दुधारू पशुओं में आदर्श ब्यात अन्तराल क्या है : Dudharu Pashuon Me Aadarsh Byaat Antral Kya Hai
दुधारू पशुओं में आदर्श ब्यात अन्तराल क्या है : Dudharu Pashuon Me Aadarsh Byaat Antral Kya Hai, दुधारू पशुओं में आदर्श ब्यात का अन्तराल से तात्पर्य, पशु के प्रसव की तिथि से अगली सफल कृत्रिम गर्भाधान या प्राकृतिक गर्भाधान की अवधि को कहा जाता है.

पशुओं में यह सर्विस पिरियड अवधि है जो पशु को प्रसव के बाद तनाव से उबरने और प्रजनन अंगों को वापस सामान्य स्थिति में मदद करता है. आदर्श ब्यात अन्तराल में प्रसव से लेकर अगली पहली गर्मी की अवधि शामिल है, जो लगभग 30-45 दिनों की होती है. गाय के लिए अधिकतम सर्विस पिरियड 85 दिन तथा भैंस के लिए 95-100 दिन उपयुक्त होता है.
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पशु के लिए शुष्क अवधि
पशुओं में शुष्क अवधि आमतौर पर 60 दिनों के लिए रहती है. शुष्क अवधि अगले ब्यात उपरान्त दूध निकालने से पहले गाय और दुग्ध उत्पादन तंत्र (मैमेरी ग्लैंड) के लिए एक महत्वपूर्ण आराम विधि है. गाय भी इस अवधि में अगले प्रसव के बाद में स्तनपान और दुग्ध उत्पादन हेतु पुनः क्षमता हासिल करती है.
दुधारू पशुओं में शुष्क अवधि की अधिकतम अवधि 60 दिन होती है. शोध में पाया गया है कि अगर गाय के लिए कोई शुष्क अवधि प्रदान नहीं की जाती है तो उसके अगले ब्यात में दुग्ध उत्पादन क्षमता 25-30% कम हो जाती है.
पशुओं में ब्यात का अन्तराल
पशुओ में ब्यात के अन्तराल को दो क्रमिक प्रसव के बीच की समयावधि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. इनका उपयोग पारम्परिक रूप से प्रजनन क्षमता के मापदंड के लिए किया जाता है. पशु में ब्यात अन्तराल में प्रसव से लेकर प्रथम हिट या गर्मी या मद की अवधि , गर्भाधान के पूर्व तक सर्विस की संख्या व अवधि, गर्भावस्था (गर्भाधान की लम्बाई) की अन्तराल शामिल है.
ब्यात अन्तराल पिछले प्रसव से गर्भाधान (अ) के बीच की अवधि व गर्भाधान की अवधि (ब) के योग के बराबर होता है.
गायों में आदर्श ब्यात अन्तराल एक वर्ष (365) दिनों का होना चाहिए. भैंसों में आदर्श ब्यात अन्तराल 15 माह भी हो सकता है.
ब्यात अन्तराल गायों में (दिनों में) = अ + ब,
= 85 + 280,
= 365
ब्यात सूचकांक – ब्यात सूचकांक किसी डेयरी फार्म की सभी गायों की ब्यात अन्तराल का औसत होता है.
क्रमांक | अन्तराल | समयावधि |
1 | आदर्श ब्यात अन्तराल (पशु के प्रसव तिथि से अगले गर्भाधान के बीच का समय) | गाय में 365 दिन, भैंस में 15 माह |
2 | शुष्क अवधि (पशु के ब्याने के पूर्व की अवधि) | 60 दिन |
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आदर्श पशुपालन के सामान्य सिद्धांत
- संकर गाय में दो व्यात के बीच का अंतर 13 से 14 माह एवं भैंस में 14 से 15 माह का होना चाहिए.
- जनने के बाद संकर गाय में 60 से 90 दिन एवं भैंस से 120 दिन में पुन: गर्भाधान कराना चाहिए.
- पशु के गर्मी (हीट) पर आने पर उसे अच्छी नस्ल के नर या कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से गर्भाधान कराना चाहिए.
- पशु के गर्मी पर आने के बाद 12 से 18 घंटे के बीच का समय कृत्रिम गर्भाधान के लिए सही माना जाता है.
- पशु को गर्भाधान के दिन एवं दूसरे दिन सामान्य दिनों की अपेक्षा कम चारा पानी देना चाहिए.
- गर्भाधान के बाद पशु को 20 से 21 दिन के बाद देखना चाहिए कि वह पुन: गर्मी पर आ रही है या नहीं.
- यदि पशु पुन: गर्मी पर आया हो तो उसे दोबारा गर्भाधान कराना चाहिए.
- पशु गर्भाधान के बाद यदि गर्मी पर नहीं आ रहा है तो 3 माह पश्चात उसका गर्भ परीक्षण कराना चाहिए.
- गाभिन पशु के लिए यह ध्यान रखें कि उसे बांधने का स्थान साफ-सुथरा व हवादार हो, फर्श पक्का हो, लेकिन चिकना न हो.
- गाभिन पशु को बांधते समय ध्यान रखें कि पशु का आगे का भाग नीचा रहे और पीछे का भाग ऊंचा रहे.
- गाभिन पशु को तेज दौड़ाना या उसके साथ मारपीट नहीं करनी चाहिए.
- गाभिन पशु को हरा चारा 25 किलोग्राम, सूखा चारा 5 किलोग्राम एंव संतुलित पशु आहार 2 किलो प्रतिदिन देना चाहिए.
- जनते समय पशु को साफ-सुथरी एवं समतल जगह पर और एकांत में रखना चाहिए.
- पशु को जनते समय तकलीफ हो रही है तो अनुभवी को दिखाना चाहिए.
- पशुओं को जनने के पांच दिन पहले से आधा किलो छाछ (मठा) आधा लीटर पानी के साथ मिलाकर पिलाना चाहिए.
- नवजात बच्चे को जन्म के बाद अच्छी तरह से साफ करने के बाद मां के सामने चाटने के लिए रखना चाहिए.
- नवजात बच्चा 2 से 3 घंटे के बाद पैरों पर खड़ा होने लगता है. यह समय चीका पिलाने के लिए उचित होता है.
- जन्म के बाद बच्चे की नाल को काटकर उस स्थान पर बीटाडीन लगाना चाहिए.
- पशु की जेर जनने के बाद 8 से 10 घंटे में गिर जानी चाहिए, यदि नहीं गिरती है तो पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
- पशु की जेर गिरने के बाद कुनकुने पानी से उसके पिछले हिस्से को अच्छी तरह से साफ कर देना चाहिए.
- पशु को जनने के बाद 15 दिनों तक आहार के साथ पका हुआ दलिया, गुड़ और सूखा चारा देना चाहिए.
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