कृषि और पशुपालनडेयरी फ़ार्मिंगपशुधन की योजनायेंपशुधन संसारभारत खबरविश्व खबर

राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना : State Dairy Entrepreneurship Development Scheme

राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना : State Dairy Entrepreneurship Development Scheme, छत्तीसगढ़ राज्य में डेयरी उद्यमिता की अपार संभावनाएं है. दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों के उत्तरोत्तर बढ़ती हुई मांग के दृष्टिगत आपूर्ति सुनुश्चित करने डेयरी इकाई की स्थापना अपरिहार्य है. उत्तम नस्ल की गाय, भैंस का पालन एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित हो रहा है. युवाओं को डेयरी क्षेत्र में व्यवसाय प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य डेयरी उद्यमिता योजना संचालित की जा रही है. यह योजना न सिर्फ नवीन उद्द्यमियों को डेयरी इकाई स्थापना हेतु प्रेरित करेगी बल्कि वर्तमान में गाय, भैंस पालन कर रहे पशुपालकों को पशु संख्या की बढ़ोतरी में सहायक सिद्ध होगी जिससे राज्य में दुग्ध उत्पादन एवं आपूर्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.

State Dairy Entrepreneurship Development Scheme
State Dairy Entrepreneurship Development Scheme

राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना का उद्देश्य

  1. योजना के माध्यम से स्वरोजगार में वृद्धि करना.
  2. डेयरी विकास की अवधारणा अनुसार अधिक से अधिक हितग्राहियों के लिये आय की अतिरिक्त स्रोत के रूप में डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित करना.
  3. प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों में दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद उपभोग के प्रति जन सामान्य में रूचि उत्पन्न कर बेहतर पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना.
  4. दुग्ध उत्पादन में संलग्न परिवारों की डेयरी इकाई का विस्तार करना.
  5. दुग्ध उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना.

डेयरी इकाई अनुदान वितरण

क्र.घटक का नामकुल वित्तीय लागत (रु. लाख में)सामान्य श्रेणी हितग्राही हेतु अनुदान राशिअ.जा./अ.ज.जा. हितग्राही हेतु अनुदान राशि
1.भारतीय दुधारू नस्ल की गाय (गिर, साहीवाल, रेड्सिंधी, थारपारकर आदि)/उन्नत संकर नस्ल की गाय/उन्नत नस्ल की भैंस.अधिकतम 2 दुधारू नस्ल के पशु हेत राशि 1.40 लाख रु.(70 लाख प्रति पशु 3 वर्ष की पशुबीमा सहित)दुधारू पशु के वास्तविक लागत का 50% अधिकतम राशि 0.70 लाख रु.दुधारू पशु के वास्तविक लागत का 66.6% अधिकतम राशि 0.932 लाख रु.

महत्वपूर्ण लिंक :- लम्पी बीमारी का विस्तारपूर्वक वर्णन.

अनुदान की पात्रता एवं हितग्राही पात्रता विवरण

  • इस योजना के अंतर्गत अधिकतम 2 पशु क्रय किये जा सकेंगें. सामान्य वर्ग हेतु दुधारू पशु के वास्तविक लागत का 50% अधिकतम (0.70 लाख रु.) तथा अ.जा./अ.ज.जा. वर्ग हेतु दुधारू पशु के वास्तविक मूल्य लागत का 66.6% अधिकतम 0.932 लाख रु. अनुदान अनुमत्य होगा.
  • योजना अंतर्गत निहित प्रावधान से अधिक व्यय हितग्राही द्वारा स्वयं वहन किया जायेगा और उस पर कोई अनुदान देय नहीं होगा.
  • पशु को क्रय किये जाने पर दुधारू पशु को दूध पर होना चाहिए तथा पशु का उम्र 5 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए.
  • क्रय किये गए पशु का क्रय करते समय न्यूनतम दुग्ध उत्पादन 10 लीटर होनी चाहिए. दुधारू पशु का शारीरिक बनावट व Udder Size (थन का आकार) ऐसा होना चाहिए जिससे एक Lactation Period (दुग्ध अवधि) में हितग्राही को न्यूनतम 2000 लीटर दूध ( औसत 8 लीटर ) प्रतिदिन प्राप्त हो सके.
  • पशु बीमा 5 वर्ष की अवधि के लिये होगा. डेयरी इकाई स्थापना के समय न्यूनतम 3 वर्ष की अवधि के लिये पशु बीमा अनिवार्य होगा. उक्त अवधि में स्थापित डेयरी इकाई की निरंतरता अनिवार्य होगा.
  • भूमिहीन, लघु एवं सीमांत कृषक, गरीबी रेखा के निचे के परिवार, दुग्ध सहकारी समिति के सदस्यों, दुग्ध संकलन मार्ग पर स्थित ग्रामों, गरवा योजना के अंतर्गत चिन्हित ग्रामों के पशुपालकों, महिला स्व सहायता समूहों के सदस्यों एवं पूर्व से दुग्ध उत्पादन में संलग्न परिवार को योजना अंतर्गत प्राथमिकता दी जाएगी.
  • हितग्राही छत्तीसगढ़ में कम से कम 5 वर्ष से निवास कर रहा हो.
  • संयुक्त परिवार के एक 01 हितग्राही को अनुदान की पात्रता होगी.
  • ऐसे हितग्राही को योजना में सम्मिलित नहीं किया जायेगा जिसके पास पूर्व से कम से कम 2 उन्नत नस्ल पशु हैं.

