मछली पालन व्यवसाय की शुरुवात कैसे करें : How to Start Fish Farming Business
मछली पालन व्यवसाय की शुरुवात कैसे करें : How to Start Fish Farming Business, आज भारत में मछली पालन का व्यवसाय बहुत तेजी से विकास कर रहा है. आज बहुत से किसान भाई मछलीपालन व्यवसाय से अच्छी आमदनी करके खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहें है. आइये जानते हैं की मछली पालन शुरुवात करने की बिभिन्न आधारभूत तरीकों के बारे में.
मछली पालन व्यवसाय की शुरुवात कैसे करें : How to Start Fish Farming Business, आज भारत में मछली पालन का व्यवसाय बहुत तेजी से विकास कर रहा है. आज बहुत से किसान भाई मछलीपालन व्यवसाय से अच्छी आमदनी करके खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहें है. आइये जानते हैं की मछली पालन शुरुवात करने की बिभिन्न आधारभूत तरीकों के बारे में. बरसात के मौसम में पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण नदी, पोखरों, तालाबों, नहरों आदि में पर्याप्त मात्रा में पानी नही होती है. जिससे मछलियाँ पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाती है. अतः बाजार में मछली पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाने के कारण दिनों दिन मछली की मांग और प्रचलन बढ़ती जा रही है. ऐसे में आज किसान, बेरोजगार युवाओं के लिये मछली पालन करके, अच्छी आमदनी करने और रोजगार निर्माण का सुनहरा अवसर है.
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मछली को प्रोटीन का एक अच्छा, बड़ा श्रोत माना जाता है. मछली के मांस को खाने के रूप में उपयोग तो किया ही जाता है, साथ ही मछली के तेल निकालकर अनेक प्रकार के उत्पाद बनाये जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपने खेतों में ही छोटा सा तालाब बनाकर मछली पालन करते है. ऐसे में सरकार मछली पालन के लिये किसानों को लोन भी देती है. ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान मछली पालन व्यवसाय से जुड़ सकें और बेरोजगारों को रोजगार मिल सके. अगर आप भी मछली पालन के इच्छुक हैं तो मछली पालन से जुड़ी छोटी से छोटी चीजों को जानना बहुत ही जरुरी है. जैसे मछली पालन कैसे करें, मछली पालन के लिये कितने जमींन की आवश्यकता होगी, मछलीपालन के लिये आपको कहाँ से लोन मिलेगा, सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली का पालन कैसे करें, छोटे तालाबों में कौन से मछली का पालन करें इत्यादि बातों का अच्छे से जानकारी प्राप्त करना बहुत ही आवश्यक होता है.
1. तालाब की तैयारी
मछली की बीज (जीरा) को डालने के पूर्व तालाब को साफ़ करना आवश्यक है. तालाब से सभी जलीय पौधों एवं खाऊ और छोटी-छोटी मछलियों को निकाल देना चाहिए. जलीय पौधों को मजदूर लगाकर साफ़ करना अच्छा रहता है और आगे ख्याल रखें कि यह पुन: न पनप सके. खाऊ तथा बेकार मछलियों को खत्म करने के लिए तालाब को पूर्ण रूप से सुखा दिया जाये या जहर का प्रयोग किया जायें. इसके लिए एक एकड़ तालाब में एक हजार किलोग्राम महुआ की खली डालने से दो-चार घंटों में मछलियाँ बेहोश होकर सतह पर आ जाती हैं. पानी में 200 किलोग्राम प्रति एकड़ ब्लीचिंग पाउडर के उपयोग से भी खाऊ मछलियों को मारा जा सकता है. पानी में इन जहरों का असर 10-15 दिनों तक रहता है.
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2. जीरा संचयन – तालाब में छ: चुनी हुई मछलियों के संचयन से उत्पादन अधिक होता है. इन मछलियों की अंगुलिकायें 4000 प्रति एकड़ संख्या में निम्नांकित अनुपात में डालना चाहिए-
देशी मछलियाँ(प्रति एकड़) | संख्या | विदेशी मछलियाँ(प्रति एकड़) | संख्या |
1. कतला | 800 | 1. सिल्वर कार्प | 400 |
2. रोहू | 1200 | 2. ग्रांस कार्प | 300 |
3. मृगल | 800 | 3. कॉमन कार्प | 500 |
3. खाद का प्रयोग – गहन मछली उत्पादन हेतु जैविक एवं रासायनिक खाद उचित मात्रा में समय-समय पर देना आवश्यक होता है. खाद को किस प्रकार से डालें उसे नीचे तालिका में दिया गया है.
