गर्मी में पशुओं को क्या क्या रोग होता है । Garmi Me Pashuon Ko Kya Kya Rog Hota Hai
गर्मी में पशुओं को क्या क्या रोग होता है । Garmi Me Pashuon Ko Kya Kya Rog Hota Hai, गर्मी का मौसम पशुओं को कई तरीके से प्रभावित करता है। गर्मी में तापमान अधिक बढ़ने पर पशुओं का शरीर भी तपने लगता है, जिससे पशुओं के शरीर में गर्मी के प्रभाव से अनेक बाह्य और आतंरिक परिवर्तन होता है जो पशुओं के स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं होता है। ऐसे मे डेयरी फार्मरों को पशु स्वास्थ्य पर बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है।

गर्मी से पशुओं के स्वास्थ्य पर आंतरिक और बाह्य प्रभाव
- शारीरिक तापमान में वृद्धि – गर्म मौसम में पशुओं का शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे उन्हें गर्मी से तनाव होता है।
- सांस लेने में कठिनाई – गर्मी के कारण पशुओं की सांस लेने की गति बढ़ जाती है और वे हांपने लगते हैं।
- भूख में कमी – पशुओं की भूख कम हो जाती है और वे कम चारा खाते हैं।
- दुग्ध उत्पादन में कमी – गर्मी के कारण दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है।
- प्रजनन क्षमता प्रभावित – गर्मी का प्रजनन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जैसे कि गर्भधारण क्षमता में कमी होने से पशु में बार-बार गर्भाधान कराने पर भी पशु का गर्भधारण नहीं करता है रिपीट ब्रीडिंग का शिकार हो जाता है।
- असामान्य व्यवहार – पशु असामान्य व्यवहार प्रदर्शित कर सकते हैं, जैसे कि बार-बार गर्मी में आना या असामान्य रूप से उत्तेजित होना।
- बच्चों की मृत्यु दर – गर्मी के कारण बच्चों की अल्प आयु में मृत्यु दर भी बढ़ जाती है।
- ऊर्जा का ह्रास – पशुओं को शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है, जिससे उनका आंतरिक ऊर्जा उत्पादन कम हो जाता है।
- गर्भपात की दर में वृद्धि – पशुओं के शरीर को अधिक गर्मी लगाने पर, गाभिन पशु अपने शारीरिक तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता है जिससे तपती गर्मी से पशुओं में गर्भपात की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है।
गर्मी में पशुओं को होने वाले सामान्य रोग
1. लू लगना – जब तापमान बहुत अधिक हो जाता है और हवा में नमी बढ़ जाती है, तो पशुओं को लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। लू लगने के लक्षणों में तेज बुखार, बेचैनी, सांस लेने में तकलीफ और कमजोरी शामिल हैं।
2. हीट स्ट्रोक – हीट स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है जिसमें शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है। यह ज्यादातर विदेशी या संकर नस्ल के पशुओं में देखा जाता है।
3. थिलेरिया रोग – थिलेरिया रोग एक रक्त परजीवी रोग है जो कीलनी के काटने से फैलता है। यह रोग हीमोग्लोबिन का स्तर घटाता है और पीलिया का खतरा भी बढ़ाता है।
4. त्वचा संबंधी संक्रमण – गर्मी के मौसम में पशुओं की त्वचा पर विभिन्न प्रकार के संक्रमण हो सकते हैं, जैसे कि फंगल संक्रमण और बाइट संक्रमण।
5. प्रजनन क्षमता पर प्रभाव – गर्मी का तनाव पशुओं की प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।
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पशुओं को गर्मी से बचाने के कुछ उपाय
- पशुओं को छायादार जगह पर रखें।
- दिन में कई बार पशुओं को नहलाएं।
- पशुओं को ठंडे पानी से नहलाएं।
- पशुओं को संतुलित आहार दें।
- पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं।
- पशुओं को टीकाकरण कराएं।
- पशुओं को कीलनी के काटने से बचाएं।
- पशुओं की नियमित रूप से जांच करें।
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