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द वाइल्ड प्राइमर का जंगल सफारी में हुआ आयोजन : Jungal Safari Me The Wild Primer Ka Hua Aayojan

द वाइल्ड प्राइमर का जंगल सफारी में हुआ आयोजन : Jungal Safari Me The Wild Primer Ka Hua Aayojan, इस आयोजन के तहत वन्यजीवों के आवास जीवनकाल और अस्तित्व की चुनौतियों के बारे में जानकारी दी गई. आयोजन में पक्षियों, तितलियों और अन्य वन्य जीव-जन्तुओं के अवलोकन-भ्रमण के साथ विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्रदान की गई.

Jungal Safari Me The Wild Primer Ka Hua Aayojan
Jungal Safari Me The Wild Primer Ka Hua Aayojan

जंगल सफारी, नवा रायपुर में 31 अगुस्त 2024 को द वाइल्ड प्राइमर का आयोजन किया गया, जिसमें बायोडायवर्सिटी एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च सेंटर के सहयोग से ‘द वाइल्ड प्राइमर’ कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. इस कार्यक्रम में 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया और प्रकृति की विविधता को समझने का अनूठा अनुभव प्राप्त किया.

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Jungal Safari Me The Wild Primer Ka Hua Aayojan

इस कार्यक्रम की शुरुवात सुबह 7 बजे से हुई, जिसमें पक्षियों, तितलियों और अन्य वन्य जीव-जंतुओं के अवलोकन-भ्रमण के साथ जैव-पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं की जानकारी प्रदान की गई. प्रतिभागियों ने बटरफ्लाई प्रजातियों जैसेबैरोनेट, एगफ्लाई, एमिग्रांट और कॉमन क्रो तितलियों को नजदीक से देखा और उनके जीवनकाल के बारे में समझा.

वन्यजीव शोधकर्ता अनुपम सिंह सिसोदिया ने इस कार्यक्रम का संचालन किया. उन्होंने प्रत्येक तितली की कहानियों को जीवंत ढंग से प्रस्तुत किया, जैसे कि डैनिड एग्गफ्लाई तितली की मादा शिकारियों से बचने के लिए प्लेन टाइगर का अनुकरण करती है. उन्होंने तितलियों की पूंछ में मौजूद नकली आँखों और उनके आवास, जीवनकाल, और अस्तित्व के चुनौतियों के बारे में भी जानकारी दी.

कार्यक्रम के अंत में, नंदनवन जंगल सफारी के निदेशक ने समापन टिप्पणी दिया, जिसमें नागरिकों और छात्रों को वन्यजीव के बारे में जागरूक करने और संरक्षण के अवसरों का अन्वेषण करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने भारत सरकार के ‘लाइफ फॉर एनवायरनमेंट’ कार्यक्रम की भी चर्चा की और बताया कि हमें अपने जीवन को इस प्रकार चाहिए कि इससे अन्य जीवों को नुकसान न पहुंचे. इसके साथ ही, उन्होंने युवान कार्यक्रम की भी सराहना की और सभी प्रतिभागियों की सक्रीय भागीदारी की सराहना किया.

कार्यक्रम के आयोजक अनुपम सिंह सिसोदिया और गीतान्जोली दासगुप्ता ने इस कार्यक्रम की विशेष रुपरेखा तैयार की थी, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फ़ैलाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है.

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बकरियों के लिए दवा का काम करने वाले पत्ते

  • बकरीपालन की सबसे खास बात यह है कि इस काम में खर्चा बहुत कम होता है.
  • इसलिए आज हम आपको कुछ पत्तों के बारे में बताएँगे कि जो बकरियों के लिए दवा के बराबर काम करती है.
  • बकरियों को स्वस्थ रखने के लिए मोरिंगा, नीम, जामुन, बेल और अमरुद की पत्तियां खिलाना चाहिए.
  • नीम गिलोय की पत्तियां भी बकरी को कई सारी बीमारियों से बचाते हैं.
  • ये सभी पत्तियां बकरी को एक नहीं, बल्कि कई सारी बीमारियों से बचाते हैं.
  • मोरिंगा, नीम, जामुन, बेल और अमरुद में टेनिन कंटेंट और प्रोटीन होता है.
  • इसलिए पत्तियां खाने से बकरियों के पेट में कीड़े नहीं होते हैं.
  • जब बकरी के पेट में कीड़े नहीं होते तो उनका भी वजन तेजी से बढ़ता है.
  • बकरियों के पेट में कीड़े होने पर बहु सारी बीमारियाँ अपने आप होने लगती है.

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