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डेयरी उत्पाद एवं उनका मूल्य संवर्धन क्या है । What is Dairy Products And Their Value Addition

डेयरी उत्पाद एवं उनका मूल्य संवर्धन क्या है । What is Dairy Products And Their Value Addition ‘दूध एक शुद्ध ताज़ा लैक्टियल स्त्राव है जो एक या एक से अधिक स्वस्थ एवं उचित रूप से पोषित गायों के पूर्ण दोहन से प्राप्त किया जाता है। इस दूध में पशु के ब्याने के 15 दिन पूर्व तथा 5 दिन बाद तक का दूध सम्मिलित नहीं किया जाता है।’ इस दूध में दुग्ध वसा तथा वसा विहीन पदार्थों की न्यूनतम मात्रा क्रमशः 3.25% एवं 8.5% होनी चाहिए – संयुक्त राष्ट्र अमेरिका।

What is Dairy Products And Their Value Addition
What is Dairy Products And Their Value Addition

दूध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का नंबर-1 देश बन चुका है। खाद्य और कृषि संगठन कॉर्पोरेट सांख्यिकीय डेटाबेस (FAOSTAT) के उत्पादन आंकड़ों के अनुसार, भारत साल 2021-22 में वैश्विक दुग्ध उत्पादन में 24 प्रतिशत योगदान देने वाला दुनिया का सबसे अधिक दुग्ध उत्पादक देश है।

पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा डेयरी क्षेत्र में आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को लाभान्वित करने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा, डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम का उद्देश्य दूध, दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ाना और संगठित खरीद, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन की हिस्सेदारी बढ़ाना है।एनपीडीडी को फरवरी 2014 में तीन मौजूदा योजनाओं- गहन डेयरी विकास कार्यक्रम, गुणवत्ता और स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और सहकारी समितियों को सहायता को मिलाकर शुरू किया गया था। जुलाई 2021 में दूध उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने और संगठित खरीद, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन की हिस्सेदारी बढ़ाने के उद्देश्य से एनपीडीडी का पुनर्गठन किया गया है।

आदर्श डेयरी फार्मिंग पशुधन योजनायें
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दूध में उपस्थित पोषक तत्व एवं उनका महत्व

दूध में शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व पाये जाते हैं यह नवजातों का एक मात्र भोजन है अतः दूध एक लगभग पूर्ण भोजन है जिसमें सभी पोषक तत्व जैसे वसा, कार्बोहाईइड्रेट, प्रोटीन, एन्जाईम, खनिज तत्व तथा विटामिन आदि उपस्थित होते हैं। मनुष्यों में शिशु के लिए अपनी माँ का दूध सवोंत्तम एवं आदर्श भोजन है।

दूध पीने के फायदे

  • यह एक लगभग सम्पूर्ण एवं आदर्श भोजन है।
  • पाचनशक्ति में सुधार करता है।
  • इम्युनोग्लोबुलिन से युक्त होने के कारण प्रतिरक्षा बढ़ाता है।
  • हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है।
  • विटामिन बी जो ऊर्जा चयापचय प्रतिक्रियाओं में शामिल है, की उपस्थिति के कारण चिंता तनाव और थकान से आराम देता है।
  • वसा रहित दूध पर आधारित भोजन प्लान वजन कम करने मे मदद करता है।
  • स्किम दूध के सेवन से हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • त्वचा एवं बालों के स्वास्थ्य को बेहतर करता है।
  • हार्मोनल संतुलन बनाए रखने मे मदद करता है।
  • कैंसर की संभावना को कम करता है।
  • दूध मे पाया जाने वाली उच्च कैल्शियम की मात्र के कारण ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डी से संबंधित बीमारी को रोकता है।
  • दूध कैसिइन प्रोटीन प्रचुर मात्र मे पाया जाता है जो शरीर के विकास को बढ़ाता करता है।
  • दूध में विटामिन की मात्रा अधिक होती है।
  • शरीर के ग्लूकोज स्तर को नहीं बढ़ाता है।
  • विटामिन ए और ज़िंक की उपलब्धता के कारण अच्छी दृष्टि को बढ़ावा देता है।
  • दूध में ग्लूटाथियोन और लगभग 6% ज़िंक पाया जाता है जिसके कारण यह मस्तिष्क को लाभ पहुंचाता है और स्मृति को बढ़ावा देता और ऑक्सीडेटिव तनाव को दूर करने में और मस्तिष्क को पुनर्जीवित करने में सहायता करता है।
  • कैल्शियम की मात्र में समृद्धि के कारण मासिक धर्म पूर्व सिंड्रोम को कम करने में मदद करता है।
  • बॉडी बिल्डिंग में व्हेय मदद करता है।
  • स्किम्ड दही का सेवन मोतियाबिंद के कम जोखिम को कम करता है।
  • कैल्शियम, विटामिन डी और लैक्टोफेरिन में एंटीकार्सिनोजेनिक प्रभाव दिखाई देता है।
  • गर्म दूध में पाये जाने वाले ट्रिप्टोफैन के कारण बेहतर नींद आने मे और शरीर को आराम करने के लिए प्रेरित करने में मदद करता है।
  • शाकाहारी लोग दूध, दही, आइसक्रीम, पनीर का सेवन कर सकते हैं।

