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ग्रामीण बकरीपालन प्रशिक्षण कार्यक्रम मध्यप्रदेश 2024 : Gramin Bakripalan Prashikshan Program MP 2024

ग्रामीण बकरीपालन प्रशिक्षण कार्यक्रम मध्यप्रदेश 2024 : Gramin Bakripalan Prashikshan Program MP 2024, ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन हेतु बकरीपालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. जिस पर ध्यानाकर्षित करते हुए मध्यप्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ने के लिए बकरी पालन को बढ़ावा दे रही है.

Gramin Bakripalan Prashikshan Program MP 2024
Gramin Bakripalan Prashikshan Program MP 2024

इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राज्यों के इच्छुक किसानों, युवक/युवतियों को बकरीपालन के गुर सिखाने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है. यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उद्यमिता विकास केंद्र मध्यप्रदेश (सेडमैप) द्वारा दिया जायेगा.

उद्यमिता विकास केंद्र मध्यप्रदेश (सेडमैप) द्वारा पशुपालन विशेषकर बकरीपालन पर आधारित 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 9 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है. जिसके लिए मध्यप्रदेश राज्य सरकार ने राज्य के इच्छुक व्यक्तियों से आवेदन मंगाएं हैं. ऐसे में जो भी व्यक्ति बकरीपालन के लिए प्रशिक्षण लेना चाहते हैं वे किसान, युवक/युवतियां 20 जून तक आवेदन कर सकते हैं.

बकरीपालन प्रशिक्षण कार्यक्रम

बकरीपालन हेतु राज्य के इच्छुक किसान, युवक/युवतियां, पशुपालकों को यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 09 जुलाई से 11 जुलाई 2024 तक आयोजित किया जायेगा. चयनित व्यक्तियों को प्रशिक्षण उद्यमिता भवन अरेरा हिल्स में दिया जायेगा जो तीन दिनों तक चलेगा. बता दें की प्रशिक्षण के लिए इच्छुक युवाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस वर्ष प्रशिक्षण का तीसरा बैच संचालित किया जा रहा है.

प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशुपालन से सम्बंधित स्वरोजगार, नियम-प्रक्रियाओं और शासकीय योजनाओं आदि की जानकारी प्रदान की जाएगी. इस प्रशिक्षण में अत्याधुनिक तरीके से पशुपालन कैसे करें, इस सम्बन्ध में विषय विशेषग्य मार्गदर्शन प्रदान करेंगे. इच्छुक व्यक्तियों के जिज्ञाशाओं का समाधान भी किया जायेगा. पशुपालन पर आधारित स्वरोजगार के इच्छुक व्यक्ति अधिक जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 8770555820 पर संपर्क भी कर सकते हैं.

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राजस्थान में खोजी गई बकरी की एक नई नस्ल : Rajasthan Me Khoji Bakri Ka Kya Name Hai, हाल ही में राजस्थान राज्य के करौली में बकरी की एक नई नस्ल खोजी गई है. बकरी की विशेष खासियत के चलते इस नस्ल को राजस्थान के प्रमुख पांच बकरियों के नस्लों में और देशभर की 34 विख्यात नस्लों में भी करौली गोट के नाम से प्रमुख दर्जा मिल गया है.

Rajasthan Me Khoji Bakri Ka Kya Name Hai
Gramin Bakripalan Prashikshan Program MP 2024

सूत्रों की माने तो पूर्वी राजस्थान का करौली अब से अपने यहाँ पायी जाने वाली बकरी की एक खास नस्ल के लिए पुरे देश भार में पहचाना जायेगा. बता दें कि करौली में बकरी की एक नई नस्ल का पता चला है. जिसका नाम भी स्थानीय नाम के आधार पर करौली गोट रखा गया है. करौली गोट के नाम से खोजी गई बकरी के इस नस्ल को राजस्थान के प्रमुख पांच बकरियों के नस्लों में और देशभर की 34 विख्यात बकरियों की नस्लों में विशेष खासियत रखने के कारण भी ख़ास दर्जा मिल गया है.