खाद डालने का समय | गोबर: डी.ए.पी: चूना(मात्रा किलोग्राम/एकड़) | अभुक्ति | ||
1. जीरा संचय के 20 दिन पूर्व | 800 | 8 | 200 | पानी की सतह पर हरी कई की परत जमे तो |
2. प्रति माह (जीरा संचय के बाद) | 400 | 8 | 50 | खाद नहीं डालें |
4. कृत्रिम भोजन – मछली के अधिक उत्पादन के लिए प्राकृतिक भोजन के अलावा कृत्रिम भोजन की आवश्यकता होती है. इसके लिए सरसों की खली एवं चावल का कुंडा बराबर मात्रा में उपयोग किया जा सकता है. मिश्रण डालने की विधि इस प्रकार होनी चाहिए.
भोजन देने की अवधि | महिना | प्रतिदिन (मात्रा कि..ग्रा./एकड़) |
1. | जीरा संचयन से तीन माह तक | 2-3 |
2. | चौथे से छठे माह तक | 3-5 |
3. | सातवे से नौवे माह तक | 5-8 |
4. | दसवे से बारहवे माह तक | 8-10 |
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इस प्रकार मछली पालन करने से ग्रामीणों को बिना अधिक परिश्रम से और अन्य व्यवसाय करते हुए प्रति वर्ष प्रति एकड़ 1500 किलोग्राम मछली के उत्पादन द्वारा 25 हजार रूपये का शुद्ध लाभ हो सकता है.
मिश्रित मछली पालन में आय-व्यय का ब्यौरा (एक एकड़ के लिए)
मद | मात्रा | अनुमानित खर्च (रु.) |
तालाब का किराया | 3000/हें. | 1,200.00 |
मरम्मत | 3000/हें. | 1,200.00ब्लीचिंग पाउडर |
ब्लीचिंग पाउडर | 80 किलोग्राम/ 15 रु. | 1,200.00 |
गोबर खाद | 5200 किलोग्राम/30 पै. | 1,560.00 |
डी.ए.पी. | 96 किलोग्राम/10 रु. | 960.00 |
चूना | 750 किलोग्राम/ 2 रु. | 1,500.00 |
अंगुलिकायें | 3600/600 हजार रु. | 2,160.00 |
चावल भूसी | 2035 किलोग्राम/1 रु. | 2,035.00 |
सरसों खली | 2035 किलोग्राम/ 8 रु. | 16,280.00 |
मछली चूना | 365 किलोग्राम/10 रु. | 3,650.00 |
अन्य | – | 500.00 |
ब्याज | 10% | 3,224.00 |
कुल लागत | रु.35,469.00 |
मछली उत्पादन=1500 किलोग्राम/40 रु. = रु.60,000.00
लाभ = (रु. 60,000 – 35,469) = रु. 245331.00
= रु. 245331.00
इस तरह मिश्रित मछली पालन से एक एकड़ तालाब से प्रतिवर्ष पचीस हजार रूपये का लाभ कमाया जा सकता है.
समन्वित मछली पालन
मछली पालन से अधिक उत्पादन, आय एवं रोजगार के लिए इसे पशुपालन के साथ जोड़ा जा सकता है. यदि मछली पालन से सूकर, मुर्गी या बत्तख पालन को जोड़ दिया जाये तो इसके मल-मूत्र से मछलियों के लिए समुचित प्राकृतिक भोजन उत्पन्न होगा. इस व्यवस्था में मछली पालन से अलग से खाद एवं पूरक आहार की आवश्यकता नहीं होगी. एक एकड़ के तालाब के लिए 16 सूकर या 200 मुर्गी या 120 बत्तख की खाद काफी होगी.
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यदि सूकर या बत्तख को तालाब के पास ही घर बनाकर रखा जाये तो इसे खाद को तालाब तक ले जाने के खर्च की बचत होगी तथा बत्तख दिनभर तालाब में ही भ्रमण करती रहेगी तथा शाम होने पर स्वयं ही वापस घर में आ जायेगी. यह व्यवस्था उस तरह के तालाब के लिए उपयोगी है जिसमें मवेशियों के खाद देने और नहाने-धोने की मनाही है. आदिवासी बहुल क्षेत्रों के सामूहिक तालाब में इस व्यवस्था को अच्छी तरह किया जा सकता है तथा रोजगार की संभावनाओं का विकास किया जा सकता है.