दुग्ध उत्पाद एवं मूल्य संवर्धन

दूध की तुलना में दूध से बने उत्पाद की संग्रह आयु अपेक्षाकृत अधिक होती है। साथ ही दुग्ध के उत्पाद बनाकर उचित दाम पर बेंचकर हम अपनी आय को भी बढ़ा सकते हैं, जिसको मूल्य संवर्धन भी कहते हैं। दुग्ध उत्पाद या डेयरी उत्पाद से अभिप्राय उन खाद्य वस्तुओं से है जो दूध से बनती है। ये आमतौर पर उच्च उर्जा प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थ होते हैं।

उत्पादन विधि के आधार पर इन दुग्ध पदार्थों को 5 प्रमुख समूहों में विभक्त किया गया है…

  1. संघनित दुग्ध पदार्थ (Condensed/ Heat Desiccated Milk Products) – इस वर्ग में पेड़ा (खोआ) तथा इससे निर्मित मिठाइयाँ जैसे – गुलाब जामुन, बर्फी तथा पेड़ा आदि आते हैं।
  2. उष्मातथा अम्ल–अवक्षेपित पदार्थ (Heat and Acid Precipitated Products) – इस वर्ग में छैना, पनीर, संदेश, पैन्टूआ, रसगोलाआदि पदार्थ को इस समूह में सम्मिलित किया गया है।
  3. किण्वित दुग्ध पदार्थ (Cultured Milk Product) – दही, मक्खन, छाछ, लस्सी, तथा श्रीखंड इस वर्ग के पदार्थ हैI
  4. उच्च वसायुक्त उत्पाद(High Fat Products) – जैसे- क्रीम, मक्खन, घी आदि।
  5. हिमीकृत पदार्थ(Frozen Products) – जैसे- कुल्फी, मलाईका बर्फ, आईस कैंडी आदि।
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मूल्य संवर्धित डेयरी उत्पाद –

  1. पेड़ा (खोआ) – दूध से जल को तीव्र गति से वाष्पित करने को हम (पेड़ा) खोआ कहते हैं। इसमें ताप को तेज रखकर ऊबाला जाता है तथा दूध को हर वक्त चलाते रहना होता है। दूध गर्म करने का बर्त्तन का मुँह चौड़ा होना चाहिए। अंतिम वक्त में तापक्रम कम रखना चाहिए नहीं तो खोआ जलने की संभावना अधिक होती है। अगर इसे पैक करके बाजार में बेचना हो तो नमी अवरोधक बटर पेपर में पैकिंग करना चाहिए।
  2. रबड़ी बनाना – यह एक मीठा संघनित पूर्ण दूध पदार्थ है। इसको बनाने के लिए चौड़े मुँह वाले बर्त्तन में गर्म करना चाहिए। उबलते हुए दूध के ऊपर पतली परत जम जाती है जिसको इक्ट्ठा करके रखते हैं और यह प्रक्रिया चलती रहती है जब तक दूध बर्त्तन में गाढ़ा नहीं हो जाए। जब बर्त्तन में दूध की मात्रा 1/6 तब बच जाए तब तक यह क्रिया चलती रहती है। अब सारे जमे हुए क्रीम को इक्ट्ठा करके उसमें चीनी मिला देते हैं।
  3. छेना –छेना मुख्य रूप से गाय के दूध से तैयार किया जाता है। छेना का उपयोग विभिन्न प्रकार की मिठाई के लिए किया जाता है जैसे कि रसगुल्ला, चम्चम, रसोमलाई, पंतोआ आदि।
  4. लस्सी बनाना – दही में पानी तथा मक्खन मिलाकर मथनी से मथ लेते हैं इसके पश्चात उसमें चीनी मिला देते हैं और अपनी पसंद के अनुरूप उसमें सूखे मेवे डाल कर लस्सी बनाते हैं।
  5. दही – दही सुहावनी गन्ध युक्त देशी किण्वित दुग्ध पदार्थ है जो दूध में लैक्टिक अम्ल जीवाणुओं द्वारा लैक्टिक अम्ल किण्वन से तैयार होता है तथा पूरे देश मैं बड़ी रुचि के साथ उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग चक्का, श्रीखण्ड तथा पायोधी बनाने के काम आता है। दही में 8 से 1.2% तक लैक्टिक अम्ल पाया जाता है। अम्लता प्रतिशत के आधार पर मीठी दही और खट्टी दही नाम से इसे दो वर्गों में बांटते हैं। यह पूरे देश में बनाया जाता है।
  6. योगर्ट – योगर्ट एक किण्वित दुग्ध पदार्थ है जो लैक्टिक अम्ल जीवाणुओं की दो उपभेदों की सिम्बायोटिक गतिविधि द्वारा तैयार होता है। ये जीवाणु स्ट्रेप्टोकोकस थर्मोफिलस तथा लैक्टोबैसिलस बुलगारिकस है।

