बकरीपालनकृत्रिम गर्भाधानकृषि और पशुपालनतकनीकी

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान कराने के फ़ायदे : Bakriyon Me Kritrim Garbhadhan Technic kya Hai

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान कराने के फ़ायदे : Bakriyon Me Kritrim Garbhadhan Technic kya Hai, शायद अभी तक आपने गाय, भैंस में कृत्रिम गर्भाधान तकनीक के बारे में सुना या देखा होगा. परन्तु आज आपको बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान और उसके फ़ायदे के बारे में बताएँगे.

Bakriyon Me Kritrim Garbhadhan Technic kya Hai
Bakriyon Me Kritrim Garbhadhan Technic kya Hai

बकरीपालन का महत्व

कुछ समय पहले से ही केन्द्रीय भेड़, बकरी प्रजनन फार्म में कृत्रिम गर्भाधान तकनीक का प्रयोग बकरियों में किया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए है. बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान का कार्य पिछले 4-5 वर्षों से शुरू की जा चुकी है. बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान से उन्नत नास्क के बकरे-बकरी पैदा होने लगे हैं, जिनका वजन भी देशी नस्ल के बच्चे से दोगुना होता है. बकरी पालक किसान किसान कृत्रिम गर्भधान से पैदा किये गए बकरे-बकरी से बेहतर लाभ कमा रहे है.

चुकि बकरीपालन में बहुत कम खर्च आता है. इसके दैनिक आहार में भी कम खर्च आता है. इसके रख रखाव में भी कोई विशेष व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है. बकरी पालक को जब भी पैसे की जरूरत होती है, कभी भी अपने बकरे-बकरी को बेचकर पैसे की जरुरत को पूरा कर सकते हैं.

आदर्श डेयरी फार्मिंग पशुधन योजनायें
पशुधन ख़बर बकरीपालन
Bakriyon Me Kritrim Garbhadhan Technic kya Hai

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान की उत्तम तकनीक

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान एक ऐसी जनन तकनीक है, जिसके द्वारा चयनित एवं उत्तम नस्ल के बकरे का वीर्य का कृत्रिम गर्भाधान में प्रयोग करके बकरे-बकरी उत्पादन में वृद्धि किया जा सकता है. हालाकि कृत्रिम गर्भाधान का उपयोग गाय भैंस में बहुत पहले से और ब्यापक रूप में किया जा रहा है. परंतु अभी तक बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान कुछ सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है. परन्तु आशा है कि इस तकनीक का उपयोग भविष्य में बकरियों में गर्भाधान हेतु बहुत ही ब्यापक रूप में किया जायेगा.

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान के लाभ

  • स्वस्थ और उत्तम नस्ल के बकरों के हिमीकृत वीर्य से ज्यादा से ज्यादा बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान कराया जा सकता है.
  • जहाँ प्राकृतिक गर्भाधान से एक बकरा से एक बकरी को ही गर्भित किया जा सकता है वहां एक बकरे के वीर्य से 15-20 बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान किया जा सकता है.
  • बकरों में बीमारी का परिक्षण करने के पश्चात् ही उनके वीर्य का उपयोग कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जाता है, जो कि प्राकृतिक गर्भाधान में संभव नहीं है.
  • वीर्य संरक्षण तकनीक से बकरे के मृत्यु के बाद भी लम्बे समय तक संरक्षित रखकर कृत्रिम गर्भाधान में उपयोग किया जा सकता है.
  • हिमीकृत वीर्य का परिवहन एक गाँव से दुसरे गाँव, एक राज्य से दुसरे राज्य और एक देश से दुसरे देश में भी भेजा जा सकता है.
  • पशुपालक को उत्तम नस्ल के बकरे का वीर्य गर्भाधान के लिए घर पहुँच सेवा उपलब्ध होती है.

बकरियों में प्राकृतिक गर्भाधान के नुकसान

  • प्राकृतिक गर्भाधान से भयावह बीमारी जैसे ब्रुसेलोसिस होने का खतरा बना रहता है.
  • बकरियों में प्राकृतिक गर्भधान के लिए किसान निम्न गुणवत्ता वाले बकरे का उपयोग करते है.
  • अच्छे बकरों के अनुपलब्धता के कारण प्राकृतिक गर्भधान में अधिक समय लाह जाता है.
  • प्राकृतिक गर्भाधान हेतु उत्तम नस्ल के बकरों का चयन में बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है.

बकरियों में मदकाल का कैसे पता लगायें?

