बकरीपालन की इस विधि से लखपति कैसे बने । Bakaripalan Ki Is Vidhi Se Lakhapati Kaise Bane
बकरीपालन की इस विधि से लखपति कैसे बने । Bakaripalan Ki Is Vidhi Se Lakhapati Kaise Bane, बकरीपालन ग्रामीण परिवेश में कृषि के साथ-साथ लोगो की आजीविका का मुख्य साधन है। अगर सही तरीके से बकरीपालन किया जाये तो, इससे अच्छी कमाई करके लखपति बना जा सकता है।
आज हम आपको एक ऐसे किसान शंकर रोहित के बारे में जानकारी देंगे, जो कि 100 से अधिक बकरियों का पालन कर रहे है। इससे वे अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। उपर्युक्त किसान ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी के पालन से कम लागत में अच्छी कमाई कर रहे हैं।
ग्रामीण परिवेश में लोगों के लिए बकरीपालन को आजीविका का मुख्य साधन शुरुवात से ही माना जाता रहा है। यह गरीब किसान और खेतिहार मजदूरों के लिए कमाई का अच्छा श्रोत बनता जा रहा है। हांलाकि बदलते दौर में बकरीपालन के व्यवसाय को लोग अब बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। ताकि अच्छी खासी कमाई की जा सके, साथ ही इलाके में एक अच्छा पहचान भी हो सके।
इस व्यवसाय में सरकार भी मदद करती है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएँ भी चला रही है। जहानाबाद के मुखदूमपुर प्रखंड में रहने वाले युवा शंकर रोहित बकरीपालन सरकारी मदद के जरिये कर रहे हैं। उन्होंने 100+5 बकरी वाली योजना से इसकी शुरुवात की है।
उन्होंने बकरी पालन करने के लिए सुसज्जित तरीके से सारी तैयारियां कर रखा है। बकरियों के रख-रखाव से लेकर चारे की सारी व्यवस्था उपलब्ध है। शंकर रोहित ने बताया की 2020 में बकरीपालन की ट्रेनिंग पीेएनबी के माध्यम से ली थी। हमारी योजना साल 2023-24 में स्वीकृत हुई थी।
उन्होंने कहा की बकरीपालन की सीख गाँव के लोगों को देखकर और ट्रेनिंग के जरिये ली थी। क्योंकि लोगों के मुँह से अक्सर सुनते थी की यह गरीबों की गाय है। वर्तमान में शंकर रोहित के पास 100 से अधिक बकरियां है और बकरे हैं। उन्होंने बताया कि बकरियों के रख-रखाव का खासा ध्यान रखा गया है। बकरियों को ठण्ड न लगे इसके लिए प्रॉपर तरीके से बांस की ठठरियां बनाया गया है , ताकि जमींन गिला भी हो तो बकरियों को किसी भी प्रकार की दिक्क्त ना हो।
बकरियों को रखने के लिए की गई है खास व्यवस्था
शंकर रोहित ने बताया कि आमतौर पर यह देखा जाता है कि जमींन पर बकरियों के रहने से जब गिला हो जाता है तो काफी परेशानी होती है और बकरियों के बीमार होने का डर भी बना रहता है। इसके अलावा शेड में चारा खिलाने के लिए भी अलग व्यवस्था किया गया है।
सबसे खास बात यह है ठंड के मौसम में बकरियों के बच्चे को परेशानी ना हो, इसके लिए एक स्पेशल घर बना रखा है। और वहां हिट को मेंटेन करने के लिए पिला बल्ब लगा रखा है। इतना ही नहीं गर्मियों के लिए भी शेड में खास तरह की चीजें लगा रखे हैं। छत पर लगे एड्बेस्टस के सीट को गर्म होने से बचाने के लिए स्प्रिंकलर और आस-पास जुट का बोरा लगा रखे हैं। इससे गर्मी से राहत मिलती है।
इतना ही नहीं बकरियों को खाने की दिक्कत ना हो और चारे के लिए भी परेशानी न हो, इसके लिए भी एक बड़ा सा ग्राउंड है उसमें चारे की व्यवस्था कर रखे हैं।
साल में दो बार बच्चा देती हैं इस नस्ल की बकरियां
बकरियों के चारे के लिए नेपियर और बरसिम्हा घास की खेती खुद करते हैं, ताकि चराने के लिए बकरियों को बाहर ले जाना न पड़े। साथ ही सुरक्षा से बचाव को लेकर चारो तरफ कांटेदार घेराव कर रखे हैं, ताकि अन्य जानवरों का प्रवेश ना हो और बकरियां सुरक्षित रहे।
उन्होंने बताया कि बकरीपालन से जुड़े व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमा सकते है। इसे गरीबों का गाय और चलता फिरता एटीएम भी कहा जाता है।
बकरियों में ब्लैक बंगाल नस्ल साल में दो बार बच्चे देती है, क्योंकि 155 दिन इसका गर्भ काल होता है। इस नस्ल की बकरियां एक बार में कम से कम दो बच्चे जन्म देती है। कभी-कभी चार बच्चे तक जन्म दे देती हैं। बेहतर तरीके से बकरीपालन पालन किया जाये तो अच्छी खासी कमाई की जा सकती है।
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