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पक्षियों का GPS सिस्टम से क्या है कनेक्शन : What is Connection of Bird with GPS System

पक्षियों का GPS सिस्टम से क्या है कनेक्शन : What is Connection of Bird with GPS System, पक्षियों का दिमाग ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) की तरह काम करता है. ये GPS, स्विच की तरह होता है, इसे पक्षी अपने हिसाब से एक्टिवेट और डिएक्टिवेट कर सकते हैं. इस बात का खुलासा एक रिसर्च में हुआ है कि पक्षी अपनी जरूरत के मुताबिक दिमाग का GPS एक्टिवेट करते हैं. पक्षी उड़ान की दिशा तय करने में मददगार होते हैं और धरती की मैग्नेटिक फील्ड से होता है इनका कनेक्शन.

What is Connection of Bird with GPS System
What is Connection of Bird with GPS System

इसका कनेक्शन पृथ्वी के केंद्र में बनने वाले चुंबकीय क्षेत्र (मैग्नेटिक फील्ड) से भी होता है. पृथ्वी का ये चुंबकीय क्षेत्र हमें सूर्य पर आने वाले तूफानों के प्रभावों (सोलर विंड) से बचा लेता है. रिसर्च में कहा गया कि पक्षियों के दिमाग में क्लस्टर एन (cluster N) नाम का हिस्सा होता है जो इन मैग्नेटिक फील्ड का पता लगाता और इन्हें प्रोसेस करता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि पक्षियों के दिमाग में एक ऐसा मैकेनिज्म होता है जो उन्हें पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को खोजने में मदद करता है.

क्लस्टर एन (cluster N) पलायन के दौरान एक्टिवेट होता है

कनाडा की वेस्टर्न ओंटारियो यूनिवर्सिटी और अमेरिका की बॉलिंग ग्रीन स्टेट यूनिवर्सिटी ने मिलकर इस पर रिसर्च किया है. यूरोपियन जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में पब्लिश हुई इस रिसर्च में कहा गया कि क्लस्टर एन (cluster N) पक्षियों के मैगनेटिक कंपस को एक्टिवेट करता है. पक्षी उड़ान भरते समय या माइग्रेट होते वक्त इस क्लस्टर एन को खुद एक्टिवेट करते हैं. पहले भी हुई कई रिसर्च में ये कहा जा चुका है कि पक्षी दिशा खोजने (नेविगेशन) के लिए चुंबकीय रूप से संवेदनशील प्रोटीन- क्रिप्टोक्रोमेस का इस्तेमाल करते हैं. ये प्रोटीन उनके आंखों के रेटिना में होता है.

गौरैया पर हुई रिसर्च

रिसर्चर्स की टीम ने सफेद गले वाली गौरैया (स्पैरो) पर स्टडी की. इसमें पाया गया कि स्पैरो ने रात में उड़ान भरने के लिए क्लस्टर एन को एक्टिवेट किया और आराम करते समय इसे डिएक्टिवेट कर दिया. रिसर्चर्स ने कहा- पृथ्वी के केंद्र में बनने वाली मैग्नेटिक फील्ड इंसानों को दिखाई नहीं देती हैं, लेकिन पक्षी और कुछ जानवर इसका पता लगा लेते हैं. अगर हम पक्षियों के माइग्रेशन को समझना चाहते हैं तो हमें उनकी ब्रेन वर्किंग को समझना बेहद जरूरी है. रिसर्चर्स का मानना है कि पक्षी माइग्रेशन के दौरान सिर्फ मैग्नेटिक फील्ड ही नहीं बल्कि सूर्य और तारों पर भी ध्यान देते हैं.

