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पशुओं में आफरा रोग का उपचार : Treatment of Timpani Disease in Animals

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पशुओं में आफरा रोग का उपचार : Treatment of Timpani Disease in Animals, जुगाली करने वाले पशुओं के रुमेन में गैस का भार जाना आफरा कहलाता है. आफरा रोग में पशुओं में आमतौर पर अचानक होने वाली बीमारी है. यह रोग पशुओं में ज्यादा खाने या दूषित खाने के कारण होता है. इस रोग से पशु के पेट में कार्बनडाई ऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), नाइट्रोजन (N2) तथा अमोनिया (NH4) जैसी दूषित गैस एकत्रित होकर पशु का पेट फुल जाता है. पशु का पेट फुल जाने पर गैस का दबाव डायफ्राम या छाती पर पड़ता है और पशु को साँस लेने में तकलीफ होती है. छाती पर ज्यादा दबाव पड़ने पर पशु का दम घुटने से पशु मर जाता है.

Treatment of Timpani Disease in Animals
Treatment of Timpani Disease in Animals

आफरा के प्रकार

पशुओं में आफरा रोग बहुत ज्यादा रस या पानी वाले चारे या मुलायम हरे चारे खाने से यह रोग होता है. जुगाली करने वाले पशुओं में आफरा रोग तीन प्रकार के होते है 1. सामान्य आफरा, 2. झागदार आफरा, 3. पुनरावर्तक आफरा.

1 . सामान्य आफरा – इस प्रकार के आफरा बीमारी में पशुओं के अधिक खाना खाने या अधिक खाद्य की मात्रा से पेट या रुमेन में किण्वन प्रक्रिया से अधिक मात्रा में गैस बन जाती है. फलस्वरूप पशु को श्वास लेने में परेशानी होती है और पशु का पेट फुल जाता है.

2. झागदार आफरा – इस प्रकार के आफरा बीमारी से पशु के पेट में खाद्य का झाग तैयार हो जाता है. इस झाग के अन्दर गैस फंसी रहती है और गैस का बाहर निकलने में परेशानी होती है.

3. पुनरावर्तक आफरा – यह आफरा प्लास्टिक, कपडा, रस्सी, चमड़ा आदि खाने से होता है. इसमें सामान्य औषधि देने से कुछ समय तक यह बंद हो जाता है और बाद में दुबारा भी हो जाता है.

पशुओं में आफरा होने के कारण

1 . पशुओं का ज्यादा CHO युक्त खाना खाने जैसे – चांवल, गेहूं, ज्वार आदि से यह रोग होता है.

2. पशुओं द्वारा ज्यादा प्रोटीन युक्त हरा चारा खाने जैसे – बरसीम से आफरा रोग होता है.

3. दूषित आहार खाने से पशु के पेट में गैस बन जाता है.

4. पशु का एक ही करवट पर अधिक समय तक लेटे रहने पर पेट में गैस बन जाता है.

5. पशु को आहार में सुखा चारा की कमी होने पर पर रोग हो सकता है.

6. पशु द्वारा आहार में अधिक मात्रा में सब्जी गोभी, मुली के पत्ते आदि खाने पर आफरा रोग का कारण बनता है.

7. शादी, पार्टी, षष्ठी, दशकर्म जैसे अवसरों पर चांवल, आंटा, शिरा तथा अन्य जूठन को अधिक मात्रा में दे देने से पशु के पेट में गैस बनता है और पशु का पेट फुल जाता है. कभी-कभी पेट में अधिक गैस बन जाने के कारण पशु की मृत्यु भी हो जाती है.

पशु में आफरा रोग के लक्षण

1 . पशु के पेट के रुमेन भाग में गैस भरकर पशु की बांयी कोख फूली हुई नजर आती है.

2. पेट पर थपथपाने से ढोल जैसी दमदम आवाज आती है.

3. पशु को साँस लेने में कठिनाई होती है.

4. पशु के पेट में दर्द होता है, पशु दांत पिसता या कटकटाता है और जुगाली करना बंद कर देता है.

5. पशु के मुंह से लार गिरता है तथा जीभ बाहर निकल आता है.

6. पशु द्वारा मुंह से साँस लेने लगातार उठता बैठता है और पेट पर लात मारता है.

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आफरा रोग का उपचार

1 . आफरा रोग से प्रभावित पशु को भूखा रखना चाहिए.

2. पशु को ऐसी जगह पर खड़ा करना चाहिए जहाँ पर उसके अगले पैर ऊँचे स्थान पर हो और पिछले पैर थोड़े नीचे स्थान पर हो, इससे पशु के ऊपर फेफड़े का दबाव कम हो जाएगा.

3. पशु के मुंह में आढ़ी लकड़ी बांधनी चाहिए जिससे मुंह खुला रहे और मुंह से लगातार गैस निकलता रहे.

4. पशु को तारपीन तेल 20-60ml + खाने का तेल या मीठा तेल मिलाकर आधा लीटर (500ml) बनाकर पशु को पिलाना चाहिए.

5. इसके अलावा बाजार में मिलने वाली दवाइयां जैसे – टिम्पोल पाउडर, ब्लाटोसिल सिरप, टायरेल सिरप आदि का इस्तेमाल कर सकते है.

6. पशुओं में आफरा रोग होने पर पशु के बायीं ओर पेट में निडिल डालकर पंचर करके गैस निकलने पर पशु को त्वरित आराम मिलने की सम्भावना होती है. अधिक जानकारी के लिये पशुचिकित्सक से संपर्क करना उचित रहता है.

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प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

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