  • बकरी मदकाल या गर्मी में आने पर सामान्यतः विचलित होती है और खाना पीना कम कर देती है.
  • गर्मी में आने पर बकरी बार-बार पेशाब करती है तथा बार-बार तेजी से पूंछ हिलाती है.
  • गर्मी में आने पर बकरियों के योनी लाल, चिकनी और लसलसी हो जाती है.
  • बकरी के योनी मार्ग से पारदर्शी स्त्राव गिरने लगता है.
  • बकरियाँ गर्मी में आने पर झुण्ड के दुसरे बकरियों पर चढ़ने लगती है या इसकी स्वीकृति बकरे को देती है.

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान का उचित समय

अधिकतम बकरियां ठंड के मौसम में (अगस्त से जनवरी) गर्मी के लक्षण प्रदर्शित करती है जिसमे गर्मी के लक्षण 21 दिनों का होता है एवं 24 से 36 घंटे तक रहता है जिसमे इनके अंडाणु का स्त्राव गर्मी के अंत में होता है.

बकरियां सामान्यतः 24 से 36 घंटे तक मदकाल में रहती हैं तथा इसी समय में प्राकृतिक या कृत्रिम करने पर गर्भधारण करती है. यदि बकरी शाम को मद में आती है तो दुसरे दिन सुबह और शाम को कृत्रिम गर्भाधान कराये. अर्थात बकरियों के मद में आने के 12 घंटे बाद ही कृत्रिम गर्भाधान करायें. प्रजनन काल के दौरान बकरियों का विशेष ध्यान रखें यदि बकरी दोबारा मदकाल या गर्मी में आये तो पुनः कृत्रिम गर्भाधान कराये.

मत्स्य (मछली) पालनपालतू डॉग की देखभाल
पशुओं का टीकाकरणजानवरों से जुड़ी रोचक तथ्य
Bakriyon Me Kritrim Garbhadhan Technic kya Hai

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान की विधि

बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान के लिए संगृहीत हिमीकृत या तनुकृत बकरे के वीर्य स्ट्रा को तरल नाइट्रोजन से निकालकर 40 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले पानी में 40 सेकण्ड के लिए रखकर पिघला लिया जाता है. फिर वीर्य से भरी स्ट्रा को वीर्य सेंचन पिचकारी की नलिका में रखते है. फिर स्ट्रा के ऊपर के सील को स्ट्रा कटर या कैंची की सहायता से काटते है.

  • सर्व प्रथम बकरी को अछि तरह से काबू में कर सुरक्षित कर लेना चाहिए बकरी का पिछला हिस्सा ऊपर की ओर उठा हुआ होना चाहिए. वेज़ायनल स्पेकुलम को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए एवं फिसलन द्रव से लेप करना चाहिए ताकि स्पेकुलम आसानी से योनी द्वार में चला जाये.
  • वीर्य का संचय दो तरीको से किया जा सकता है पहला नर बकरे से तुरंत एकत्रित किये वीर्य के द्वारा या फिर तरल नत्रजन में एकत्रित वीर्य स्ट्रा के माध्यम से किया जाता है.
  • कृत्रिम गर्भाधान के पूर्व योनी द्वार को अछि तरह से साफ कर लेना चाहिए ताकि कृत्रिम गर्भाधान करते समय किसी भी प्रकार से गन्दगी भीतर न जा सके.
  • वीर्य स्ट्रॉ का सामान्य तापमान में लाने के लिए थाईग (95°F) पर 30 सेकंड के लिए किया जाता है , फिर कृत्रिम गर्भाधान के लिए वीर्य स्ट्रॉ को कृत्रिम गर्भाधान गन में तैयार जाता है.
  • वेज़ायनल स्पेकुलम के माध्यम से हम आसनी से ग्रीवा को देखा जा सकता है.

बकरियो का गर्भकाल

  • अधिकतम बकरियो का गर्भकाल 145 से 155 दिनों का होता है या 150 दिन ( 5 माह ) का होता है.
  • बकरियां अधिकतम 2 या 3 बच्चे को जन्म देती है.

इन्हें भी पढ़ें : किलनी, जूं और चिचड़ीयों को मारने की घरेलु दवाई

इन्हें भी पढ़ें : पशुओं के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ

इन्हें भी पढ़ें : गाय भैंस में दूध बढ़ाने के घरेलु तरीके

इन्हें भी पढ़ें : ठंड के दिनों में पशुओं को खुरहा रोग से कैसे बचायें

प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

Most Used Key :- पशुओं की सामान्य बीमारियाँ और घरेलु उपचार

किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे निचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है. ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.

-: My Social Groups :-