करही के दो पत्ते दूर करेंगे पशुओं का बांझपन : Patte Khilane Se Nahi Hoga Pashu Me Banjhpan Rog
करही के दो पत्ते दूर करेंगे पशुओं का बांझपन : Patte Khilane Se Nahi Hoga Pashu Me Banjhpan Rog, इन दिनों पशुपालक किसानों की सबसे बड़ी समस्या पशुओं में रिपीट ब्रीडिंग की है. आपके पशु में रिपीट ब्रीडिंग की समस्या को यह दो पत्तों को खिलाकर दूर किया जा सकता है.
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ के अधिकतर किसान कृषि के साथ-साथ पशुपालन और डेयरी व्यवसाय से भी जुड़े हुए हैं. वे कृषि के साथ-साथ गाय-भैंस का भी पालन करते हैं और इससे मोटा मुनाफा भी कमाते हैं. लेकिन कई बार यह डेयरी व्यवसाय लाभ की जगह घटे का सौदा बन जाती है. क्योंकि पशुओं को खिलाने-पिलाने और रख-रखाव का सौदा महंगा पड़ जाता है.
ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पशुओं में कई प्रकार के रोग होते हैं. इससे पशु समय पर नहीं ब्याते हैं. अगर पशु समय पर बच्चा जन्म नहीं देगी तो किसानों को इससे कितना नुकसान होगा, इसका अंदाजा आप खुद भी लगा सकते हैं.
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किसानों को पशुओं में हो रही इस समस्या का नाम रिपीट ब्रीडिंग यानी बाँझपन है. रिपीट ब्रीडिंग को कृषि विज्ञान कोई रोग मानते ही नहीं है. लेकिन फिर भी इसी वजह से किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना या सहना पड़ता है. गाय भैंस की समय पर नहीं ब्याने की समस्या क्यों आती है? और इसका उपचार क्या हो सकता है? ऐसे सवालों के जवाब पर कृषि विज्ञान केंद्र बेगुसराय के पशु रोग विशेषग्य डॉ. विपिन कुमार ने दी है.
इन वजहों से हो रही रिपीट ब्रीडिंग
पशु रोग विशेषग्य डॉ. विपिन कुमार ने बताया पशुओं में रिपीट ब्रीडिंग के बढ़ने के कई संभावित कारण हो सकते हैं. जैसे पशुओ में संक्रामक रोग, परजीवी संक्रमण या पोषण की कमी रिपीट ब्रीडिंग का कारण हो सकती है.
यदि पशुओं को उचित और संतुलित आहार नहीं मिल रहा है, तो यह प्रजनन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है. पशुओं की देखाबह्ल स्वास्थ्य जाँच और प्रबंधन में अक्मी से भी रिपीट ब्रीडिंग बढ़ सकती है. कुछ नस्लों में आनुवंशिक समस्याएं हो सकती है जो रिपीट ब्रीडिंग का कारण बनती है.
यदि पशुपालकों को सही मार्गदर्शन या सलाह नहीं मिल रहा है, तो वे प्रजनन प्रबंधन में गलतियाँ कर सकते हैं. इन कारणों को पहचानकर और सुधारात्मक कदम उठाकर रिपीट ब्रीडिंग की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है.
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इस दो पत्ती में छिपा है रिपीट ब्रीडिंग का राज
बेगुसराय में पिछले 40 वर्षों से पशुपालन कर रहे किसान ने बताया कि रिपीट ब्रीडिंग की समस्या आती ही है. इसके उपचार में तक़रीबन 10000 रु. तक खर्च हो जाती है. बरौनी डेयरी के सचिव कपिल देव सिंह ने बताया लगभग 50% किसानों में यह समस्या सामने आ रही है. ऐसे में ईलाज में देशी उपचार की बात हो तो भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान बरेली ने एक तकनीक विकसित की है. इसमें किसान बेल और करही के पत्तों को सुखाकर, फिर उसको रोजाना 100 ग्राम की मात्रा में 10 दिनों तक देने से पशुओं में बाँझपन की समस्या दूर हो जाती है.
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प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
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