बछड़ों के नाभि में कीड़े लगने पर क्या दवा लगायें : Bachhdon Ke Nabhi Rog Ka Gharelu Upchar
बछड़ों के नाभि में कीड़े लगने पर क्या दवा लगायें : Bachhdon Ke Nabhi Rog Ka Gharelu Upchar, कहा जाता है कि माँ के गर्भावस्था के दौरान, बच्चे जितने सुरक्षित गर्भ में रहते है उतना सुरक्षित कही और नहीं रह सकता है. ठीक ऐसा ही पशुओं के साथ होता है.

सामान्यतः जब मादा पशु गर्भ में रहती है तो पशुपालक उनका बराबर ध्यान रखते हैं. लेकिन जब गाय, भैंस बछड़े को जन्म दे देती है तो पशुपालक बछड़े-बछड़ी पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं, ऐसे में कई बार बछड़े-बछड़ी अनेक प्रकार के रोगों के चपेट में आ जाते है. इस प्रकार से बछड़े-बछड़ी में कई आम समस्या नाभि का सड़ना, नाभि का पकना, नाभि में कीड़े लग जाना, पेट में कृमि हो जाना, दीवाल चाटना, मिट्टी खाना, मल द्वार का सड़ना, मल द्वार में कीड़े लग जाना आदि जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है.
बछड़े-बछड़ी में उपर्युक्त प्रकार की कोई भी समस्या या ब्याधियाँ हो जाने पर बहुत ही कष्ट का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पशुपालक के लिए भी यह चैलेंज बन जाता है है कि इसे जल्द से जल्द कैसे ठीक किया जाये. पशुपालकों के लिए आज इन समस्याओं से कैसे निपटा जाये और इस समस्या का निदान कैसे करें? इसकी जानकारी आपको दी जाएगी.
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बछड़े (बछिया) की नाभि का सड़ना या कीड़े लगना?
जिस तरह एक इंसान के बच्चे का जन्म के बाद उसका ध्यान रखना और उसकी साफ सफाई करना बहुत जरूरी होता है. ठीक उसी तरह गाय के बछड़े और बछिया की सफाई करना भी जरूरी होता है. लेकिन जब बछिया के जन्म के बाद उसकी नाभि की सफाई नहीं की जाती, तो ऐसे में उसकी नाभि में मवाद पड़ने लग जाती है.
यही नहीं, समय पर इस समस्या का उपचार न करने पर नाभि में पड़ी पस के चलते सूजन आ जाती है और बछिया को बहुत दर्द रहने लगता है. इसके अलावा कई बार स्थिति अधिक गंभीर होने पर बछड़ा या बछिया सुस्त हो जाता है और लंगड़ाकर चलने लगता है. कभी-कभी तो गाय, भैंस द्वारा नाभि को चाटने पर बछड़े का गर्भनाल खींच जाता और टूट जाता है. ऐसे में गर्भनाल के टूटने या चोट लगने पर नाभि में खून आने लगता है. पशुपालक द्वारा चोट लगे हुए गर्भनाल की साफ-सफाई, मरहम पट्टी पर ध्यान नहीं देने से, मक्खियों के बैठने से कीड़े लगने की सम्भावना बढ़ जाती है.
नाभि, मल द्वार या अन्य जगह कीड़े लग जाने पर क्या करें?
जिस प्रकार पशुपालक बछड़ों की देखभाल में जितना लापरवाही करता है, उसका परिणाम उतना ही भयंकर होता है. क्योंकि पशुओं की स्वच्छता ही उनकी सुरक्षा है. बछड़ों के नाभि में कीड़े लगने का कारण सिर्फ पशुपालक के लापरवाही के वजह से होता है. पशुपालक जितना अपने बच्चे की देखभाल के प्रति सतर्क रहता है उतना ही बछड़ों के देखभाल में सतर्कता जरुरी है. बछड़ों के गर्भनाल में कीड़े लगने का मुख्य कारण, गर्भनाल की अच्छी तरह से देखभाल नहीं करने से मक्खियों के बैठने पर होता है. प्रारंभ में मख्खियों के बैठने पर यदि उसे एंटीसेप्टिक दवाई से धो दिया जाए तो चोट या घाव में कीड़े नहीं लगते. यदि इस पर ध्यान नही दिया जाता है तो कीड़े धीरे-धीरे पनपने लगते हैं और प्रभावित जगह पर अपना घर बनाने लगते है. जिससे घाव या चोट वाली जगह से खून निकलने लगता है.
उपचार – कीड़े लगने वाली जगह की अच्छी तरह से चिमटी की सहायता से सफाई करें और कीड़े को निकाले. कीड़े मारने के लिए तारपीन तेल, कीड़े मारने की अन्य दवाई लगाने से कीड़े मर जाते है. कीड़े की सफाई के पश्चात् एंटीसेप्टिक मलहम, हिमैक्स, टिंचर आयोडीन, खून रोकने के लिए टिंचर बेन्जीन, टोपीक्युर स्प्रे आदि दिन में 2-3 बार लगातार लगाने से घाव जल्दी भर जाता है.
बछिया की नाभि सड़ने पर उपचार
अगर आपकी गाय की बछिया या बछड़े की नाभि सड़ गई है, तो इसका उपचार समय रहते करना बहुत जरूरी है. इसका उपचार करने के लिए आप बछिया की नाभि को एक कीटनाशक से साफ करें और टिंक्चर आयोडीन या अन्य घाव सुखाने वाली मलहम हिमैक्स लगातार लगाते रहें. ऐसा आपको तब तक करना होगा जब तक बछिया की नाभि पूरी तरह न सुख जाए. ध्यान रहे कि सफाई किए बिना यह घाव ठीक नहीं होगा. इसलिए इसमें किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें.
नाभि सड़ने से बचाने का तरीका
गाय के प्रसव के तुरंत बाद बछिया की नाभि को सही तरह से सफाई करें. इसके लिए आप किसी तरह के तरल पदार्थ या पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा जब तक बछिया की नाभि न सूख जाए तब तक उनका अधिक ध्यान रखें. यदि नाभि सूखने से पहले खिंचाकर गिर जाये तो नाभि में एंटीसेप्टिक क्रीम लगायें.
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