इन्द्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर छ.ग. का विकास : Indravati Tiger Reserve Bijapur C.G. Ka Vikas
इन्द्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर छ.ग. का विकास : Indravati Tiger Reserve Bijapur C.G. Ka Vikas, छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग के इन्द्रावती टाइगर रिज़र्व बीजापुर को वन्य प्राणियों के अनुकूल बनाने के लिए घास के साथ ही 4-4 किलोमीटर में तालाब बनाया गया है. रिज़र्व की रिक्त भूमि में घास का मैदान विकसित किया गया है, ताकि वन्य प्राणी इसे अपने अनुकूल मानकर बसेरा बना सकें.
नरवा विकास कार्य के अंतर्गत परिसर मोरमेड के नेलकोय नाला में चेक डेम (तालाब) निर्माण कार्य किया गया. जानकारी के अनुसार रिज़र्व में 8 बाघ, 17 वनभैंसों के साथ दुसरे अन्य प्राणियों का कुनबा भी बढ़ा है. बाघों के लिए ग्रामीणों के साथ मिलकर जंगल में बाघों के रहवास वाले इलाके में जाकर उनके काम करेगी.
मनुष्यों के साथ पालतू जानवरों और कुत्तों से डरते हैं जंगली जानवर
बताया जा रहा है कि, पहले वन्य प्राणी बसाहट की वजह से मनुष्य, गाय-भैंस व कुत्तों को देखकर सहम जाते थे. अब यहाँ उनके अनुकूल घांस के मैदान एवं पानी के लिए तालाब हैं, जिससे शाकाहारी जानवरों की संख्या भी तेजी से बढ़ने की सम्भावना है. बाघों को भी अच्छा भोजन मिल रहा है., इसी वजह से इस क्षेत्र में क्षेत्र मे वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ने की सम्भावना बढ़ी है. इसके अलावा टाइगर रिज़र्व बीजापुर के विशेषग्य सूरज नायर ने गिद्धों के संरक्षण के लिए रिज़र्व से सटे गाँव में ग्रामीणों में जागरूकता का प्रचार प्रसार कर रहे हैं. साथ क्षेत्र में नये वन्य प्राणी मिलने की सूचना पर ग्रामीणों को पुरस्कृत किया जायेगा.
गावों में कर रहे प्रचार, मारे नहीं
इन्द्रावती टाइगर रिज़र्व बीजापुर के उप निदेशक संदीप बलगा ने बताया कि, रिज़र्व में रहने वाले वन्य प्राणीयों के लिए सटे हुए गांवों में ग्रामीणों के बीच प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि, वन्य प्राणियों को मारे नहीं बल्कि सुचना दें, ताहि उन्हें बचाया जा सके.
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बर्ड फ्लू से बचाने के लिए मुर्गियों की देखभाल ऐसे करें?
मुर्गी पालक किसानों के लिए यदि बर्ड फ्लू से बचाना है तो मुर्गियों की देखभाल ऐसे करें. क्योकि मुर्गियों को बारिश में कई गंभीर बीमारियाँ हो सकती है. मुर्गी पालक किसान अगर बरसात के मौसम में भी कम लागत में बेहतर मुनाफा कमाना चाहते हैं तो प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना होगा. जरा सी लापरवाही में भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है. हर साल बरसात के मौसम में यह समस्या आती है. बरसात में मुर्गी पालक किसान ठीक से उनकी देखभाल नहीं कर पाते हैं और नतीजा भयावह रहता है. हालात ये हो गये हैं कि बिहार झारखण्ड में किसान मुर्गी पालन न के बराबर करते हैं.
बारिश का मौसम पशुओं के लिए बहुत नाजुक वक्त होता है. नमी में बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है. मुर्गियों में बर्ड फ्लू जैसी बीमारी भी फ़ैल सकती है. इसलिए मानसून के इस मौसम में मुर्गियों की देखभाल में बहुत एहतियात बरतना पड़ता है. मुर्गी पालक किसान अगर बरसात के मौसम में भी कम लागत में बेहतर मुनाफा कमाना चाहते हैं तो प्रबंधन पोअर विशेष ध्यान देना होगा जरा सी लापरवाही में भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.हर साल ये समस्या आती है.
बरसात में मुर्गी पालक किसान ठीक से उनकी देखभाल नहीं कर पाते और नतीजा भयावह तहत है. हालात ये हो गये हैं कि बिहार झारखण्ड में किसान मुर्गी पालन न के बराबर करते हैं. बरसात के मौसम में जल भराव के कारण कीचड़ और कचरा हो जाता है. इसकी दुर्गन्ध और संड़ाध से मुर्गियों में कई तरह के रोग पनपते हैं. इसलिए ऐसे हालात से बचने के उपाय कृषि विज्ञान केंद्र के पशु रोग विशेषग्य बता रहें हैं.
पशु रोग डॉक्टर बताते है कि मुर्गी पालन के दौरान मुख्य रूप से हाउस मैनेजमेंट पर ध्यान देना होता है. किसान या मुर्गीपालक अपने फार्म को जमीं से 3-4 फीट जमीं से ऊपर लटका कर रखें. इससे बरसात के दिनों में फार्म में पानी जाने की आशंका ना के बराबर होगी. मुर्गी फार्म के अन्दर यह धयान रखना बेहद जरुरी है कि फार्म गिला ना हो. यदि फार्म गिला होगा तो मुर्गियां अवश्य बीमार होंगी. क्योंकि गिले जगह पर मच्छर और मक्खियों से भी संक्रमण फैलता है. बरसात में इनकी संख्या और बहुत बढ़ जाती है. इनके काटने से मुर्गियां बीमार भी पड़ सकती हैं. इसलिए मच्छर और मक्खियों से बचने के लिए मुर्गियों के बाड़े में प्लास्टिक शिट या पर्दा लगा देवें.
मुर्गियों को सूखी जगह पर रखें
पशु रोग विशेषग्य का मानना है कि मुर्गियों को नमी वाली जगह पर नहीं रखें. सूखी जगह पर मुर्गियां सुरक्षित रहेगी. इसके अलावा बारिश के मौसम में बैक्टीरिया और वायरस से उनके संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ जाता है. मुर्गियों को बीमारी से बचाने के लिए टीकाकरण जरुरी होता है. मुर्गी किस नस्ल की है उसके आधार पर टीकाकरण किया जाता है.
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प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
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