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पशुओं में ईयर टैगिंग क्या है : What is Ear Tagging in Animals

पशुओं में ईयर टैगिंग क्या है : What is Ear Tagging in Animals, केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम चलाया है, जिसके तहत पशुओं को एक युआईडी टैगिंग करके उन्हें एक पहचान दी गई है. इस प्रक्रिया में पशुओं के कान में एक पीला टैग लगाया जाता है, जिस पर 12 अंको के पशुओं का आधार नंबर लिखा होता है. पशुओं की पहचान करने के लिये बछड़े/बछड़ा में छोटी उम्र में ही टैगिंग कर देना चाहिए ताकि पशु की पूरी हिस्ट्री और रिकार्ड रखा जा सके. यह टैग फुओं के लिये आधार कार्ड की तरह कार्य करेगा तथा ईयर टैग और टैगिंग का कार्य पुर्णतः निःशुल्क होता है. इसके आधार पर पशु व पशुपालक की सुचना का अभिलेखीकरण इनाफ INAPH साफ्टवेयर में किया जायेगा. पशुओं में टैग लगाने के लिये आप बाजार से भी टैग खरीद सकते है. इन टैगों में ज्यादातर प्लास्टिक के टैग लगाए जाते हैं इन्हें ईयर टैगिंग भी कहते हैं.

What is Ear Tagging in Animals
What is Ear Tagging in Animals

पशुओं का टैगिंग बड़े पैमाने पर पशु चिकित्सा विभाग द्वारा भी किया जा रहा है. पशु चिकित्सा विभाग द्वारा कुछ-कुछ स्थानों में टैगिंग का कार्य भी पूरा किया जा चूका है. जिन पशुपालकों के गाय, भैंस इत्यादि में टैगिंग नहीं हुआ है वे अपने नजदीकी पशु चिकित्सा विभाग में जाकर अपने समस्त पशुओं का टैगिंग करवा सकते हैं. टैगिंग करते समय सबसे पहले पशुओं के कान को साफ़ करें और स्पिरिट से कीटाणु रहित करें उसके बाद ही धातु या प्लास्टिक का टैग लगाना सुनुश्चित करें. पशुओं को टैग लगाते समय यह ध्यान देना चाहिए की टैग कान के नशों/नाड़ी में चोट लागने से बचाना चाहिए. यह टैग आपको डेयरी के सामान वाली दुकान से भी खरीद सकते हैं.

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पशुओं में ईयर टैग लगाने के फायदे

1 . पशुओं को लगाये जाने वाले ईयर टैग में 12 अंकों यूनिक कोड युक्त कान का छल्ला अर्थात ईयर टैग से पशु और पशु मालिक की आसानी से पहचान किय जा सकता है.

2. टैग में दर्शाये गए 12 अंको के पशु आधार नम्बर से खोये अथवा चोरी हुए पशु के असली पशु मालिक का आसानी से पहचान किया जा सकता है.

3. पशु का नस्ल, वंशावली और उत्पादन क्षमता का पूर्ण विवरण ऑनलाइन दर्ज किया जायेगा, जिससे पशु की क्रय-विक्रय होने पर पशुपालकों को समुचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा.

4. भविष्य में पशुओं की ऑनलाइन बिक्री और खरीदी प्रक्रिया में पशुओं की टैगिंग, इनाफ पंजीकरण में बहुत की महत्वपूर्ण शाबित होगा.

5. पशुधन की बीमा हेतु अनुदान प्राप्त करने के लिये ईयर टैगिंग बहुत ही अनिवार्य और लाभदायक सिद्ध होगा.

6. पशुओं के टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान, कृमिनाशक दवापान, गर्भधारण परीक्षण, पशु का ब्यात और दूध उत्पादन क्षमता से संबंधित समस्त सूचनाओं का संग्रहण किया जाना संभव होगा.

7. इनाफ पंजीकृत समस्त पशुओं की सूचनाएं केन्द्रीय डाटाबेस पर डीजीटलाईज की जाएगी, जो कि पशुपालक और अन्य लोगों को एक ही क्लिक पर उपलब्ध हो सकेगी.

8. इनाफ पंजीकृत पशुओं को विभागीय योजनाओं का लाभ प्राथमिकता के आधार पर दिया जायेगा.

9. पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान की चरणबद्ध प्रगति, ऑनलाइन अपडेट करने, नस्ल सुधार को नियंत्रित करने और कई प्रकार के बिमारियों के उन्मूलन में सहायक होने के साथ टैगिंग पशुओं के वंशावली का रिकार्ड रखने में भी सहायक होगा.

10. केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण खुरपका-मुंहपका (FMD) तथा ब्रुसेला (संक्रामक गर्भपात) टीकाकरण कार्यक्रम का लाभ केवल ईयर टैग लगे पशुओं को ही दिया जायेगा.

पशुपालकों से सहयोग की अपेक्षा

1 . ईयर टैगिंग आयर इनाफ रजिस्ट्रेशन हेतु पशुपालक पशु चिकित्सा कर्मियों को आवश्यक सहयोग करते हुए पशु और पशुपालक के संबंध में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएँ.

2. पशुपालक ईयर टैगिंग के दुरन पशुओं को बांधने या नियंत्रित करने में पशुचिकित्सा कर्मियों का आपेक्षित सहयोग प्रदान करें.

3. टैग लगाने के उपरांत 2-4 दिन तक ईयर टैग लगे कान का गन्दगी से बचाव करें एवं उस पर सरसों का तेल और हल्दी मिलाकर लगायें.

4. कान में घाव या सुजन होने की स्थिति में घाव पर एंटिसेप्टिक दवाई लगायें या जरुरत पड़ने पर नजदीकी पशुचिकित्सा विभाग से उपचार करायें.

5. पशुओं में यदि पूर्व में 12 डिजिट का नंबर वाला टैग लगा है तो दोबारा पशु में टैग नहीं लगवाएं.

प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

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