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सफ़ेद कौआ क्या यह है कुदरत का करिश्मा : White Crow is this a Miracle of Nature

सफ़ेद कौआ क्या यह है कुदरत का करिश्मा : White Crow is this a Miracle of Nature, शायद ही आप सफ़ेद रंग के कौए को देखें होंगे, लेकिन आज आपको सफ़ेद रंग के कौए के बारे में बताएँगे. जी हाँ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कौए पहले सफ़ेद रंग के होते थे, लेकिन एक गलती ने उन्हें ‘काला’ बना दिया. जबकि इस पर वैज्ञानिक मान्यताएं कुछ अलग है.

White Crow is this a Miracle of Nature
White Crow is this a Miracle of Nature

आज तक आपने कौए को हमेशा काले रंग के देखे होंगे, परन्तु औरंगाबाद के एक ख़ास इलाके में सफ़ेद कौआ देखे जाने के बाद इस बात की खूब चर्चा हो रही है. पक्षियों में कौआ चटख काला या फिर स्लेटी ब्लैक रंग का होता है. लेकिन बिहार के औरंगाबाद में एक ऐसा कौआ देखा गया है जिसका रंग सफ़ेद है. इस कौए को देखकर लोग कुछ शुभ संकेत की ओर ईशारा कर रहे हैं. ये खास तरह का कौआ वारुण प्रखंड के पीपरा गाँव के 5 किलोमीटर दायरे में कभी कभार दिखाई देता है. एक तरह से ये कौआ जब भी दिखता है तो वो ब्लैक कौओं की सिक्यूरिटी में रहता है.

सफ़ेद रंग का कौआ

स्थानीय लोग भी सफेद और खास तरह के कौए को देखकर हैरान रह गए. उन्होंने बताया की जब इस कौए को देखा गया तो इसे कौए या कोई अन्य पक्षी समझा लेकिन उसकी आवाज ने पुख्ता कर दिया कि वो कौआ ही है. कौए का रंग धरती के किसी भी कोने में हो काला या चटख काला ही मिलेगा. लेकिन ये कौआ ख़ास होने की वजह से पुरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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पहली बार इस सफ़ेद रंग के कौए को देखा गया तो समझा गया कि यह कबूतर या पंडुक है. लेकिन कौआ सफेद हो सकता है इसे देखकर और इसकी आवाज को सुनकर समझे कि यह वास्तव में सफेद कौआ है. ये गाँव के आसपास ही दिखाई देता है और जब इसे देखना चाहेंगे तो यह दिखाई नहीं देता है. अनायास ही यह नजर आता है.

कौआ के सफ़ेद से काला होने की पौराणिक कथा

कौए के रंग को लेकर पौराणिक मान्यता भी है. सफ़ेद रंग के कौए को लेकर जब ज्योतिषाचार्य संतोष कुमार मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने इसे दैवीय चमत्कार बताया. कौआ को लेकर उन्होंने पौराणिक मान्यता से जुड़ी कथा बताई और कहा कि पहले कौए सफ़ेद रंग के ही होते थे. लेकिन ऋषि के शॉप के कारण काले पड़ गये.

‘शॉपित है काला कौआ’

पौराणिक कथा के मुताबिक एक दिन ऋषि को तपस्या के बाद पता चला कि उत्तर दिशा में एक अमृत कुंड है. इस अमृत कुंड की जानकारी पुख्ता करने के लिए उन्होंने अपने आश्रम के कौए को भेजा. कौआ काफी चालाक और परिश्रमी होता है इसलिए ऋषि ने उन्हें अमृत की तलाश के लिए उपयुक्त समझा. उन्होंने उन कौए को निर्देश और ताकीद के साथ उड़ान भरने की अनुमति दी कि अमृत पीकर जूठा नहीं करना.

