis Disease in Animals
What is Theileriosis Disease in Animals

पशुओं में थैलेरिओसिस रोग के कारण – यह रोग गाय-भैंस में ’’थेलेरिया एनूलाटा’’ नामक रक्त परजीवीयों के कारण होता है और बकरी, घोड़ा इत्यादि में भी थेलेरिया के अन्य प्रजाति से संक्रमण होता है. संक्रमित पशु के लाल रक्त कोशिकाओं में पाये जाते हैं. यह मुख्यतः गोल व अंडाकार (अंगूठी) के आकार का होता है.

रोग का फैलाव

  • इस रोग का फैलाव गाय, भैंस, बकरी, घोड़ा इत्यादि में खून चूसने वाले किलनी (चमोकन या अढैल) के द्वारा होता है.
  • जब यह किलनी थेलेरिया परजीवी से ग्रसित पशु से खून चूसती है, तब इस रोग का परजीवी किलनी मे पहूँच जाता है और फिर इस संक्रमित किलनी की अवस्थाओं (लार्वा, निम्फ आदि) द्वारा स्वस्थ पशु के खून चूसने के समय यह थेलेरिया परजीवी उस पशु के खून में पहूँच जाता है जो पशुओं में थेलेरियोसिस रोग का कारण बनता है.
आदर्श डेयरी फार्मिंग पशुधन योजनायें
पशुधन ख़बर बकरीपालन

रोग का लक्षण

  1. इस रोग से प्रभावित पशु में लगातार बहुत ज्यादा बुखार रहता है तथा कंधा के बगल वाले लसिका ग्रंथि (लिम्फ नोड) में सुजन हो जाता है जो स्पष्ट रूप से बढ़े हुए आकार में नजर आता है.
  2. इसके अलावे रोगग्रस्त पशु के शरीर में खून में कमी हो जाना, अत्याधिक कमजोर हो जाना, पशु इच्छा के साथ आहार नहीं खाना, दुधारू पशु के दुध उत्पादन में बेहद कमी हो जाना तथा कभी-कभी संक्रमित पशु को खूनी दस्त होना इत्यादि लक्षण थेलेरियोसिस रोग में दिखाई पड़ते है.
  3. यदि इलाज में देर की गई तो बीमार पशु की मृत्यु हो जाती है.
  4. विदेषी नस्ल के पशुओं में इस रोग की तीव्रता देषी नस्ल के पशुओं की तुलना में ज्यादा होती है.

रोग का पहचान

  1. इस रोग का पहचान इसके प्रमुख लक्षणों (कॅंधा के बगल वाले लसिका ग्रंथि में सुजन) के आधार पर किया जा सकता है.
  2. रोग-ग्रस्त पशु के रक्त एवं प्रभावित लसिका ग्रंथि का आलेप बनाकर जिम्सा या लीषमैन से रंगकर सूक्ष्मदर्षी की सहायता से देखने पर क्रमश: लाल रक्त कोशिकाओं मे मुख्यतः गोल व अंडाकार (अंगूठी) के आकार की पाइरोप्लाज्म अवस्था तथा लिमफोसाइट में कोज्स ब्लू बॉडीज की उपस्थिति से रोग की पुष्टि की जाती है.
  3. इसके अलावे इनडाइरेक्ट फ्लोरोसेंट एंटिबॉडीज परीक्षण, इलिसा, पी.सी. आर. आदि परीक्षणों के द्वारा भी इस रोग की पुष्टि की जाती है.

रोग का उपचार

  1. थेलेरियोसिस रोग के इलाज हेतु बुपारवाकियोन (बुटालेक्स) औषधि 1 मी.ली./20 के.जी. शरीर भार के हिसाब से इस्तेमाल करना चाहिए.
  2. बुपारवाकियोन औषधि उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में आक्सीटेट्रासाइक्लिीन एवं डाइमीनाजीन एसीचुरेट औषधियों का मिश्रित प्रयोग 2-3 दिनों तक उपयोग करना चाहिए.
  3. कभी-कभी इस रोग से ग्रसित पशु के खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा बहुत कम हो जाती है ऐसी परिस्थिती में मुख्य औषधि के साथ-साथ किसी स्वस्थ पशु का खून चढ़ाना, रोगग्रसित पशु के लिए जीवन रक्षक का कार्य करता है.
  4. खून बढ़ाने के लिए हिमेटिनिक औषधि का प्रयोग करना चाहिए.
मत्स्य (मछली) पालनपालतू डॉग की देखभाल
पशुओं का टीकाकरणजानवरों से जुड़ी रोचक तथ्य

