डेयरी फ़ार्मिंगपशु कल्याणपशु चिकित्सा आयुर्वेदपशुधन संसारपशुपोषण एवं प्रबंधन

गाय के जेर नहीं गिरने पर क्या उपाय करें । Gaay Ke Jer Nahi Girane Par Kya Upaay Karen

गाय के जेर नहीं गिरने पर क्या उपाय करें। Gaay Ke Jer Nahi Girane Par Kya Upaay Karen, गाय एवं भैंसों में अन्य पशुओं की अपेक्षा गर्भाशय में जेर रुक जाने की समस्या ज्यादा दिखाई देती है। पशु के जेर नहीं गिरने के कई कारण हो सकते है।

Gaay Ke Jer Nahi Girane Par Kya Upaay Karen
Gaay Ke Jer Nahi Girane Par Kya Upaay Karen

प्रायः यह देखा गया है कि गाय व भैंसों में ब्याने के बाद जेर का बाहर न निकलना अन्य पशुओं की अपेक्षा काफी ज्यादा पाया जाता है। इस अवस्था में क्षेत्र के पशुपालकों को नजदीकी पशु अस्पताल में संपर्क करना चाहिए परंतु पशु चिकित्सकों के अभाव में कभी-कभी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ जाता है।

सामान्यत: ब्याने के 8 से 10 घंटे के बीच जेर बाहर निकल जाती है लेकिन कई बार 8-10 घंटे से अधिक समय बीतने के बाद भी जेर बाहर नहीं निकलती है। कभी कभी यह भी देखा गया है कि आधी जेर टूट कर निकल जाती है तथा आधी गर्भाशय में ही रह जाती है।

आदर्श डेयरी फार्मिंग पशुधन योजनायें
पशुधन ख़बर बकरीपालन
Gaay Ke Jer Nahi Girane Par Kya Upaay Karen

जेर न निकलने के प्रमुख कारण क्या है ?

पशु में जेर न निकलने के अनेक कारण हो सकते हैं। जैसे संक्रामक कारणों में विब्रियोसिस, लेप्टोस्पाइरोसिस, टी.बी., फफूंदी, कई अन्य वाइरस तथा अन्य संक्रमण शामिल हैं परंतु विब्रियोसिस बीमारी में जेर न निकलने की डर सबसे अधिक होती है।

असंक्रामक कारणों में असंक्रामक गर्भपात, समय से पहले प्रसव, जुड़वाँ बच्चे होना, ब्याने के बाद पशु को बहुत जल्दी गर्भित कराना, कुपोषण, हार्मोन्स का असंतुलन आदि प्रमुख हैं।

नोट – पशुओं को गर्भावस्था के समय पर्याप्त मात्रा में खनिज लवण (मिनरल मिक्सचर) देना चाहिए, क्योंकि पशु में मिनरल मिक्सचर की कमी के वजह से भी जेर गर्भाशय के दीवार से चिपक जाता है।

जेर का गर्भाशय के अंदर रुक जाने के लक्षण

  • जेर के अंदर रहने से पशु की भूख कम हो जाती है तथा दूध का उत्पादन भी काफी ज्यादा गिर जाता है।
  • गर्भाशय में जेर के रुक जाने की वजह से यह सड़ने लगती है तथा योनि द्वार से बदबूदार लाल रंग का डिस्चार्ज निकलने लगता है।
  • कभी-कभी पशु को रोज बुखार भी आने लगता है।
  • जेर के अन्दर रुक जाने पर पशु बार-बार गर्भाशय में दबाव डालता है।
  • पशु के गर्भाशय में दर्द होने से पशु तनाव में आ जाती है।
  • गर्भाशय में संक्रमण के कारण पशु गर्भाशय को बाहर निकालने की कोशिश करने लगता है जिससे योनि अथवा गर्भाशय तथा कई बार गुदा भी बाहर निकल आते हैं तथा बीमारी जटिल रूप ले लेती है।


