गाय भैंस की बीमा से किसानों को होगा फायदा : Pashuon Ke Bima Se Pashupalak Ko Hoga Fayda
गाय भैंस की बीमा से किसानों को होगा फायदा : Pashuon Ke Bima Se Pashupalak Ko Hoga Fayda, ऐसे पशुपालक जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं और गाय या भैंस पाल रखें हैं. तो पशुपालक गाय-भैंस का जल्द करायें बीमा, नुकसान या किसी भी दुर्घटना होने पर मिलेगा मुआवजा. प्रीमियम पर सरकार दे रही 90% की छुट.

पशुपालक किसान यदि आप गाय-भैंस का पालन करते हैं तो आपके लिए अपने पशुधन का बीमा कराना बहुत जरुरी है. क्योंकि आपके पशु का किसी दुर्घटना या किसी बीमारी के चलते मृत्यु या हानि होती है तो उस स्थिति में पशुपालक बिल्कुल लाचार हो जाता है, ऐसे में बीमाधन के रूप में तय राशि पशुपालक को प्रदान की जाती है.
पशुपालक विभाग द्वारा पशुओं एवं पशुपालकों के विकास के क्षेत्र में विभिन्न नविन योजनायें संचालित की जा रही है. पशुधन बीमा योजना जैसी कल्याणकारी योजनों को गुणवत्तापूर्ण रूप से युद्ध स्तर पर संचालित किया जा रहा है. पशुधन बीमा योजना के अंतर्गत ब्यापक प्रचार-प्रसार करते हुये पशुपालक के द्वार जाकर पशुओं का बीमा किया जाता है.
इनमें कार्यरत पशु चिकित्सक गाँव-गाँव घूमकर पशुओं का बीमा करेंगे. इसके अलावा जो किसान या पशुपालक पशुओं का बीमा कराना चाहते हैं, वह स्वयं भी पशु चिकित्सकों से संपर्क कर बीमा करा सकते हैं.
ऐसे पशुपालक जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं और उन्होंने गाय पालन या भैंस पाल रखे हैं. यदि किसी दुर्घटना से या किसी बीमारी के चलते उनके पशु की मृत्यु या हानि हो जाती है, तो उस स्थिति में पशुपालक बिल्कुल लाचार हो जाता है. ऐसे समय में तय राशि लाभार्थी को प्रदान की जाएगी. उस स्थिति को देखते हुए सरकार ने जोखिम प्रबंधन योजना संचालित की है, जिसमें पशुओं का बीमा कराया जाता है.
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. महेश कुमार कौशिक का कहना है कि जिसमें सामान्य व अन्य पिछड़ा वर्ग को प्रीमियम में 75% की छुट दी जाती है. वही अनुसूचित जाती/अनुसूचित जनजाति के पशुपालकों को 90% की छुट दी जाती है. इस योजना के तहत किसान बड़े पशुओं के साथ बकरियों का भी बीमा करवा सकते हैं.
ख़ास बात यह है कि उन्हें बीमा प्रीमियम की भी पूरी राशि नहीं देनी होगी. प्रीमियम का करीब 80% फीसदी हिस्सा सरकार स्वयं वाहन करेगी. अधिक जानकारी के लिए पशुपालक अपने क्षेत्र के पशु चिकित्सालय में जाकर उप मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी या पशुचिकित्सा अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं.
आदर्श डेयरी फार्मिंग | पशुधन योजनायें |
पशुधन ख़बर | बकरीपालन |
हीट में आने के बाद भी गाय-भैंस गाभिन ना हो तो घर पर ऐसे करें ईलाज
परंपरागत पशु चिकित्सा पद्धति आज भी कारगार शाबित हो रही है. यही वजह है कि नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) EVP का प्रचार करता है. डॉ. के. अर्चना, एनिमल एक्सपर्ट, केवीके, रामगिरी खिला, जिला पेद्दापल्ली, तेलंगाना ने किसान तक को बताया कि गाय-भैंस का गर्भधारण सुनिश्चित करने का ईलाज भी इस पद्धति से हो सकता है. और ये पूरी तरह से स्वदेशी ज्ञान पर आधारित है.

गाय भैंस सही से दूध देती रहे, वक्त पर बच्चा भी हो जाये तो इससे डेयरी को चार चाँद लगने से फिर कोई नहीं रोका सकता. गाय-भैंस का दूध देना और बच्चा होना दोनों एक दुसरे से जुड़े हुए होते हैं. क्योंकि अगर पशु वक्त से गाभिन होगा तो बच्चा भी वक्त से ही होगा और फिर वो दूध देना भी शुरू करेगा. अगर पशुपालक थोड़ा सा एलर्ट हो जाये तो दूध उत्पादन को आसानी से बढ़ाया जा सकता है. वहीं चारे पर खर्च होने वाली लागत को भी बड़ी ही आसानी से कम किया जा सकता है.