कौआ उड़ते उड़ते अमृत कुंड तक पंहुच गया, जहाँ पर उसने ऋषि की आज्ञा की अवहेलना करके अमृत का पान कर लिया. कौआ जब वापस ऋषि के आश्रम पहुंचा तो ऋषि को उसने सारी बात बताई, लेकिन उसने वह भी कहा कि उसने अमृत का पान किया है, ऋषि आज्ञा का उलंघन किया है. ऋषि ने ये सुनते ही क्रोधवश कौवे को शॉप दिया और उन्होंने कौवे को अपने कमंडल के काले जल में डुबोकर बाहर निकाल दिया, तब से ऋषि के शॉप के कारण कौए काले हो गये.

शॉप से 15 दिन की मिली मुक्ति

कौआ शॉप से मुक्ति पाने के लिए ऋषि से मिन्नतें करने लगा. ऋषि ने तब कहा कि तुझे पाप से मुक्ति नहीं मिल सकती, लेकिन अमृत का पान करने की वजह से तेरा अकाल मृत्यु भी संभव नहीं है इसलिए तुझे पितृपक्ष के दिन पूजा जायेगा. ज्योतिषाचार्य संतोष ने बताया कि कौआ पूर्वज का प्रतीक है, अतः जो कौआ कुछ हटके दिखे तो यह शुभ लक्षण है.ऐसा कौआ ऋषि के शॉप से मुक्त है.

सफ़ेद कौए पर वैज्ञानिक मान्यताएं क्या है?

कौए के सफ़ेद होने की ये, कौए की पौराणिक मान्यता थी, लेकिन कौआ सफ़ेद होता है इसके पीछे वैज्ञानिक मान्यता ये है कि ये जेनेटिक डिसआर्डर है. कृषि विज्ञान केंद्र के पूर्व पशु वैज्ञानिक डॉ. आलोक कुमार भारती ने ईटीवी भारत को बताया कि लगभग 30 हजार कौओं में एक ही कौआ उजला होता है. यह एक ल्युसिज्म नाम की बीमारी होती है.

जेनेटिक डिसआर्डर है कौए का सफ़ेद रंग

डॉक्टर आलोक भारती ने आगे बताया कि ऐसे कौए में मेलानिन नहीं बनने की बजह से उसका पूरा शरीर सफ़ेद रंग का हो जाता है. यहाँ तक पंख और शरीर के अन्य भाग भी सफ़ेद रंग का हो जाता है. जबकि आँख का रंग पिंक या फिर रेड कलर का हो जाता है. ऐसा होना एक जेनेटिक डिसआर्डर है जो सफ़ेद कौआ में बचपन से ही होता है.

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कौए का सफ़ेद रंग MC1R जीन्स के कारण होता है

“कौए का सफ़ेद रंग जेनेटिक डिसआर्डर है. यह MC1R नाम के जीन्स के कारण यह बीमारी होती है. इसके अलावा अंडा में प्रोटीन की कमी की वजह से बच्चे सफ़ेद हो जाते हैं. हालाकि सफ़ेद होने से कौआ के जीवन चक्र पर कोई प्रभाव नही पड़ता है”

काले कौए ही सफ़ेद कौए के बन जाते है दुश्मन

पशु विशेषग्य डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि सफ़ेद रंग का कौआ मिलना काफी दुर्लभ होता है. यह कौआ अपना पूरा जीवन (जो कि 8 से 15 वर्ष का होता है) जीयेगा. ऐसे कौए में हालाकि अल्ट्रावायलेट किरण का प्रकोप ज्यादा होता है. दूसरी इन्हें अपने ग्रुप के अन्य कुओं से भी ख़तरा होता है, जो इन्हें दूसरी प्रजाति का मान बैठते हैं. यहीं वजह है कि सफ़ेद कौआ ज्यादा दिन तक जिन्दा नहीं रह पाते है. ये कौआ एकदम सफेद नहीं बल्कि ऑफ वाइट है. जिसकी वजह से यह सर्वाइव कर पा रहा है.

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