गौशाला के लिए गौकाष्ठ मशीन योजना क्या है । Gaushala Gaukashtha Machine Yojana Kya Hai
गौशाला के लिए गौकाष्ठ मशीन योजना क्या है । Gaushala Gaukashtha Machine Yojana Kya Hai, गौपालन विभाग ने गौशालाओं की आमदनी बढ़ाने और पशुधन से प्राप्त गोबर का सदुपयोग करने के लिए, गौशालाओं में गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन देने की योजना बनाई है।

ख़बरों के मुताबिक राजस्थान गोपालन विभाग ने राजस्थान के सभी गोशालाओं को गोबर से लकड़ी बनाने की पांच मशीन देने की योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत गोपालन विभाग द्वारा राजस्थान के गौशालाओं से आवेदन मांगे गए हैं।
इस योजना में पहले आओ पहले पाओ स्कीम के तहत गौशालाओं को फायदा दिया जाएगा। आपको बता दें कि सर्दी के समय भारी मात्रा में पेड़ों की कटाई होती है। अलाव (आग) जलाने के लिए अधिकांश लोग पेड़ों की लड़कियों का उपयोग करते हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए गोपालन विभाग ने इस योजना की शुरुआत की है। गोपालन विभाग की इस पहल से पर्यावरण को भी काफी अधिक फायदा होगा।
आवेदन के लिए शर्ते
इस योजना में आवेदन करने के लिए गौशाला में 600 गायें होना अनिवार्य है। आवेदन करने वाले गौशाला की जमीन भी स्वयं की होनी चाहिए। पूर्व में 1000 गायों वाली गोशालाओं को यह मशीन दी जानी थी, लेकिन बाद में इसे 600 कर दिया गया है। आपको बता दें कि नागौर जिले के आठ ब्लॉक में करीब 400 से अधिक गोशालाएं है, इसमें केवल चार ही आवेदन किया है। इस मशीन से एक दिन में लगभग 10 क्विंटल तक गोकाष्ठ तैयार किया जा सकता है।
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गोकाष्ठ कैसे बनायीं जाएगी?
गोपालन विभाग के अनुसार गोबर से लकड़ी बनाने के लिए मशीन लगाने के लिए सहायता दी जाएगी। गोकाष्ठ बनाने के लिए गोबर को मशीन में डाल दिया जाता है। इसके बाद 4 से 5 फीट लंबी लकड़ी बनकर निकल आती है। फिर उसे सूखा दिया जाता है। अनुमान के मुताबिक 1 क्विंटल गोबर से 1 क्विंटल गोकाष्ठ बनाई जा सकती है।
मशीनों से 1 दिन में करीब 10 क्विंटल गोबर की गोकाष्ठ बनाई जा सकती है। गोकाष्ठ को तैयार करने में ज्यादा समय नहीं लगता है। गोबर से बनी लकड़ी साधारण लकड़ी की तुलना में सस्ती और कम धुआं छोड़ने वाली होगी। इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा।
इन कार्यों में हो सकता है गोकाष्ठ का उपयोग
गोकाष्ठ का उपयोग रेस्टोरेंट के अलावा अंतिम संस्कार में किया सकता है। गांव में गोकाष्ठ का उपयोग कंडों की जगह खाना बनाने में किया जा सकता है। वहीं एक अंत्येष्टि में करीब 70 क्विंटल लकड़ी का उपयोग होता है। इस लकड़ी के लिए जितने पेड़ काटने की आवश्यकता होती, वे भी नहीं काटने होंगे।
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