समय समय पर एक्सपर्ट इसके लिए टिप्स भी देते रहते हैं. उनका मानना है कि दूध देने वाले पशुओं में वक्त से गर्भ धारण ना करना एक बहुत बड़ी परेशानी का संकेत है. देश भार के करीब 30 फीसदी दुधारू पशु बाँझपन की परेशानी का सामना करते हैं. लेकिन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देते हुए बाँझपन की बीमारी को जड़ से ख़त्म किया जा सकता है. पशु चिकित्सा केंद्र के साथ ही घर पर भी इसका ईलाज संभव है. लेकिन इस तरह के ईलाज में ज्यादा वक्त ख़राब ना करें. पशु चिकित्सक से भी सलाह लेना उचित होता है.
पशुओं के गर्भधारण में मदद करती है ये चीजें
पशुओं के गर्भधारण में सहायक चीजें – मूली, एलोवेरा, सिसस, करी पत्ता, नमक, गुड़, हल्दी पाउडर और मोरिंगा के पत्ते.
जाने कैसे इस्तेमाल करें इन चीजों का …
- पशु के गर्मी में आने के पहले या दुसरे दिन उपचार करें.
- गुड़ और नमक के साथ दिन में एक बार ताज़ा पत्ते खिलाएं.
- पांच दिनों के लिए प्रतिदिन एक सफेद मूली खिलाएं.
- चार दिनों के लिए प्रतिदिन एक एलोवेरा का पत्ता खिलाये.
- चार दिनों के लिए चार मुट्ठी प्रतिदिन मोरिंगा के पत्ते खिलाये.
- चार दिनों के लिए चार मुट्ठी सिसस का तना खिलाएं.
- चार दिनों के लिए पांच ग्राम हल्दी पाउडर के साथ चार मुट्ठी करी पत्ता खिलाएं.
- यदि पशु गर्भधारण नहीं करता है तो उपचार को दोबारा से दोहरा सकते हैं.
- पशु के गर्मी में आने से पहले भी इस ईलाज को शुरू किया जा सकता है.
मत्स्य (मछली) पालन | पालतू डॉग की देखभाल |
पशुओं का टीकाकरण | जानवरों से जुड़ी रोचक तथ्य |
बाँझपन दूर होने पर दोबारा गाभिन कराने में न करें देरी
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि बांझपन जितना पुराना होगा तो उसके ईलाज में उतनी ही परेशानी आयेगी. इसलिए सही समय पर पशुओं कि जाँच करायें. अगर भैंस दो से ढाई साल में हीट में नहीं आती है तो ज्यादा से ज्यादा do से तीन महीने की इंतजार करें, अगर फिर भी हीट में नहीं आती है to फ़ौरन अपने पशु की जाँच करायें. इसी तरह से गाय के साथ भी किया जा सकता है. अगर गाय डेढ़ साल में हीट में ना आये तो उसे भी 2-3 महीने इंतजार के बाद डॉक्टर से सलाह लें.
कई मामले ऐसे भी होते हैं कि एक बार बच्चा देने के बाद भी बाँझपन की शिकायत आती है. इसलिए अगर गाय-भैंस एक बार बच्चा देती है तो उसे दोबारा गाभिन कराने में देरी ना करें.आमतौर पर पहली ब्यात के बाद 2 महीने का अंतर रखा जाता है. लेकिन इस अंतर को ज्यादा रखना चाहिए. अंतर जितना ज्यादा रखा जायेगा बाँझपन की समस्या बढ़ने की सम्भावना उतनी ही ज्यादा होती है इसलिए गाय- भैंस के जानने के बाद 2-3 महीने के बाद गाय को गाभिन करा लेना चाहिए.
इन्हें भी पढ़ें : किलनी, जूं और चिचड़ीयों को मारने की घरेलु दवाई
इन्हें भी पढ़ें : पशुओं के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ
इन्हें भी पढ़ें : गाय भैंस में दूध बढ़ाने के घरेलु तरीके
इन्हें भी पढ़ें : ठंड के दिनों में पशुओं को खुरहा रोग से कैसे बचायें
प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
Most Used Key :- पशुओं की सामान्य बीमारियाँ और घरेलु उपचार
किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.