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बबूल का पेड़ और उसका औषधीय उपयोग : Babool Ke Ped Ka Aushdhiya Upyog Kya Hai

बबूल का पेड़ और उसका औषधीय उपयोग : Babool Ke Ped Ka Aushdhiya Upyog Kya Hai, सामान्यतः बबूल का पेड़ भारत के सभी स्थानों पर पाया जाने वाला पेड़ है। जो कि बंजर जमीन, जंगल, खेत के मेड और ख़ासकर मरुस्थल में बहुतायत पाया जाता है. बबूल के पेड़ के पत्ते, बीज, छिलके, टहनियां आदि बहुत सारे औषधीय गुणों से भरपूर होता है। 

Babool Ke Ped Ka Aushdhiya Upyog Kya Hai
Babool Ke Ped Ka Aushdhiya Upyog Kya Hai

बबूल का पेड़ स्वास्थ्य की द्रष्टि से खासा उपयोग मे लाया जाता है। बबूल मुंह से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं को दूर करने के साथ साथ पूरे शरीर के लिये फ़ायदेमंद होता है। बबूल की पत्‍तियां, गोंद, फली और छाल सभी चीज़ें शरीर के लिए बड़े ही काम की होती हैं और इसका इस्तेमाल करने से कई रोगों को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

बबूल का पेड़

बबूल का पेड़ भारत का एक मुख्य औषधीय पौधा है। बबूल का पेड़ ख़ासकर भारत के मरुस्थल भूमि और अन्यत्र कई जगहों में पाया जाता है। बबूल का पेड़ कम पानी में भी अच्छी तरह से फूलता और फलता है। इस पौधे को हिंदी में बबूल और कीकर के नाम से जानते हैं।

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इसकी पत्तियां बहुत छोटी होती हैं। इस पेड़ में कांटे भी होते हैं। गर्मी के मौसम में बबूल के पेड़ (babool tree) पर पीले रंग के गोलाकार गुच्छों में फूल खिलते हैं। ठंड के मौसम में फलियां आती हैं। बबूल की छाल और गोंद का व्यवसाय किया जाता है। बबूल की पत्‍तियां, गोंद, फली और छाल सभी चीज़ें शरीर के लिए बड़े ही काम की होती हैं और इसका इस्तेमाल करने से कई रोगों को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

बबूल का रासायनिक संगठन

  • छाल में बीटा ऐमीरीन, गैलीक अम्ल, टैनिन, कैटेचीन, क्वेरसेटिन, ल्युकोसायनीडीन पाये जाते हैं।
  • फल में गैलिक अम्ल, कैटेचीन, क्लोरोजैनिक अम्ल पाये जाते हैं।
  • गोंद में गैलेक्टोज़, एरेबीक अम्ल, कैल्सियम एवं मैग्नेशियम के लवण, इसके बीज में ऐस्कोरबीक अम्ल, नियासिन, थायमीन एवं एमिनो अम्ल पाये जाते हैं।

बबूल का औषधीय उपयोग

  • बबूल में औषधीय भाग इसका पत्तियां, फली, तना और टहनियां है।
  • इसकी पत्तियों का पेस्ट बनाकर बालों में लगाने से बाल झड़ने से रोकने में मदद मिलती है इसे बालों में लगाकर आधे घण्टे बाद धो लेना चाहिए।
  • इसकी फलियां खाने से शरीर को भरपूर ऊर्जा मिलती है और शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है इसके लिए बबूल की फली को पीसकर मिश्री के साथ खाना चाहिए।
  • बबूल की पत्तियों का प्रयोग घाव को भरने के लिए किया जाता है। बबूल की पत्तियों को पीसकर घाव में लगा लिया जाए, तो घाव भर जाता है।
  • बबूल की पत्तियों का प्रयोग चोट लगने पर खून के बहने को रोकने के लिए भी किया जाता है। बबूल की पत्तियों के पेस्ट को, जहां खून बह रहा हो, वहां लगा दिया जाए, तो इससे खून बहना बंद हो जाता है और संक्रमण नहीं होता है।
  • बबूल की फलियों का प्रयोग पाउडर बनाकर सेवन दस्त के लिए कर सकते हैं। अगर किसी को दस्त या पेट में मरोड़ हो और दस्त बंद ना हो रहे हों तो बबूल के पेड़ की फलियां खाने से उसे तुरंत आराम मिलता है।
  • बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का चूर्ण बनाएं। इसके 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है। इसी तरह 1 ग्राम बबूल के चूर्ण का सेवन करने से भी खांसी ठीक होती है।
  • अगर पेट में दर्द हो रहा हो और मरोड़ पड़ रहे है, तब इसकी फलियों का प्रयोग किया जा सकता है, जिससे आराम मिलता है।
  • बबूल की पतली कोमल, नवीन शाखाओं से दातुन भी की जाती है। बबूल की छाल, पत्ते, फूल, फलियों के सूखे पाउडर को मिला कर जो चूर्ण बनता है उससे दांतों के पाउडर की तरह प्रयोग कर, दांतों की विभिन्न समस्याओं से बचा जा सकता है। दांतों में दर्द रहने की समस्या किसी को भी हो सकती है ऐसे में बबूल की फली की राख बनाकर इससे दांतों को साफ़ करे तुरंत दांतो के दर्द में आराम मिलेगा.
  • बबूल की छाल को सुखाकर चूर्ण बना लेना चाहिए और मुंह में छाले होने पर, इसे लगाना चाहिए। जिससे आराम मिलता है।
  • बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर पिया जा सकता है।
  • डायरिया की समस्या के जोखिम को कम करने के लिए बाबूल गोंद फायदेमंद होता है।
  • कुछ अध्ययन के अनुसार बबूल गोंद शरीर में पानी व इलेक्ट्रोलाइट का अवशोषण करता है।
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