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कृत्रिम गर्भाधान पूर्व गर्भाशय परीक्षण क्या है : AI Karane Se Pahle Pashu Ka Uterus Test Kya Hai

कृत्रिम गर्भाधान पूर्व गर्भाशय परीक्षण क्या है : AI Karane Se Pahle Pashu Ka Uterus Test Kya Hai, पशुपालक को अपने पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान कराने के पूर्व गर्भ परीक्षण कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह आवश्यक नहीं होता है कि प्रत्येक पशु कृत्रिम गर्भाधान के लिए उपयुक्त है.

AI Karane Se Pahle Pashu Ka Uterus Test Kya Hai
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प्रत्येक पशुपालक अपने पशु में कृत्रिम गर्भाधान के पूर्व गर्भाधान करने वाले से पशु की उपयुक्तता की अवश्य जाँच करायें.

एक अच्छा कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता, पहले पशु के हालात का आंकलन करता है. फिर निर्णय करता है कि पशु में कृत्रिम ग्र्बह्धन किया जाये या नहीं. कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता गाय के प्रजनन इतिहास को जानने के बाद ही, पशु में कोई समस्या नहीं पाए जाने पर ही कृत्रिम गर्भाधान करना चाहिए.

कभी-कभी कुछ पशुपालक ऐसे गाय में कृत्रिम गर्भाधान कराने की जिद करते है, जिसमें प्रसव के समय समस्या, रिपीट ब्रीडिंग की समस्या, गर्भधारण के समय समस्या, गर्भपात करने वाली बीमारी की समस्या इत्यादि होती है. ऐसे में पशुपालक कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता द्वारा समझाई गई बात को ध्यान देना चाहिए तथा समय पर आवश्यक समुचित उपचार कराना चाहिए.

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गर्भाधान के पूर्व प्रजनन संबंधी जानकारी

प्रत्येक कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता सर्वप्रथम पशुपालक से कुछ निम्न आवश्यक प्रश्न पूछें, जिसमें गाय, भैंस के प्रसव इतिहास, पशु के पूर्व कृत्रिम गर्भाधान की जानकारी, पशु के पूर्व मद या गर्मी की जानकारी इत्यादि. नीचे दी गई जानकारी के आधार पर परिस्थिति अनुसार उचित निर्णय लेना संभव हो पायेगा.

  • पशु के नस्ल, उम्र तथा गाय, भैंस की पहचान करके जानकारी लेवें.
  • पशु में दो ऋतुकाल के बीच का समय अन्तराल की जानकारी प्राप्त करें.
  • पशु में पिछले कृत्रिम गर्भाधान की तिथि और समय की जानकारी लें.
  • यौनारम्भ या पिछले प्रसव के पश्चात् पशु में गर्भाधान की संख्या की जानकारी.
  • पशु के पिछले प्रसव की तिथि तथा उससे जुड़ी जानकारियाँ. असामान्य प्रसव की स्थिति में उसकी प्रकृति की जानकारी.
  • बछिया की आयु तथा उसके यौनारम्भ होने की आयु.
  • पूर्व प्रजनन इतिहास का विवरण तथा प्रजनन ब्याधि की स्थिति में किया गया उपचार, गर्भपात, गर्भधारण समस्या, ऋतुकाल चक्र की अवधि आदि.
  • गाय द्वारा हीट या गर्मी में आने के लक्षण (रम्भाना या छुप्पी मद) की जानकारी.
  • पशु के गर्मी में पाए जाने का उचित समय का पता करें.
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पशुपालक से उपरोक्त जानकारी लेने से पशु का पूर्व तथा वर्तमान इतिहास ज्ञात किया जा सकता है. इसके पश्चात् पशु के समस्त जननागों का परीक्षण करना चाहिए. उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर तथा पशु के जननांगों के परिक्षण के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं जैसे ….

  • क्या गाय एक रिपीट ब्रीडर है?
  • पशु का ऋतुचक्र नियमित है या अनियमित, अनियमित ऋतुचक्र प्रजनन तंत्र की कार्यिकी में असमानता का संकेत देता है.
  • पशु के पिछले ब्यात की तिथि की जानकारी लेना आवश्यक है क्योंकि गाय तथा भैंस में पिछले ब्यात की तिथि से 60-90 दिनके भीतर पहला कृत्रिम गर्भाधान किया जाना चाहिए. पशु में ब्यात के 120 दिन से अधिक दिनों में गर्भाधान करने पर अन्तराल लम्बा हो जाता है तथा किसान को आर्थिक हानि उठानी पड़ सकती है.
  • यदि गाय को पिछली ब्यात में समस्या हो रही हो तो संभव है कि अगले ब्यात में भी समस्या हो सकती है. अतः प्रत्येक कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए.
  • बछिया की आयु की जानकारी लेना आवश्यक है क्योंकि ऐसी बछिया जिनमें यौनारम्भ बहुत जल्दी शुरू हो जाती है, वह जल्दी गर्भधारण नहीं करती है. यदि ऐसी बछिया गर्भधारण करती है तो उसकी स्वयं की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है. जिससे उनका दूध उत्पादन में आजीवन प्रभाव पड़ता है.
  • ऐसी बछिया जो गर्भधारण के लिए उपयुक्त होने के बाद भी गर्भधारण नहीं करती उसके प्रजनन तंत्र में कुछ न कुछ समस्या होती है. ऐसे में पशु के प्रजनन अंगों के समस्या का परीक्षण करके उपयुक्त निर्णय लिया जाना चाहिए.
  • यदि पशु की शारीरक स्थिति सही नहीं है तो इसका कारण किन्ही विशेष खनिज पदार्थों की कमी से हो सकती है.
  • पूर्व ऋतुचक्र में ऋतुकाल के प्रारंभ होने तथा उसकी अवधि की जानकारी लेने से गर्भाधान करने का सही समय ज्ञात किया जा सकता है. ध्यान रहे की पशुपालक पशु के प्रजनन इतिहास के बारे में सही-सही जानकारी दे, यह अति आवश्यक है. परन्तु इस जानकारी को स्वयं के आंकलन, अवलोकन तथा पशु के परीक्षण संबंधी जानकारी के आधार पर परिस्थिति के अनुसार निर्णय लिया जा सकता है.
  • सामान्यतः पशुपालक गाय के गर्मी (ऋतुकाल) के आरम्भ होने का सही समय सही तथा स्पष्ट रूप से नहीं बता पाता है. उसने गर्मी के लक्षणों को कब देखा है, केवल इसी की जानकारी देता है. ऐसे में कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्त्ता स्वयं इसका परिक्षण और आंकलन करें.

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