जेर नहीं गिरने पर ऐसे करायें उपचार

  • प्रायः पशु में ब्याने के उपरांत 8 से 10 घंटे के भीतर जेर गिर जाती है।
  • कई लोग ब्याने के 12 घंटे के बाद जेर निकालने की सलाह देते हैं जबकि कई अन्य 72 घण्टों तक प्रतीक्षा करने के बाद जेर हाथ से निकलवाने की राय देते हैं।
  • यदि जेर गर्भाशय में ढीली अवस्था में पड़ी है तो उसे हाथ द्वारा बाहर निकालने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन यदि जेर गर्भाशय से मजबूती से जुड़ी है तो इसे जबरदस्ती निकालने से रक्त स्राव होने तथा अन्य जटिल समस्यायें पैदा होने की पूरी संभावना रहती है।
  • पशु की जेर हाथ से निकालने के बाद गर्भाशय में जीवाणुनाशक औषधि अवश्य रखनी चाहिए तथा उसे दवाइयां देने का काम पशु चिकित्सक से ही करवाना चाहिए।
  • पशु पालक को स्वयं अथवा किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति से यह कार्य नहीं करवाना चाहिए।
  • ब्याने के बाद ओक्सीटोसीन अथवा प्रोस्टाग्लैंडिन एफ–2 एल्फा टीकों को लगाने से अधिकतर पशु जेर आसानी से गिरा देते हैं।
  • लेकिन ये टीके पशु चिकित्सक की सलाह से ही लगवाने चाहिए।
  • पशु को गर्भावस्था में खनिज मिश्रण तथा सन्तुलित आहार अवश्य देना चाहिए।
  • प्रसव से कुछ दिनों पहले पशु को विटामिन ई का टीका लगवाने से इस समस्या से बचा जा सकता है।
मत्स्य (मछली) पालनपालतू डॉग की देखभाल
पशुओं का टीकाकरणजानवरों से जुड़ी रोचक तथ्य
Gaay Ke Jer Nahi Girane Par Kya Upaay Karen

जेर नहीं गिरने पर करें ये देशी उपाय

नए ब्याने या प्रथम ब्यात वाले जानवरों को 6-12 घंटों में जेर में पड़ जानी चाहिए। यह समस्या आमतौर पर अधिक दुधारू पशुओं में आती है, जिसके कई कारण होते हैं। यदि आपके जानवर को भी जेर नहीं गिरती है, तो इन देसी नुस्खों को आज़माएं।

  1. नई ब्याई भैंस/गाय को उसी की बाउली पिला दें, इससे ज़ेर जल्दी पड़ेगी क्योंकि बाउली में दूध के मुकाबले कई गुणा ज्यादा पोषक तत्व होते हैं। ऊर्जा का स्त्रोत होने के साथ-साथ इस में कैलशियम भी भरपूर मात्रा में होता है जो कि बच्चेदाने के संकुचित होने के लिए और ज़ेर बाहर निकालने के लिए सहायक होता है। कुदरत सिर्फ इसे नये जन्में बच्चे के लिए ही पैदा करती है, इसे 1-2 घंटों के अंदर अंदर कटड़े बछड़े को जरूर पिलायें।
  2. ब्याने के उपरांत पशु को गुड़, सौंफ, अजवायन, सोए, मेथी, सुंड मिलाकर काढ़ा पिलायें। यह बच्चेदानी के संकुचित होने में भी सहायक होता है, इससे ज़ेर जल्दी पड़ती है।
  3. ज़ेर ना पड़ने की सूरत में आटा, गुड़, सौंफ, इलायची और जीरा आदि को पशु की खुराक में मिलाकर खिला दिया जाता है क्योंकि आटा और गुड़ ऊर्जा प्रदान करते हैं जो कि ब्याने के बाद सुस्त हुए पशु के लिए बहुत जरूरी है। सौंफ पाचन प्रणाली को दुरूस्त रखती है।
  4. ज़ेर ना पड़ने की सूरत में पशु को पीपल के पत्ते खिला दें क्योंकि पीपल के पत्तों में रेशा होता है जो पशु का पेट भरने में सहायक होता है जिससे बच्चेदानी पर दबाव पड़ता है और ज़ेर जल्दी पड़ सकती है।
  5. सरसों का तेल, नमक और अजवायन को मिलाकर पशु की गर्दन से पूंछ की तरफ ज़ोर-ज़ोर से मालिश तब तक करें, जब तक पशु के शरीर में से ताप ना निकलने लग जाये। इससे भी ज़ेर जल्दी पड़ेगी।
  6. अगर गाय का जेर नहीं गिर रहा है, तो ये उपाय अपनाए जा सकते हैं। 
  7. आटा, गुड़, सौंफ़, इलायची, और जीरे को पशु की खुराक में मिलाकर खिलाएं. आटा और गुड़ से पशु को ऊर्जा मिलती है, जबकि सौंफ़ पाचन में मदद करती है।
  8. अगर जेर 12 घंटों में भी नहीं गिरी है, तो पशु को पीपल के पत्ते खिलाएं। 
  9. अगर ब्याने के 8-12 घंटे के बाद भी जेर नहीं गिरी है, तो पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें। 

इन्हें भी पढ़ें : किलनी, जूं और चिचड़ीयों को मारने की घरेलु दवाई

इन्हें भी पढ़ें : पशुओं के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ

इन्हें भी पढ़ें : गाय भैंस में दूध बढ़ाने के घरेलु तरीके

इन्हें भी पढ़ें : ठंड के दिनों में पशुओं को खुरहा रोग से कैसे बचायें

प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

Most Used Key :- पशुओं की सामान्य बीमारियाँ और घरेलु उपचार

किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.

-: My Social Groups :-