मत्स्य-बीज उत्पादन
ऐसे तालाब जो काफी छोटा है (10-25 डिसमिल) और जिसमें पानी भी अधिक दिनों तक नहीं रहता है, उसमें बड़ी मछली का उत्पादन संभव नहीं. लेकिन जीरा (मत्स्य बीज) उत्पादन का कार्यक्रम किया जाये तो अच्छी आमदनी प्राप्त होगी. किसान 25 डिसमिल के तालाब से एक बार यानि 15-20 दिनों में पाँच हजार रुपया तथा एक साल में 3-4 फसल कर 15,000-20,000 रु. तक कमा सकता है.
साधारणत: इस क्षेत्रों में मछली बीज की काफी कमी है और बहुत सारे तालाब बीज की कमी के कमी कारण मत्स्य पालन के उपयोग में नहीं आ पाते हैं.
जीरा उत्पादन की विस्तृत वैज्ञानिक विधि एवं आय-व्यय का ब्यौरा निम्नलिखित है –
मत्स्य-बीज उत्पादन की वैज्ञानिक विधि (एक एकड़ के लिए)
समय | सामान | दर प्रति एकड़ |
स्पॉन छोड़ने के सात दिन पूर्व | गोबर (कच्चा या सड़ा हुआ) | 2,000 किलोग्राम |
चूना | 100 किलोग्राम | |
स्पॉन छोड़ने के एक दिन पूर्व | डीजल एवं साबुन का घोल | 20 ली./एकड़ |
स्पॉन छोड़ने का समय(सुबह या शाम) | स्पॉन (किसी एक जाति की मछली या मिश्रित भी ले सकते है) | 10 लाख/एकड़ |
स्पॉन छोड़ने के एक दिन बाद से पूरक आहार दें | सरसों खली एवं चावल की भूसी पीसकर बराबर अनुपात में | 6 किलोग्राम/एकड़(आधा सुबह एवं आधा शाम) |
स्पॉन छोड़ने के छह दिन बाद से | 12 किलोग्राम/एकड़(आधा सुबह एवं आधा शाम) | |
स्पॉन छोड़ने के ग्यारह से 15 दिन तक | 18 किलोग्राम/एकड़(आधा सुबह एवं आधा शाम) |
स्पॉन छोड़ने के सोलहवें दिन से जीरा निकालकर बेचना शुरू करें. यह कार्य सुबह या शाम में करना ज्यादा लाभप्रद है.
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मत्स्य-बीज (जीरा) उत्पादन में आय-व्यय का ब्यौरा (25 डिसमिल के लिए)
सामान | मात्रा | अनुमानित खर्च (रु.) |
ब्लीचिंग पाउडर | 20 किलोग्राम/15 रु. | 300.00 |
गोबर खाद | 500 किलोग्राम/30 पै. | 150.00 |
चूना | 25 किलोग्राम/5 रु. | 125.00 |
डीजल एवं साबुन का घोल | 5 लीटर/25 रु. | 125.00 |
स्पॉन | 2,50,000/6 रु./हजार | 1,500.00 |
आहार | 45 किलोग्राम/6 रु. | 270.00 |
कुल खर्च रु. | 2,470.00 |
जीरा उत्पादन = 75,000/ 100 रु. हजार = रु. 7,500.00
लाभ: (7,500 – 2,470) = रु. 5030.00
नोट – चूँकि यह काम बरसात के दिनों में ही होता है और एक फसल में 20-25 दिन लगते हैं इसलिए किसान एक साल में 3-4 फसल पैदा कर 15,000 से 20,000 रु. का लाभ कमा सकता है और जो मछलियाँ तालाब में रह जायेंगी उसे बड़ा होने पर वह बेच कर और लाभ कमा सकता है.
(यहाँ मछली पालन की दी गई जानकारी स्वयंसेवकाें द्वारा तैयार की गई अथवा दिये गये विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई है एवं दी गई मात्रा एवं खर्च का अनुमान भी समय अनुसार दिया गया था. इन आंकड़ाें में समयानुसार काफी परिवर्तन आ गया गया है कृपया नवीनतम आंकड़े के लिए आप भी इसमें विषय सामग्री जाेड़ सकते हैं अथवा उसे सही कर सकते हैं. आंकड़ाें में नवीनतम जुड़ाव काे जानने के लिए नजदीक के मत्स्य विभाग में संपर्क करें.)
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प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर हमेशा विजिट करते रहें.
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