रोग से बचाव

  • चमोकन या किलनी से पशुओं को बचाकर इस रोग के प्रसार पर नियंत्रण किया जा सकता है.
  • वैक्सीन (रक्षा-T वैक्सीन) का उपयोग करना चाहिए.

इन्हें भी पढ़ें : प्रतिदिन पशुओं को आहार देने का मूल नियम क्या है?

इन्हें भी पढ़ें : एशिया और भारत का सबसे बड़ा पशुमेला कहाँ लगता है?

इन्हें भी पढ़ें : छ.ग. का सबसे बड़ा और पुराना पशु बाजार कौन सा है?

इन्हें भी पढ़ें : संदेशवाहक पक्षी कबूतर की मजेदार तथ्य के बारे में जानें.

प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

Most Used Key :- गाय के गोबर से ‘टाइल्स’ बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें?

पशुओ के पोषण आहार में खनिज लवण का महत्व क्या है?

किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.

-: My Social Groups :-

पशुधन खबरपशुधन रोग
इन्हें भी पढ़ें :- गाय, भैंस की उम्र जानने का आसान तरीका क्या है?
इन्हें भी पढ़ें :- बटेर पालन बिजनेस कैसे शुरू करें? जापानी बटेर पालन से कैसे लाखों कमायें?
इन्हें भी पढ़ें :- कड़कनाथ मुर्गीपालन करके लाखों कैसे कमायें?
इन्हें भी पढ़ें :- मछलीपालन व्यवसाय की सम्पूर्ण जानकारी.
इन्हें भी पढ़ें :- गोधन न्याय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इन्हें भी पढ़ें :- नेपियर घास बाड़ी या बंजर जमीन पर कैसे उगायें?
इन्हें भी पढ़ें :- बरसीम चारे की खेती कैसे करें? बरसीम चारा खिलाकर पशुओं का उत्पादन कैसे बढ़ायें?
इन्हें भी देखें :- दूध दोहन की वैज्ञानिक विधि क्या है? दूध की दोहन करते समय कौन सी सावधानी बरतें?
इन्हें भी पढ़े :- मिल्किंग मशीन क्या है? इससे स्वच्छ दूध कैसे निकाला जाता है.
इन्हें भी पढ़े :- पशुओं के आहार में पोषक तत्वों का पाचन कैसे होता है?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में अच्छे उत्पादन के लिये आहार में क्या-क्या खिलाएं?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में रासायनिक विधि से गर्भ परीक्षण कैसे करें?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुशेड निर्माण करने की वैज्ञानिक विधि
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में पतले दस्त का घरेलु उपचार.
इन्हें भी पढ़ें :- दुधारू पशुओं में किटोसिस बीमारी और उसके लक्षण
इन्हें भी पढ़ें :- बकरीपालन और बकरियों में होने वाले मुख्य रोग.
इन्हें भी पढ़ें :- नवजात बछड़ों कोलायबैसीलोसिस रोग क्या है?
इन्हें भी पढ़ें :- मुर्गियों को रोंगों से कैसे करें बचाव?
इन्हें भी पढ़ें :- गाय, भैंस के जेर या आंवर फंसने पर कैसे करें उपचार?
इन्हें भी पढ़ें :- गाय और भैंसों में रिपीट ब्रीडिंग का उपचार.
इन्हें भी पढ़ें :- जुगाली करने वाले पशुओं के पेट में होंनें वाली बीमारी.
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में फ़ूड प्वायजन या विषाक्तता का उपचार कैसे करें?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में गर्भाशय शोथ या बीमारी के कारण.
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं को आरोग्य रखने के नियम.