गाय के थन में सूजन का घरेलु उपचार क्या है । Gaay Ke Than Me Soojan Ka Gharelu Upchar Kya Hai
गाय के थन में सूजन का घरेलु उपचार क्या है । Gaay Ke Than Me Soojan Ka Gharelu Upchar Kya Hai, पशुपालकों में गाय और भैंस ही एक प्रमुख दूध उत्पादन का जरिया है। इसलिए अपने पशुधन को हमेशा स्वस्थ रखना पशुपालकों का कर्तब्य होता है।
यदि पशुपालक के गाय और भैंस में कोई रोग या संक्रमण की स्थिति बनती है तो पशु के उत्पादन क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। पशुओं के अस्वस्थ होने पर दूध की उत्पादन कम हो जाने से पशुपालक को बहुत ही आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है।
आज हम ऐसे ही रोग के बारे में जानकारी देंगे जिसका पशुओं के दूध उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। पशुओं में होने वाले इस रोग का नाम है थनैला, यह रोग नाम से ही स्पष्ट है कि यह पशुओं के थन से जुड़ी समस्या को दर्शाता है।
इस रोग के चलते पशुओं में दूध उत्पादन क्षमता बहुत अधिक प्रभावित होता है और कभी-कभी पशुओं के प्रभावित थन के चूंची(ढेटी) को काटने तक की नौबत आ जाती है।
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इस स्थिति में पशुपालक किसान थनैला रोग को ठीक करवाने के चिकित्सीय दवाई और घरेलु दवाई के खोज में जुट जाते हैं। यदि आप थनैला रोग के लिए घरेलू दवाई की खोज कर रहें हैं तो आप मेरे इस पोस्ट पर बनें रहें। इतना ही नहीं इस पोस्ट के माध्यम से पशुओं को थनैला रोग से कैसे बचा कर रखें इसकी भी जानकारी दी जाएगी।
पशुओं में थनैला रोग क्या है?
- थनैला रोग दुधारू पशुओं में होने वाला एक ऐसा रोग है, जिसमें पशुओं के थन और उसके चूँची में सूजन हो जाती है।
- थनैला रोग को यदि पशुपालक साधारण समझता है तो धीरे-धीरे पशु के थन में पस(मवाद) भर जाता है।
- थन में गांठें बन जाती है।
- दूध निकलने वाली रास्ता में मवाद भरने से जाम लग जाता है और कभी-कभी प्रभावित थन का हिस्सा हमेशा के लिए बंद हो जाती है।
थनैला रोग की पहचान कैसे करें?
- थनैला रोग के प्रारंभिक स्थिति में पशु के थन में छोटे-छोटे फोड़े दिखाई देते है।
- धीरे-धीरे पशुओं के थन का आकर बड़ा होने लगता है, और थन में सूजन वाले भाग स्पष्ट अलग दिखाई देने लगता है।
- पशु के दूध दुहते समय असहनीय दर्द के कारण पशु दुहने नहीं देती है और इधर-उधर हलचल करती है।
- बछड़े को दूध पिलाने समय भी पशु बहुत नाटक करती है।
- कभी-कभी पशुओं के थन में गांठें भी बन जाती है।
- पशु के थन से दूध दुहने पर, दूध के साथ खून मिला हुआ, लाल दूध निकलने लगता है।
- इतना ही नहीं थन में मवाद बन जाने की स्थिति में दूध निकलने पर दूध के साथ छिछड़े निकलने लगता है।
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पशुओं में थनैला होने के कारण क्या है?
- पशुओं में थनैला होने के कई कारण हो सकते है। पशुपालक को निम्नलिखित कारणों पर विशेष धयान देने की जरुरत है।
- अगर पशु का दूध निकालते समय, दुहने वाले वाले द्वारा अपने हाथों को अच्छे से साफ नहीं किया गया है तो पशु में थनैला का संक्रमण फ़ैल सकता है।
- पशुओं में थनैला रोग के वाहक जीवाणु, विषाणु, कवक और मायकोप्लाजमा के कारण भी होता है।
- यदि गाय थनैला रोग से संक्रमित पशु के संपर्क में आती है तो स्वस्थ पशु में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।
- गाय का दूध दुहते समय थन से पूरा दूध नहीं निकालने पर, बचे हुए दूध के जमाव के कारण भी थनैला रोग हो सकता है।
- दुधारू पशु के बैठने वाले स्थान की साफ-सफाई नहीं होने के कारण, थन के दूषित होने पर भी थनैला रोग होता है।
- कभी-कभी पशु के थन में चोट लग जाने या छील जाने के कारण भी थनैला की सक्रमण होने का खतरा बना रहता है।
थनैला रोग का घरेलु उपचार क्या है?
- दुधारू पशुओं में थनैला रोग हो जाने पर अरंडी (अण्डी) तेल से मालिश करने पर भी बहुत आराम मिलता है।
- थनैला रोग हो जाने पर पशु को कुछ दिन तक आधा किलो दही और गुड़ खाने को देने से भी लाभ मिलता है।
- गाय को पोस्ता का फल और नीम की पत्ती का भाप देने से भी आराम मिलता है।
- थनैला रोग के दौरान गंधक की धुनि देने पर भी बहुत लाभ मिलता है।
- पशु के लिए नीम की पत्ती को पानी में उबालकर थनैला रोग ग्रसित थन की सिकाई करने पर भी आशातीत लाभ मिलता है
- पशु को थनैला हो जाने पर हल्दी, सेंधा नमक को पीसकर घी में मिलाकर इसका पेस्ट बना लेवें, अब इसे दूध निकलने के बाद थन में लेप लगाकर मसाज करने से भी राहत मिलता है।
- गाय को थनैला हो जाने पर गाय का घी, काली मिर्च आधा छटाक और नीबू का रस मिलाकर पशु को नियमित पिलाने से भी बहुत आराम मिलता है।
- गाय के थन से दूध में खून आने पर पशु को केले में कपूर की गोली खिलाने पर दूध के साथ आने वाला खून रुक जाता है।
- गाय के थन में अत्यधिक सूजन हो जाने पर हल्दी, चुना और एलोवेरा अथवा गुड़ का पेस्ट बनाकर, पशु के दूध दुहने के बाद पशु के थन में उस पेस्ट का लेप लगाकर सुबह-शाम लगाने से पशु को सूजन से बहुत जल्दी राहत मिलती है।
नोट- पशुओं में होने वाले थनैला रोग का यह देशी और घरेलु उपचार सभी पशुओं पर असरकारक हो ऐसा अनिवार्य नहीं है, अतः यह देशी और घरेलु उपचार के लाभ नहीं मिलने पर कृपया पशु चिकित्सक से सलाह अवश्य लेवें। धन्यवाद।
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