पशुपालन विभाग करौली के मुताबिक 5 नवम्बर 2022 को महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर की एक पशु प्रजनन एवं आनुवांशिकी की टीम करौली आई थी. टीम द्वारा करौली के डांग क्षेत्र में पाई जाने वाली बकरी की नस्ल के लाक्षणिक गुणों को लेकर कई महीनों तक अध्ययन भी किया गया. कई महीनों के अध्ययन के बाद करौली नस्ल के बकरी को राष्ट्रीय पशु आनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो करनाल द्वारा ही नई बकरी के नस्ल के रूप में मान्यता दे दी गई. देशभर में करनाल ब्यूरो द्वारा ही पशुओं की नई नस्ल की पहचान कर उनकी नई नस्ल की घोषणा की जाती है.

करौली गोट की खासियत क्या है?

पशुपालन विभाग कि संयुक्त निदेशक डॉ. गंगा सहाय मीणा ने बताया कि बकरी की नई नस्ल करौली गोट एक तो दोहरे परपज से बहुत ही लाभकारी है. अर्थात इस नस्ल की बकरी दूध के साथ-साथ मांस उत्पादन में भी काफी लाभदायक है. प्रतिदिन इसकी दूध देने की क्षमता 2 लीटर के आसपास होती है. इस करौली गोट बकरी क्र बच्चे मांस उत्पादन की दृष्टि से आय बढ़ने और मुनाफा कमाने में काफी मददगार होंगे. करौली नस्ल की बकरियां का वजन 35-40 किलो के बीच होता है. उन्होंने बताया की करौली नस्ल की बकरियां 12 महीने के भीतरी अवस्था में यौवन अवस्था में आ जाती है. इसके बाद इस नस्ल की बकरी 15-16 महिना के बाद बच्चे देना शुरू भी कर देती हैं.

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करौली गोट क्रॉस ब्रीड नस्ल की बकरी है

पशुपालन विभाग कि संयुक्त निदेशक डॉ. गंगा सहाय मीणा के मुताबिक, करौली नस्ल की बकरी कोई स्पेशल बकरी के नस्ल के रूप में नहीं है. यह बकरी जमुनापारी और जखराना बकरी की एक तरह से क्रॉस ब्रीड है. बकरी की यह दोनों नस्लें ही बहुत बढ़िया नस्ल है. इनकी क्रॉस ब्रीड होने के कारण ही करौली गोट में मांस का उत्पादन अधिकतम पाया गया है.

करौली गोट की पहचान क्या है?

पशुपालन विभाग करौली के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. ब्रह्म कुमार पांडे ने बताया कि राजस्थान में अभी कुछ ही महिना पहले बकरियों की तीन नस्लें खोजी गई है. इन तीनों नस्लों में सबसे विशिष्ट करौली नस्ल की बकरी है. यह बकरी राजस्थान में करौली जिले के मंडरायल, सपोटरा और करौली तहसील में मुख्य रूप से पायी जाती है. इसके साथ ही यह कोटा, सवाई, माधोपुर, बूंदी व बांरा जिले में काफ़ी बहुतायत में पायी जाती है.

करौली गोट की विशेषता और पहचान यह भूरा रंग लेकर काले रंग की होती है. इसका नाक रोमन होता है और सींग मुड़ा होने के साथ नुकीला भी हेता है. करौली गोट के कान लम्बे और लटके हुए होते हैं. उन्होंने बताया कि करौली गोट की सबसे बड़ी खासियत यह दोहरे उद्देश्य वाली होती हैं. इसका मतलब है कि करौली नस्ल की बकरी के बच्चे अच्छी वृद्धि के साथ मांस उत्पादन में बहुत बढ़िया रहते है और इस नस्ल की मादा बकरियां उत्तम क्वालिटी में दूध देने लायक होती हैं.

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