पालतू डॉग की देखभाल कैसे करें : How to Take Care of Pet Dog
पालतू डॉग की देखभाल कैसे करें : How to Take Care of Pet Dog, अपने घर में पालतू डॉग लाने से पहले उसके देखभाल, खान-पान, रहन-सहन आदि के तौर तरीकों की जानकारी रखना बहुत ही आवश्यक होता है. क्योंकि आपको अपने डॉग की फिजिकल और इमोशनल दोनों ही जरूरतों को पूरा कराना होता है. मतलब अपने डॉग को पोषणयुक्त खाना देना, पीने के लिये साफ़ पानी देना, उसे शेल्टर या अलग घर में रखना, डॉग को भरपूर खेल का समय देना, भरपूर एक्सरसाईज कराना तथा एक सुरक्षित घर में रहने का मौका देना आदि का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है. सड़कों व गलियों में घुमने वाले देशी नस्ल के कुत्तों को आवारा कुत्तों के श्रेणी में रखा जाता है. क्योंकि ये कुत्ते आवारा होते हैं तो इनका देखभाल करने की जरुरत नहीं पड़ती है. ये स्थानीय वातावरण व पर्यावरण के लिहाज से पालतू जानवर के रूप में सबसे बेहतर होते है. क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता विदेशी नस्ल के डॉग से ज्यादा होता है. मगर आपके घर के लिये चाहे कोई भी नस्ल का डॉग हो घर की सुरक्षा और सावधानी के लिये डॉग का अच्छे से देखभाल बहुत आवश्यक होता है. हालाकि ये अपने घर में आये नए फैमिली मेम्बर के साथ आपके प्यार और भरोसे के बांड को बढ़ाने में जरूर मदद करेगा.

1 . अपने डॉग को उच्चगुणवत्तायुक्त भोजन देवें – सबसे पहले आप एक अच्छे पपी/डॉग की तलाश कीजिये और ऐसे पपी की तलाश करें जो आपके और आपके पुरे फैमिली के लाइफस्टाइल के साथ मेच खाए. ध्यान रखें आप ऐसा पपी बिल्कुल नहीं खरीदें जिसकी देख-रेख में अतिरिक्त समय और ध्यान रखना पड़े. एक अच्छा डॉग मिल जाने के बाद उन्हें खाना खिलाने के बारे में जाने. डॉग को अपने घर लाने के बाद कुछ पहले इंग्रेडीएन्ट्स को कुछ इस तरह के मिट, न कि मिट बाई प्रोडक्ट या अनाज होना चाहिए देवें. इससे आपको यह पता चाल जायेगा की ये फ़ूड केवल डॉग का पेट भरने वाला नहीं है बल्कि इसमें हाई प्रोटीन भी है. फ़ूड रिकेमेंडेशन के आप किसी वेटेनेरीयन से पूछ सकते है. आपके वेटेनेरियन आपको कुछ ऐसे फ़ूड की सलाह देंगे जो आपके डॉग के लिए परफेक्ट होगी.

2. पपी या डॉग की देखभाल – पपी की देखभाल में कुछ जरुरी वस्तुयें की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है जैसे – खाना खिलाने का बर्तन, कंघी, ब्रश, कालर लीश आदि पर अवश्य ध्यान देना पड़ता है.
3. डॉग को रेगुलर शेड्यूल पर फ़ीड कराना – आमतौर पर डॉग को दिन में दो बार फ़ीड/भोजन कराना चाहिए. डॉग को दिए जाने वाले फ़ीड की मात्र का पता करें जो आमतौर पर फ़ीड की पैकेट में दिया होता है और फिर उसे दो भागों में बांटकर दिन में दो बार फ़ीड करायें. जिसमें से आधा हिस्सा को सुबह डॉग को खिलाएं तथा दूसरा आधा हिस्सा को शाम को खिलायें. डॉग की फ़ीड का एक स्टेबल रूटीन रखना भी आपको हाउस ट्रेनिंग में मदद कर सकता है. डॉग्स को आमतौर पर खाना खिलाने के 20 से 30 मिनट बाद बाथरूम ले जाने की जरुरत पड़ती है.

