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बर्ड ब्रीडर लंग्स बीमारी से खतरा : Bird Breeder at Risk from Lungs Disease

बर्ड ब्रीडर लंग्स बीमारी से खतरा : Bird Breeder at Risk from Lungs Disease, कुछ धार्मिक प्रवृत्ति के लोग आमतौर पर कबूतरों को दाना खिलाना अपना धर्म मानते हैं. इसके अलावा पशु पक्षियों को दाना खिलाना, पानी पिलाना आदि को शुभ माना जाता है. लेकिन कबूतरों से लोगों में गंभीर बीमारी Pigeon Breeder Disease का भी खतरा बढ़ रहा है. लोग अभी तक इस ख़तरनाक Pigeon Breeder Disease बीमारी से अनजान है. कबूतरों को दाना, पानी खिलाना पिलाना आपकी सेहत के लिये भारी पड़ सकता है.

Bird Breeder at Risk from Lungs Disease
Bird Breeder at Risk from Lungs Disease

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बर्ड ब्रीडर बीमारी क्या है?

दरअसल कबूतर यहां-वहां चलते फिरते हैं और वो जहां-तहां बीट यानी मल त्याग करते हैं. ऐसे में उनका मल आपको बीमार कर सकता हैं. क्योंकि कबूतर की बीट में (Hypersensitivity Pneumonitis Disease) जैसे इंफेक्शन होते हैं जो आपके फेफड़ों को खासा नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में इस बीमारी के बारे में आपको जानकारी होना बेहद जरूरी है. बर्ड ब्रीडर व्यक्ति के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है और इसे एवियन हाइपरसेंसेटीव न्यूमोनिटिस के रूप में भी जाना जाता है. यह एक श्वसन रोग है जो पक्षियों की बीट, पंखों और धूल के संपर्क में आने के की वजह से होता है. यह बीमारी फेफड़े के पैरेन्काइमा (इंटरस्टीशियल लंग डिजीज- ILD) का एक प्रकार का रोग है, जो हवाई प्रतिजन के बार-बार सांस लेने के कारण फेफड़ों के निशान और फाइब्रोसिस का कारण बनता है. इसके अलावा कई पर्यावरणीय कारक इससे जुड़े हैं अतिसंवेदनशीलता न्यूमोनिटिस का विकास और उनमें से एक पक्षियों के संपर्क में होता है.

बर्ड ब्रीडर लंग्स बीमारी के कारण (Bird Breeder’s Lung Disease Causes)

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार बर्ड ब्रीडर के फेफड़ों की बीमारी एवियन एंटीजन के इनहेलेशन के कारण होती हैं. यह अतिसंवेदनशील व्यक्तियों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response ) पैदा कर सकती हैं. यह एंटीजन पक्षियों के पंखों, बीट और धूल में पाए जाते हैं.

बर्ड ब्रीडर बीमारी के लक्षण

बर्ड ब्रीडर के फेफड़ों की बीमारी के लक्षणों में सांस की तकलीफ, खांसी, बुखार, सीने में जकड़न और थकान जैसी समस्या पैदा होने लगती है. इसके लक्षण आमतौर पर कई महीनों से लेकर वर्षों तक विकसित होते हैं ऐसे में ट्रीटमेंट करना मुश्किल हो सकता हैं. इसकी वजह से फेफड़े धीरे-धीरे डैमेज होने लगते हैं.

इसके अलावा जब तक इस बीमारी के बारे में पता चलता है फेफड़ों को काफी नुकसान हो चुका होता है. इसकी वजह से फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं. ऐसी स्थिति में मरीज अपने रक्त में सामान्य ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखने के लिए सिलेंडर या कंसंट्रेटर जैसे बाहरी स्रोतों से ऑक्सीजन पर निर्भर हो सकते हैं.

बर्ड ब्रीडर बीमारी का उपचार

इस बीमारी को रोकने का सबसे उपयुक्त तरीका पक्षियों को दाना डालना और प्रजनन करना बंद करना है. इसके अलावा जो लोग पक्षियों के साथ काम करते हैं या पालतू रूप से उन्हें पालते हैं उन्हें बर्ड ब्रीडर लंग्स बीमारी के बारे में पता होना चाहिए. ताकि वो इससे संबंधित उचित सावधानियां बरत सकें. इसके लिए सुरक्षात्मक उपकरण पहने और नियमित रूप से पक्षी पिंजरों और आसपास के क्षेत्रों की सफाई करें.

इसके अलावा इस बीमारी के विकसित होने की स्थिति में, उन्हें पक्षियों और बीट के संपर्क में आने से बचना चाहिए.  इस बीमारी के शुरुआत में ट्रीटमेंट हो सकता है और कुछ मामलों में, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसी दवा को फेफड़ों के सूजन को कम करने के लिए लिया जा सकता है. इसके अलावा गंभीर मामलों में फेफड़े के प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है.

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प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

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