कृत्रिम गर्भाधान नस्ल सुधार का एक प्रभावी साधन : Artificial Insemination an Effective means of Breed Improvement
कृत्रिम गर्भाधान नस्ल सुधार का एक प्रभावी साधन : Artificial Insemination an Effective means of Breed Improvement, भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहाँ की अर्थव्यवस्था कृषि और पशुपालन से संबंधित उत्पाद पर आधारित है. ऐसे किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिये कृषि के साथ-साथ पशुपालन व्यवसाय पर ध्यान आकर्षित करना अत्यंत ही आवश्यक है. वर्तमान में भारत में अधिकांश पशुपालक किसानों के पास उपलब्ध पशुधन जैसे गाय, भैंस, भेड़, बकरी आदि शुद्ध देशी नस्ल के पशु हैं. जिनकी उत्पादन क्षमता अन्य देशों के पशुधन के मुकाबले काफी कम है. अतः इन देशी, अवर्णित नस्ल के पशुधन के स्थान पर उत्तम, संकर नस्ल के पशुधन का पालन करके के ही किसान अपनी आमदनी में इजाफ़ा कर सकते है.
वर्तमान में केंद्र और राज्य सरकार दोनों का भरपूर प्रयास है कि किसान अपने देशी, अवर्णित पशुधन में कृत्रिम गर्भाधान कराकर उत्तम, संकर नस्ल के बछड़े, बछिया को घर में ही पैदा किया जा सकता है. पशुपालकों को उत्तम और संकर नस्ल के बछड़े, बछिया को अतिरिक्त व्यय करके खरीदने की आवश्यकता नहीं है. कृत्रिम गर्भाधान ही एक ऐसा प्रभावी साधन है जिसके तहत देशी नस्ल के पशुओं के स्थान पर उत्तम, संकर नस्ल के पशु आपके घर पर नि:शुल्क उपलब्ध हो पायेगा. इसके लिये केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत संचालित की जा रही है.
महत्वपूर्ण लिंक :- मवेशियों में गांठदार त्वचा रोग का कहर.
महत्वपूर्ण लिंक :- लम्पी बीमारी का विस्तारपूर्वक वर्णन.
महत्वपूर्ण लिंक :- राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना क्या है?
कृत्रिम गर्भाधान क्या है?
कृत्रिम गर्भाधान को आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है. जब पशुपालक की गाय, भैंसें, भेड़, बकरी इत्यादि ऋतुकाल चक्र में होती है या गर्मी में होती है या गाय के पीछे सांड घुमने लगता है तो गाय समागम की इच्छा रखती है. ऐसे में सांड गाय को क्रास करता है या निषेचित करता है ( अर्थात सांड अपना वीर्य को मादा की योनी में डाल देता है) जिससे गाय गर्भित या गाभिन हो जाती है. इसे ही पशुओं में प्राकृतिक गर्भाधान कहा जाता है. परतु कृत्रिम गर्भाधान में सांड की आवश्यता नहीं होती है केवल उत्तम और स्वस्थ नस्ल के सांड के वीर्य को कृत्रिम विधि द्वारा निकालकर पशु लैब में छोटे-छोटे स्ट्रा में पैक करके द्रव नाइट्रोजन गैस में हिमीकृत किया जाता है. जब पशुपालक किसान की गाय गर्मी या हिट या मद में आती है तो इस हिमीकृत उन्नत नस्ल के वीर्य को गाय या भैंस के गर्भाशय में आधुनिक तकनीक विधि के द्वारा डाला या सेंचन किया जाता है. जिसे कृत्रिम गर्भाधान कहा जाता है.
कृत्रिम गर्भाधान के लाभ
- कृत्रिम गर्भाधान से गाँव में देशी अवर्णित गाय में ही उन्नत नस्ल जैसे – साहीवाल, गिर, थारपारकर, रेड सिन्धी, जर्सी, एच.एफ़ ब्रीड की बछिया एवं बछवा प्राप्त कर सकते है.
- कृत्रिम गर्भाधान से उत्पन्न बछिया उन्नत नस्ल होने के कारण अपनी माँ से भी अधिक दूध उत्पादन क्षमता वाली होती है.
- AI. से प्राप्त बछवा ज्यादा स्वस्थ और तंदरुस्त होता तथा आर्थिक रूप से अधिक मूल्यवान होता है.
- गाँव तक कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध हो जाने से गाय, भैंस के लिये अलग से सांड रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती.
- गाँव में अलग से सांड रखने पर उसके रख-रखाव में अत्यधिक खर्च होता है, जबकि कृत्रिम गर्भाधान से कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त होता है.
- सांड द्वारा प्राकृतिक गर्भाधान के समय गाय, भैंस को होने वाले शारीरिक नुकसान जैसे – संक्रामक बीमारी, अनुवांशिक रोग, मादा पशु का छोटे आकार के कारण सांड वजन सहन नहीं कर पाना, समागम के दौरान मादा पशु का पैर टूट जाना आदि जैसे शारीरिक नुकसान से बचा जा सकता है.