4. अपने डॉग को बहुत ज्यादा ट्रीट न करें – अपने डॉग को ट्रेनिंग के दौरान ही ट्रीट करने के नियम को फालो करें. याद रखें इसे फालो कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है, खासतौर पर तब जब आपका डॉग आपकी ओर बहुत ही आशा भरी नजरों से देखता है. फिर भी आप अपने नियम पर डटें ही रहें.
5. डॉग को ख़राब या बचा हुआ खाना न दें – अपने पालतू डॉग को लोंगों का बचा हुआ गन्दा खाना खाने से बचायें. ऐसा करने से वजन बढ़ने या पालतू जानवरों में स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ हो सकती है. इसलिए डॉग को कभी ऐसा खाना नहीं खिलाएं जो उनके स्वास्थ्य के लिये सही न हों. ऐसे कुछ फूड्स है जो न केवल अपने डॉग के लिये ख़राब होते है, बल्कि डॉग के स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक होते हैं. आप अपने डॉग को चाकलेट, अवोकाडो, ब्रेड डो, किशमिश, अंगूर, प्याज या जाय्लेटाल न दे क्योकि ये एक नॉन कैलोरिक स्वीटनर है.
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6. डॉग को पानी देवें – आपके पालतू डॉग को सरवाईव करने के लिये केवल फ़ूड की ही जरुरत नही होती है बल्कि पानी भी उतना ही जरुरी होता है. आप अपने डॉग को सारा समय पानी तक पहुचने की सुविधा दें. इसका मतलब ये नहीं की उसे एकदम से बहुत ज्यादा पानी देना है. लेकिन कोशिश करना होता है की जब भी मुमकिन हो आप डॉग के लिये एक बाउल में पिने का साफ पानी रख दें.

7. डॉग की हेल्थ का ख्याल रखें – इसके लिये सुनिश्चित करें कि आपके पशुचिकित्सक या वेटेनरीयन अच्छे और भरोसे लायक हैं. आपको अपने डॉग के लिये एक वेटेनरीयन चुनने एक सही तरीका है कि आपको देखना है कि वो आपके सवालों का सही जवाब ढंग से और उचित तरीके से दे पा रहा है या नहीं और साथ में यह भी ध्यान देवें की आपका वेटेनरीयन आपके डॉग के साथ किस तरह इन्टरेक्ट करता है. आपको अपने डॉग को रेगुलर चेकअप के लिये ले जाना होता है, अगर यदि आपका वेटेनरीयन बहुत ज्यादा ब्यस्त होता है तो आपको किसी दुसरे वेटेनरीयन की तलाश करनी चाहिए. याद रखें की आपको एक एमरजेंसी वेटेनरीयन के बारे में भी पता रहना चाहिए, जो पुरे दिन के 24 घंटे और वीकेंड पर भी उपलब्ध हो सके.
8. डॉग का वैक्सीनेशन – आपके वेटेनरीयन आपको सलाह देंगे की आपके एरिया में कौन सी बीमारी कॉमन है और उस बीमारी की रोकथाम के लिये कौन सी वैक्सीन लगवानी होगी. आमतौर पर वैक्सीनेशन को रेगुलर बूस्टर इंजेक्शन के साथ में अप टू डेट रखा जाना जरुरी होता है. जो बीमारी के आधार पर या तो सालभर में या तीन साल में दिया जाता है. ज्यादातर जगहों में आपको अपने डॉग को रैबीज की वैक्सीनेशन कराने की आवश्यकता पड़ती है. यदि आपके एरिया में क़ानूनी रूप से ऐसा कराने की जरुरत नहीं भी है तो भी अच्छा होगा कि आप अपने डॉग को जानलेवा बीमारी से बचाये रखने के लिये इस वैक्शिनेशन को करा लेवें.

9. अपने डॉग पर एक आईडी चिप लगवाएं – ये छोटी सी माइक्रोचिप होती है, इसे उसके कंधे की ब्लेड की स्किन के ऊपर इंजेक्ट किया जाता है. हर एक चिप में एक यूनिक नंबर होता है, जो आपके कान्टेक्ट डिटेल के साथ में एक डेटाबेस से जुड़ा होता है. कभी भी आपके डॉग के खोने अथवा चोरी होने के मामले में चिप को आपके डॉग के साथ में लगे चिप के साथ मैच किया जाता है और आपको उसकी ऑनरशिप दी जाति है.
10. रेगुलर पैरासाइट्स प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट – बेसिक वर्मिंग ट्रीटमेंट से डॉग को रेगुलरली राउंडवर्म जैसे वर्म के खिलाफ़ ट्रीट किया जाना जरुरी होता है. इसे कितनी बार किया जाना है ये आपके डॉग के लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है. जंगली या आवारा कुत्तों के मुकाबले घर पर रहने वाले कुत्तों को वर्म होने का खतरा कम रहता है. अपने पालतू डॉग को कितनी बार डीवर्म करना है इसका सलाह आपको आपका पशुचिकित्सक या वेटेनरीयन देगा. कम रिस्क वाले कुत्ते को साल में केवल दो या तीन बार राउंडवर्मिंग ट्रीटमेंट लेने की जरुरत होती है, जबकि हाईरिस्क वाले कुत्ते को हर महीने इस ट्रीटमेंट को लेना होगा. साथ ही हार्टवर्म (Heartworm) जैसे खतरों के बारे में विचार करें. साथ ही एक फ्लि प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (Flea Preventative Treatment) यूज करने के बारे में सोचें और अगर साथ ही आपके एरिया में टिक है, तो एक ऐसे प्रोडक्ट का यूज करें, जो टिक को ख़त्म कर सके.
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