फंडिंग पैटर्न, योजना का क्रियान्वयन एवं इकाई स्थापना हेतु दिशा निर्देश :-

योजना अंतर्गत हितग्राही द्वारा इकाई को बैंक ऋण के मध्यम से (बैंक लिंकेज) या स्वयं की पूंजी (स्व वित्तीय) से क्रियान्वित किया जा सकेगा. एक हितग्राही को किसी भी एक माध्यम (बैंक लिंकेज या स्व वित्तीय) से ही अनुदान की पात्रता होगी. एक बार अनुदान प्राप्त कर चुके हितग्राही को योजना अंतर्गत आगामी अनुदान की पात्रता पूर्व अनुदान प्राप्ति दिनांक के 5 वर्ष पश्चात् होगी.

आवेदन प्रक्रिया –

  • विकास खंड सीमा के निकटस्थ पशु चिकित्सा संस्था (पशु औषधालय, कृत्रिम गर्भाधान उपकेंद्र, मुख्य ग्राम इकाई, पशु चिकित्सालय, कृत्रिम गर्भाधान केंद्र, मुख्य ग्राम खण्ड) में निर्धारित प्रपत्र में किया जायेगा.
  • दस्तावेज (सत्यापित छायाप्रति) – पहचान पत्र, छ.ग. के मूल निवासी प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण-पत्र, पता सत्यापन दस्तावेज, इकाई स्थापना सम्बन्धी स्थान का विवरण, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, स्व-वित्तीय प्रकरण में लागत राशि के स्रोत सम्बन्धी विवरण.
  • पूर्व से दुधारू पशुपालन हेतु जुड़े आवेदक को दुधारू पशु व डेयरी के छायाचित्र प्रदाय करने होंगे.

आवेदन का पंजीकरण –

  1. विकास खंड स्तरीय संस्था – पशु चिकित्सालय/कृत्रिम गर्भाधान केंद्र/मुख्य ग्राम खंड में आवेदन का पंजीकरण निर्धारित पणजी में किया जायेगा.
  2. पंजीयन में – क्रमांक/वित्तीय वर्ष/संस्था का नाम/दिनांक दर्ज होगा.
  3. विकास खंड स्तरीय संस्था में पंजीयन उपरान्त आवेदन पत्रों का परीक्षण उपरान्त सीधे विभागीय जिला कार्यालय में प्रेषित किया जायेगा. जिला कार्यालय द्वारा प्राप्त बैंक लिंक्ड आवेदन पत्रों का परीक्षण उपरांत बैंकों को भेजा जावेगा एवं पणजी में संधारित किया जावेगा.

हितग्राही चयन प्रक्रिया –

बैंक लिंक्ड – संयुक्त/उपसंचालक पशु चिकित्सीय सेवाएं द्वारा, आवेदक द्वारा सुझाये गए बैंक को आवेदन प्रेषित किया जायेगा. बैंक द्वारा ऋण स्वीकृति एंव राशि जारी करने पर संयुक्त/उपसंचालक पशु चिकित्सीय सेवाएं को एनेक्सर-1 प्रस्तूत किया जायेगा. एनेक्सर-1प्राप्ति होने पर आवेदक अंतिम रूप से चयनित माना जायेगा. चयनित आवेदकों को विभागीय जिलाधिकारीयों के साथ डेयरी इकाई स्थापना से संबंधित शर्तों को पूरा करना होगा.

