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पशुशाला किस स्थान पर बनायें : Where Should the Cattle Shed be Build

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पशुशाला किस स्थान पर बनायें : Where Should the Cattle Shed be Build, पशुपालक को पशुपालन या डेयरी फार्म के लिये जरुरी होता है कि, वे अपने फार्म में पशुओं को रखने के लिए पशुशाला या पशुओं के लिये आवास व्यवस्था सुनिश्चित करें. पशुपालकपशुओं के लिये पशुशाला का निर्माण करते समय दुधारू पशु, गर्भित पशु, अगर्भित पशु, छोटे बछड़ों को रखने की व्यवस्था और पशुओं की प्रजनन व्यवस्था के साथ-साथ पशुओं के लिये पैरा, दाना, कुट्टी, हरा चारा इत्यादि को रखने की उचित प्रबंधन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. पशुपालक ध्यान देवें की पशुओ को गर्मी, बरसात और ठण्ड से बचाने की उचित व्यवस्था करके ही पशुओं से अच्छा उत्पादन ले सकते है. पशुओं की उचित आवास व्यवस्था, पोषण और प्रबंधन नहीं करने करने पर पशुओं के उत्पादन क्षमता पर बहुत प्रभाव पड़ता है. पशुशाला या गौशाला के पशुओं की उचित पोषण और प्रबंधन व्यवस्था होने पर पशुपालक पशुओं की संक्रामक बीमारियाँ और मौसम का प्रतिकूल प्रभाव के कारण होने वाले रोगों के संक्रमण से पशुओं को बचाया जा सकता है.

Where Should the Cattle Shed be Build
Where Should the Cattle Shed be Build

पशुओं को आवास या घर की आवश्यकता क्यों?

1 . जिस प्रकार सभी जीवधारियों को अपने अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थिति जैसे ठंडी, गर्मी और बरसात के समय रहने या जीवन निर्वहन के लिये आवास की आवश्यकता होती है. जहाँ वे अपने जीवन की सुख और दुःख के सभी पल का बड़ी सरलता से आनंद ले सकें. ठीक उसी प्रकार अपने पालतू पशुओं को भी अपने जीवन निर्वहन के लिये आवास की आवश्यकता होती है.

2. पशुओ की उचित आवास व्यवस्था करने पर पशुओं के उत्पादन जैसे – दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन, बछड़े-बछड़ी उत्पादन तथा पशुओ की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है. जिससे पशुपालक को पशुपालन पर अधिक आर्थिक आमदनी और पशुधन की प्राप्ति होती है.

3. पशुपालन के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है कि पशुओं की स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहे, उन्हें किसी भी प्रकार की बीमारी न हो. पशुओं की आवास व्यवस्था उचित होने पर पशुओं को संक्रामक बीमारी के संक्रमण को रोका जा सकता है. स्वस्थ पशु से ही पशुपालन करके अधिक आमदनी या मुनाफ़ा कमाया जा सकता है.

4. पशुओं की आवास व्यवस्था सही होने पर पशुओं के व्यवस्थापन के ऊपर होने वाले खर्च को भी कम किया जा सकता है.

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पशुशाला से लाभ

1 . पशुशाला या पशुओं के आवास व्यवस्था करके पशुओं से अधिक से अधिक उत्पादन लिया जा सकता है. जैसे- दुधारू पशु से अधिक से अधिक दूध उत्पादन किया जा सकता है, गोबर से कम्पोस्ट खाद बनाने में उपयोग किया जा सकता है अथवा गोबर गैस का उत्पादन किया जा सकता है.

2. पशुओं की आवास व्यवस्था उचित होने पर पशुओं को संक्रामक बीमारी के संक्रमण को रोका जा सकता है. स्वस्थ पशु से ही पशुपालन करके अधिक आमदनी या मुनाफ़ा कमाया जा सकता है.

3. पशुओं के लिये पशुशाला की उचित व्यवस्था करने पशुओं की मृत्युदर में कमी किया जा सकता है.

4. पशु शेड या पशुशाला का सुव्यवस्थित निर्माण करके पशुओं की पोषण और प्रबंधन की अच्छी देखभाल किया जा सकता है तथा पशुओ की प्रजनन पर भी विशेष ध्यान दिया जा सकता है.

5. पशुपालक गौशाला या पशुशाला निर्माण करने से प्रत्येक वर्ग के पशुओं का उचित देखभाल और आहार व्यवस्था को ध्यान दिया जा सकता है.

पशुधन के रोग –

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पशुशाला या शेड के लिये वातावरण का चयन

1 . पशुशाला या पशु शेड के निर्माण उचित स्थान वह होता है, जहाँ से बाजार या शहर निकट हो. ताकि पशु उत्पाद या डेयरी से निर्मित वस्तुएं आसानी से खपत हो सके. जहाँ से जरुरत पड़ने पर पशुओं के लिये पशुआहार, पशुचारा और आवश्यक दवाइयां आसानी से उपलब्ध हो सके.

2. पशुशाला बनाते समय ध्यान रखें कि मेन रोड या सड़क से पशुशाला की दुरी 100 से 150 मीटर होनी चाहिए. ताहि पशु उत्पाद या डेयरी उत्पाद को आसानी से परिवहन किया जा सके.

3. ध्यान रहे कि पशुशाला निर्माण वाली जगह पर बिजली की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. ताकि पशुओं ठण्ड या गर्मी के मौसम में अनुकूल वातावरण मिल सके.

4. बिजली की उचित व्यवस्था होने पर ट्यूबवेल या नलकूप द्वारा पशुओं के लिये पानी का उचित प्रबंध किया जा सकता है.

5. पानी की उचित व्यवस्था होने से पशुशाला के आस-पास की जमीन पर पशुओं के लिए हरा चारा उगाया जा सकता है. जिससे गर्मी के दिनों में भी पशुओं के लिए हरे चारे की उपलब्धता होने पर दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन बना रहे.

6. पशुपालक या डेयरी फार्म के मालिको को पशुशाला में काम करने के लिये श्रमिकों की बहुत आवश्यकता पड़ती है या कभी-कभी सही समय पर श्रमिकों की कमी के वजह से पशुशाला के पशुओ का उचित पोषण या प्रबंधन नहीं हो पाता है. जिससे पशुपालन और पशु उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ता है. इससे पशुपालक को पशुओं में दूध उत्पादन कम होने से बहुत अधिक आर्थिक हानि पहुँचता है.

7. पशुशाला की जमीन आसपास की जमीं से कुछ ऊँची पर होना चाहिए, जिससे मलमूत्र आसानी से बाहर निकल जाये तथा बरसात का पानी पशुशाला के अन्दर नहीं घुसें.

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प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

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