भूमध्य रेखा के पास पक्षी ज्यादा रंग-बिरंगे : डार्विन ने 200 साल पहले पक्षियों के रंग में बदलाव की थ्योरी बताई थी, अब AI ने जांच में उसे सही ठहराया

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वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने कहा था कि भूमध्य रेखा के पास वाले पक्षी ज्यादा रंग-बिरंगे होते हैं. जैसे-जैसे हम ध्रुवों की तरफ बढ़ते हैं, वैसे-वैसे उनका रंग फीका या गहरा होने लगता है. यह थ्योरी सही है कि नहीं, इसकी जांच अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवसिर्टी के वैज्ञानिकों ने की है.

इंसानों को मिलेगी ‘नई आवाज’: वैज्ञानिकों को चिड़िया के ब्रेन सिग्नल पढ़ने में कामयाबी मिली, इससे बोल न पाने वाले इंसानों के मन की बात समझी जा सकेगी.

आवाज खो चुके लोग भी अब अपने मन की बात आसानी से दूसरों तक पहुंचा सकेंगे. इसके लिए जेबरा चिड़िया के ब्रेन सिग्नल का इस्तेमाल किया जाएगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक न बोल सकने वाले लोगों में और एक विशेष प्रकार की चिड़िया के ब्रेन सिग्नल में कई समानताएं मिली हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि जेब्रा चिड़ियों का गुनगुनाना और इंसानी आवाज में समानतायें है. ये धीरे-धीरे सीखते हैं और दुसरे जानवर के मुकाबले इनकी आवाज जटिल है.

अब वैज्ञानिक एक ऐसा डिवाइस बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे मूक बधिर लोग भी अपनी भावनाएं सिग्नल के जरिए व्यक्त कर सकें. यह कारनामा अमेरिका के सैन डिएगो की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया है. इसकी टेस्टिंग जेबरा नाम की चिड़ियों पर की गई है.

सिलिकॉन इम्प्लांट्स की मदद से रिकॉर्ड किए सिग्नल

जेबरा बर्ड को लोग घरों में पालना पसंद करते हैं. इनका जीवनकाल 2 से 5 साल तक होता है जब नर जेबरा चिड़िया जब गाना गा रही थी, तो वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन इम्प्लांट्स की मदद से उसके ब्रेन सिग्नल को रिकॉर्ड कर लिया. फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से यह भविष्यवाणी की गई कि चिड़िया अगला गाना कौन सा गा सकती है. वैज्ञानिकों ने दावा किया कि, इसी भविष्यवाणी करने के तरीके से उन लोगों के मन की बात को समझा जा सकता है, जो बोल नहीं सकते. इससे तकनीक को एक डिवाइस में तब्दील किया जा सकेगा और पता चल सकेगा कि वो क्या कहना चाहते हैं.

What is Zebra Bird Connection of GPS System
What is Zebra Bird Connection of GPS System

मरीजों की ‘नई आवाज’ बनेगी तकनीक

वर्तमान में ऐसे आर्ट इम्प्लांट्स मौजूद हैं, जो लोगों की आवाज को सुनकर शब्दों में तब्दील कर सकते हैं, लेकिन हमारी नई तकनीक उनके ब्रेन को समझकर उनकी ‘नई आवाज’ बनेगी. शोधकर्ता डेरिल ब्राउन का कहना है, चिड़ियों के ब्रेन सिग्नल ने न बोल पाने वाले लोगों के लिए नया रास्ता दिखाया है. हम बर्ड सॉन्ग का अध्ययन कर रहे हैं, जो इंसानी कम्युनिकेशन को समझने में मदद करेगा.

चिड़ियों से इंसान को कैसे मदद मिलेगी

शोधकर्ताओं का कहना है, चिड़ियों का गाने का तरीका और इंसान की आवाज में कई समानताएं हैं. जैसे- दोनों ही इसे धीरे-धीरे सीखते हैं. दूसरे जानवरों के शोर के मुकाबले भी इसे समझना ज्यादा कठिन है. रिसर्च के दौरान किए गए प्रयोग से यह जान पाए हैं कि ब्रेन को समझकर कैसे उसकी आवाज बनाई जा सकती.

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