स्ववित्तीय – पंजीकृत आवेदन पत्र का जनपद पंचायत (कृषि स्थायी समिति) से अनुमोदन पश्चात् जिला पंचायत (कृषि स्थायी समिति) से अनुमोदित हितग्राही अंतिम रूप से चयनित माना जायेगा. चयनित आवेदक को संयुक्त/उपसंचालक पशु चिकित्सीय सेवाएं के साथ डेयरी इकाई स्थापना इकाई शर्तों से संबंधित अनुबंध करना होगा. चयनित हितग्राही को अंतिम रूप से चयन की सुचना दी जाएगी एवं स्वीकृति अनुसार डेयरी इकाई स्थापना एवं सत्यापन के पश्चात् निर्धारित प्रपत्र में अनुदान हेतु आवेदन किया जायेगा.

इन्हें भी पढ़ें : प्रतिदिन पशुओं को आहार देने का मूल नियम क्या है?

इन्हें भी पढ़ें : एशिया और भारत का सबसे बड़ा पशुमेला कहाँ लगता है?

इन्हें भी पढ़ें : छ.ग. का सबसे बड़ा और पुराना पशु बाजार कौन सा है?

इन्हें भी पढ़ें : संदेशवाहक पक्षी कबूतर की मजेदार तथ्य के बारे में जानें.

प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

Most Used Key :- गाय के गोबर से ‘टाइल्स’ बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें?

पशुओ के पोषण आहार में खनिज लवण का महत्व क्या है?

किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.

-: My Social Groups :-

पशुधन खबरपशुधन रोग
इन्हें भी पढ़ें :- गाय, भैंस की उम्र जानने का आसान तरीका क्या है?
इन्हें भी पढ़ें :- बटेर पालन बिजनेस कैसे शुरू करें? जापानी बटेर पालन से कैसे लाखों कमायें?
इन्हें भी पढ़ें :- कड़कनाथ मुर्गीपालन करके लाखों कैसे कमायें?
इन्हें भी पढ़ें :- मछलीपालन व्यवसाय की सम्पूर्ण जानकारी.
इन्हें भी पढ़ें :- गोधन न्याय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इन्हें भी पढ़ें :- नेपियर घास बाड़ी या बंजर जमीन पर कैसे उगायें?
इन्हें भी पढ़ें :- बरसीम चारे की खेती कैसे करें? बरसीम चारा खिलाकर पशुओं का उत्पादन कैसे बढ़ायें?
इन्हें भी देखें :- दूध दोहन की वैज्ञानिक विधि क्या है? दूध की दोहन करते समय कौन सी सावधानी बरतें?
इन्हें भी पढ़े :- मिल्किंग मशीन क्या है? इससे स्वच्छ दूध कैसे निकाला जाता है.
इन्हें भी पढ़े :- पशुओं के आहार में पोषक तत्वों का पाचन कैसे होता है?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में अच्छे उत्पादन के लिये आहार में क्या-क्या खिलाएं?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में रासायनिक विधि से गर्भ परीक्षण कैसे करें?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुशेड निर्माण करने की वैज्ञानिक विधि
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में पतले दस्त का घरेलु उपचार.
इन्हें भी पढ़ें :- दुधारू पशुओं में किटोसिस बीमारी और उसके लक्षण
इन्हें भी पढ़ें :- बकरीपालन और बकरियों में होने वाले मुख्य रोग.
इन्हें भी पढ़ें :- नवजात बछड़ों कोलायबैसीलोसिस रोग क्या है?
इन्हें भी पढ़ें :- मुर्गियों को रोंगों से कैसे करें बचाव?
इन्हें भी पढ़ें :- गाय, भैंस के जेर या आंवर फंसने पर कैसे करें उपचार?
इन्हें भी पढ़ें :- गाय और भैंसों में रिपीट ब्रीडिंग का उपचार.
इन्हें भी पढ़ें :- जुगाली करने वाले पशुओं के पेट में होंनें वाली बीमारी.
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में फ़ूड प्वायजन या विषाक्तता का उपचार कैसे करें?
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं में गर्भाशय शोथ या बीमारी के कारण.
इन्हें भी पढ़ें :- पशुओं को आरोग्य रखने के नियम.