- कृत्रिम गर्भधान करने के बाद गाय, भैंस का पूरा का पूरा रिकार्ड रखा जाता है, जैसे उनके ब्याने की तारीख का पता रहता है, इसलिए उसकी तैयारी पहले से की जा सकती है.
- पशुपालक को अपने घर या गोठान में ही गर्भाधान की सुविधा मिल जाती है जिससे गाय या भैंस को सांड के पास ले जाने में समय, धन व श्रम में होने वाले खर्च की बचत होती है.
कृत्रिम गर्भाधान के लिये सही समय क्या है?
- सुबह के समय गर्मी में आई गाय को उसी दिन शाम को कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहिए.
- दोपहर के बाद गर्मी में आई गाय को अगले दिन सुबह कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहिए.
- ध्यान रहे जब गाय सुबह या शाम को यदि प्रारंभिक हिट या गर्मी में आती है तो प्रारंभिक हिट के 12 घंटे बाद अर्थात सुबह 5 बजे हिट में आने वाली गाय को शाम 5 बजे के बाद 12-18 घंटे के बीच में कृत्रिम गर्भाधान करने पर गर्भाधान सफल होता है.
- ठीक इसी प्रकार भैस में भी नियम लागु होता है, जब कोई भैंस की हिट में आती है तो भैस में प्रारंभिक हिट के 18 घंटे बाद कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहिए अर्थात भैस में 18-24 घंटे के अन्तराल में कृत्रिम गर्भाधान कराना उचित होता है.
- बहूत ही जल्दी अथवा बहुत देर से गर्भाधान करने पर आपकी गाय या भैंस गर्भित नहीं होगी, इसलिए समय पर ही कृत्रिम गर्भाधान कराना उचित होता है.
गाय, भैंस के गर्मी या हिट में आने के लक्षण
गर्मी या हीट की प्रारंभिक अवस्था – रम्भाना. बेचैनी, दूसरी गायों को सहलाना, आवाज लगाते हुए इधर-उधर भागना, योनी मार्ग से तरल चिपचिपा , पारदर्शी, रंगहीन स्त्राव (डिस्चार्ज) निकलना.
दूसरी – गाय या भैंस के ऊपर सांड के चढ़ने पर आराम से खड़े रहना (यदि इस समय में गाय या भैंस में कृत्रिम गर्भाधान किया जाये तो पशु की गर्भित होने की संभावना 90% से अधिक होती है अर्थात यह कृत्रिम गर्भाधान का सबसे उपयुक्त समय होता है.
कृत्रिम गर्भाधान सफलता के लिये आवश्यक शर्तें
- सर्वप्रथम गाँव के देशी बछड़ों एवं सांडों का शत प्रतिशत बधियाकरण किया जाना अत्यंत आवश्यक होता है.
- पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान का सही समय पशु के गर्मी में आने के 12-18 घंटे बाद का समय सही होता है.
- पशु में गर्मी या हीट के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल नजदीक के शासकीय पशु चिकित्सालय या औषधालय या कृत्रिम गर्भाधान केंद्र के पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ, पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी या कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता से संपर्क करें.
- गाय, भैंस को कृत्रिम गर्भाधान के तुरंत बाद कम से कम 1 घंटे तक बैठने नहीं देना चाहिए.
- गाय या भैंस में कृत्रिम गर्भाधान कराने के पश्चात् कम से कम 24 घंटे तक बांध कर रखें. गर्भाधान के तुरंत पश्चात् गाय, भैंस को खुले में न छोड़े.
- कृत्रिम गर्भधान होने के 18-21 दिन बाद यदि पशु में पुनः गर्मी या हिट के लक्षण दिखाई दे तो फिर से दोबारा कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहिए.
- कृत्रिम गर्भाधान के बाद गाय, भैंस में यदि टैगिंग नहीं हुआ हो तो अवश्य टैगिंग करवाएं. इसी प्रकार जन्म के बाद बछड़े का भी टैगिंग करवाएं. क्योंकि टैग पशु का पहचान और आधार नंबर होता है.
इन्हें भी पढ़ें : प्रतिदिन पशुओं को आहार देने का मूल नियम क्या है?
इन्हें भी पढ़ें : एशिया और भारत का सबसे बड़ा पशुमेला कहाँ लगता है?
इन्हें भी पढ़ें : छ.ग. का सबसे बड़ा और पुराना पशु बाजार कौन सा है?
इन्हें भी पढ़ें : संदेशवाहक पक्षी कबूतर की मजेदार तथ्य के बारे में जानें.
प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
Most Used Key :- गाय के गोबर से ‘टाइल्स’ बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें?
पशुओ के पोषण आहार में खनिज लवण का महत्व क्या है?
किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.