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आर्गेनिक दूध घी मक्खन से लाखों कैसे कमायें : Organic Dudh Ghee Makkhan Se Lakhon Kaise Kamayen

आर्गेनिक दूध घी मक्खन से लाखों कैसे कमायें : Organic Dudh Ghee Makkhan Se Lakhon Kaise Kamayen, यदि आप अपने पशुओं से गुणवत्ता युक्त दूध, घी और मक्खन का उत्पादन चाहते है तो आपको आर्गेनिक चारा खिलाना आवश्यक है। जो कि आपके लिए नामुमकिन नहीं है।

Organic Dudh Ghee Makkhan Se Lakhon Kaise Kamayen
Organic Dudh Ghee Makkhan Se Lakhon Kaise Kamayen

आप जानते हैं कि बाजार में A1-A2 दूध का फर्क बताकर बड़ा कारोबार किया जा रहा है। आर्गेनिक दूध-घी और मक्खन का बाजार भी बड़ा होता जा रहा है। A1-A2 दूध भी गाय-भैंस आधारित ही है। लेकिन ऑर्गेनिक दूध-घी का बाजार सबके लिए खुला है। यहां तक कि भेड़-बकरी का दूध बेचने वाले भी इस बाजार में शामिल हो सकते हैं।

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डेयरी एक्सपर्ट कि माने तो आर्गेनिक दूध-घी के इस बाजार में बड़ा मुनाफा है। बाजार में ऑर्गेनिक दूध-दही और घी-मक्खन ही नहीं आर्गेनिक मीट कि भी डिमांड बढ़ रही है। एनीमल एक्सपर्ट कि माने तो दूध और मीट किसी दवाई से आर्गेनिक नहीं बनेंगे।
इसके लिए पशुओं कि बीमारी में एंटीबायोटिक दवाई का इस्तेमाल काम करने के साथ ही उन्हें सभी तरह का ऑर्गेनिक चारा खिलाना होगा। चारा हरा हो या सूखा या फिर मिनरल मिक्सचर सभी ऑर्गेनिक होना चाहिए।

ऑर्गेनिक दूध या मीट का सर्टिफिकेट भी तभी मिलता है जब जाँच में सब कुछ सही पाया जाता है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना कोई उपयोजना भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) को बढ़ावा दे रही है।

गोबर मूत्र से ऐसे खाद बनायें (बीपीकेपी)

कृषि मंत्रालय से जुड़े कई संस्थानों में किसानों को आर्गेनिक चारा उगाने के बारे में बताया जा रहा है। इतनी ही नहीं बकरी और गाय रिसर्च सेंटर में खुद संस्थान भी खेतों में आर्गेनिक चारा ऊगा रहे हैं।

ऑर्गेनिक और नेचुरल फार्मिंग के लिए जीवामृत, नीमास्त्र और बीजामृत बनाया जा रहा है। चारा एक्सपर्ट साइंटिस्ट ने बताया कि जीवामृत बनाने के लिए गुड़, बेसन और देशी गाय के गो-मूत्र में मिट्टी मिलाकर बनाया जा रहा है। यह सभी चीज मिलकर मिट्टी में पहले से मौजूद फ्रेंडली बैक्टीरिया को और बढ़ा देते है। इसी का फायदा चारे को मिलता है।

दूध-घी और मीट कारोबार में भी फायदा

एक्सपर्ट साइंटिस्ट का कहना है कि बकरे-बकरियों और भैंस को खासतौर पर ऑर्गेनुक चारा खिलाने का बड़ा फायदा है। जब मीट एक्सपोर्ट होता है तो उससे पहले हैदराबाद कि एक लैब में मीट कि जाँच होती है।

जाँच में यह देखा जाता है कि मीट में किसी तरह के नुक्सानदायक पेस्टीसाइड तो नहीं है। और यह सर बकरे के मीट ही नहीं बीफ के मामले में भी ऐसा ही होता है। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर मीट के कन्साइनमेन्ट को रोक दिया जाता है। इससे कारोबारी को बड़ा नुक्सान होता है।

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अभी इन राज्यों में बन रहे बीपीकेपी केंद्र

केंद्र सरकार ने भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) उप योजना के तहत आठ राज्यों छत्तीसगढ़, केरल, हिमांचल प्रदेश, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, ओडिसा, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु में बीपीकेपी केंद्र बनायें गए हैं। ये सभी केंद्र करीब चार लाख हेक्टेयर जमीन पर होने वाली नेचुरल फॉर्मिंग को कवर कर रहे हैं।

केंद्र सरकार कि इस योजना पर देश के आठ राज्यों में एक साथ काम चल रहा है। तीन साल में एक करोड़ किसानों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही इसके लिए १० हजार जैव संसाधन इनपुट केंद्र स्थापित करने कि योजना पर भी काम चल रहा है।

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