जैव विविधता संरक्षण क्या है : What is Biodiversity Conservation
जैव विविधता संरक्षण क्या है : What is Biodiversity Conservation, जैव विवधता जीवन और विविधता के संयोंग से निर्मित शब्द है. जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है. पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी जीव-जंतुओं, पेड़-पौधे, फफूंदों और सूक्ष्म जीवों की जातियों, प्रजातियों और किस्मों का आधार जैव विविधता कहलाता है. जैव विविधता संरक्षण का तात्पर्य विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और पेड़ पौधों का संरक्षण करके उनका अस्तित्व बनायें रखना होता है. वर्तमान में इनकी कमी से बाढ़, सुखा और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा का ख़तरा धीरे-धीरे बढ़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (युएनईपी) के अनुसार जैव विविधता विशिष्टतया अनुवांशिक, प्रजाति तथा पारिस्थितिक तंत्र के विविधता स्तर को मापता है. जैव विविधता जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है. पृथ्वी पर जीवन आज लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में उपस्थित/मौजूद है. सन 2010 को जैव विविधता का अंतराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया है. “जैव विविधता एक प्राकृतिक संसाधन है जिससे हमारे जीवन की सम्पूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति होती है.”

वर्तमान में भारत के प्रमुख जैव विविधता के चार हॉट स्पॉट जोन
1 . पश्चिमी घाट
2. पूर्वी हिमालय
3. इन्डोवर्मा
4. सुंडालैण्ड
नोट – भारत में जैव-मंडल आरक्षित क्षेत्र नीलगिरी है.
जैव विविधता शब्द की ब्युत्पत्ति
जैव विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वन्य जीव वैज्ञानिक और संरक्षणवादी रेमण्ड एफ़. डैसमेन द्वारा 1968 ई. में ए डिफरेन्ट काइंड ऑफ कंट्री पुस्तक में लिखा गया था. जैव विविधता प्रायः प्रजाति विविधता और प्रजाति समृद्धता जैसे पदों के स्थान पर प्रयोग किया जाता है. जीव विज्ञानी अधिकतर जैवविविधता को किसी क्षेत्र में गुणसूत्र, प्रजाति तथा पारिस्थतिकी की समग्रता के रूप में परिभाषित करते है.
जैव विविधता के प्रमुख घटक
1 . वनस्पति जैव विविधता (Floral Biodiversity)
2. वन्य प्राणी/पशु जैव विविधता (Faunal Biodiversity)
3. कृषि जैव विविधता (Agro Biodiversity)
4. उद्यानिकी जैव विविधता ( Horticultural Biodiversity)
5. पालतू पशु जैव विविधता (Domesticated Biodiversity)
6. मत्स्य जैव विविधता (Fisheries Biodiversity)
जैव विविधता का महत्व
1 . खाद्य सुरक्षा
2. सेहत और स्वास्थ्य
3. रेशे
4. जैव या बायो ईंधन
5. पर्यटन
6. प्रजातियों की परस्पर निर्भरता
7. प्राकृतिक चक्र के अंग के रूप में जैव विविधता का मूल्य
8. मिट्टी और जल संरक्षण में जैव विविधता
9. जैव विविधता का सौन्दर्यबोधक मूल्य
10. जैव विविधता का धार्मिक, सांस्कृतिक और अध्यात्मिक मूल्य
भारत में जैव विविधता की स्थिति
1 . भारत दुनिया के 12 विराट जैव विविधता (Megabiodiversity) वाले देशों में से एक है.
2. भारत में वनस्पतियों की 45,000 हजार प्रजातियाँ और जीव जंतुओं की 90,000 हजार प्रजातियाँ मौजूद है.
3. भारत में अनाज की 46 प्रजातियाँ, फलों की 91 प्रजातियाँ, मशालों की 28 प्रजातियाँ, सब्जियों और दालों की 55 प्रजातियाँ, रेशेदार फसलों की 15 प्रजातियाँ, तिलहनों की 14 प्रजातियाँ, और चाय, कॉफी, तम्बाखू तथा गन्ने की कई विशिष्ट स्वाद वाली किस्में है.
4. मवेशियों की 40 नस्लें, भेड़ों की 42 और बकरियों की 20 नस्लें भारत में पायी जाती हैं.
जैव विविधता के ख़त्म होने के मुख्य कारण
1 . जीवों के रहवास क्षेत्रों का धीर-धीरे ख़त्म होते जाना.
2. दुसरे बाह्य प्रजातियों का वन्य जीवों पर आक्रमण.
3. प्रदुषण और वैश्विक जलवायु में परिवर्तन.
4. अनियोजित विकास, अपर्याप्त और अलोचशील वैधानिक और संस्थागत पद्धतियाँ.
5. खेती और वानिकी की कुछ प्रथाएँ.
6. जनसंख्या में वृद्धि और अधिक उपभोग की प्रवृत्ति.

जैव विविधता का संरक्षण
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास
1 . CITES – Convention on International Trade in Endangered Species Fauna and Flora – 1975
2. Ramsar Treaty – 1975
3. CBD – Convention on Biological Diversity
राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास
1 . वन अधिनियम – 1927
2. वन संरक्षण अधिनियम – 1980
3. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम – 1972, 1991, 2002
4. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम – 1986
5. पी.वी.पी.एफ़.आर. अधिनियम – 2001
6. जैवविविधता अधिनियम – 2002
जैवविविधता अधिनियम 2002
1 . अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता सम्मलेन (CBD – Convention on Biological Diversity) के प्रावधानों के तहत भारत में वर्ष 2002 में जैवविविधता अधिनियम, 2002 अधिसूचित किया गया एवं जैव विविधता अधिनियम 2004 बनाया गया.
2. जैव विविधता अधिनियम 2002 के क्रियान्वयन के लिये त्रि-स्तरीय संरचना बनायीं गयी.
जैवविविधता अधिनियम, 2002 – त्रि-स्तरीय संरचना

जैवविविधता अधिनियम, 2002 का उद्देश्य
1 . जैवविविधता का संरक्षण (Conservation of Biodiversity)
2. जैवविविधता का संवहनीय उपयोग (Sustainable use of Biodiversity)
3. जैविक स्रोतों से उद्भूत लाभों का साम्यपूर्ण विभाजन (Equitable Benefit Sharing)
प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
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