दही तथा योगर्ट में भिन्नता – योगर्ट अर्थ ठोस (Semi-Solid) होता है जबकि दही हल्की कड़ी (Slightly Firm) होती है। योगर्ट का गाढ़ापन कस्टर्ड की तरह होता है जबकि दही का पूरी गाढ़ी होती है।

  1. कन्डेंस्ड मिल्क– यह एक मीठा संघनित पूर्ण दूध पदार्थ है। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1955 के अनुसार- कुल ठोस-31%, वसा– 8%  तथा चीनी– 40% होना चाहिए।
  2. क्रीम – दूध को किसी बर्तन से कुछ समय तक स्थिर रखने पर, ऊपरी सतह पर वसा के छोटे-छोटे कण एक परत (Layer) के रूप में एकत्रित हो जाते हैं। इस परत को Cream Layer या मलाई (Malai) कहा जाता है। क्रीम में वसा का कोई निश्चित स्तर नहीं है। बाजार में प्राय: 40-45% वसा युक्त क्रीम उपलब्ध होती हैं।
  3. बटर – बटर, क्रीम को मथकर एकत्रित किये हुए वसा कणों की गुथाई (Working) तथा धुलाई (Washing) के बाद प्राप्त दूध पदार्थ है। वास्तव में यह क्रीम वसा के Fat in Water पायस (Emulsion) का Water in Fat पायस में रूपान्त्रित रूप है जो मथने की क्रिया द्वारा रूपान्त्रित होता है। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1955 के अनुसार बटर में कम से कम 80% वसा, तथा अधिकतम 1.5% कर्ड व 3.0% साधारण नमक होना चाहिए।
  4. चीज़ – चीज़ विश्व बाजार का प्रमुख दुग्ध पदार्थ है। अनुमानत: यह पदार्थ संसार में विभिन्न नामों से लगभग 4,000 वर्ष पूर्व से बनाया जा रहा है। यह दुग्ध ठोस को संरक्षित तथा परिरक्षित करने की सर्वोत्तम विधि रही है। 
  5. आइस्क्रीम – दूध को गाढ़ा करके उसमें कस्टर्ड पाऊडर, चीनी, काजु, किसमिस, बदाम तथा छोहाड़ा भी मिला सकते हैं। इस तैयार मिश्रण को फ्रीज में 4-5 डिग्री सेल्सियस पर जमने के लिए अपनी मनचाही बर्त्तन में छोड़ देते हैं। इस प्रकार आइस्क्रीम तैयार हो जाती है।
  6. मक्खन बनाना – मक्खन एक दूध पदार्थ है, जो क्रीम को मथने से प्राप्त होता है। जिसमें वसा 80% तथा जल 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  7. घी बनाना – जब हम दही से मक्खन बनाते हैं और उस मक्खन को कड़ाही में गर्म करते हैं तो मक्खन पीघल जाता है। पिघलने के बाद मक्खन तरल में परिवर्तित हो जाती है। अब पतली मखमली कपड़े से छान कर हम घी निकाल लेते हैं।

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