सर्दी में बरसीम चारा पशु को तंदरुस्त कैसे रखता है : Sardi Me Barsim Chara Pashu Ko Tandrust Kaise Rakhata Hai
सर्दी में बरसीम चारा पशु को तंदरुस्त कैसे रखता है : Sardi Me Barsim Chara Pashu Ko Tandrust Kaise Rakhata Hai, ग्रामीण क्षेत्रों में किसान खेती-किसानी के साथ-साथ आय के स्रोत के लिए सबसे ज्यादा पशुपालन पर ही निर्भर होते हैं। ऐसे में पिछले कुछ दिनों से मौसम में तेजी से बदलाव होने से पशुपालक के लिए पशुओं को तंदरुस्त रखना किसी चैलेन्ज से कम नहीं है।

जैसा की आप जानते है पिछले कुछ दिनों से मौसम परिवर्तन होने से अचानक ठंड लगने लगी है, ऐसे में पशुपालक के लिए दुधारू पशुओं को स्वस्थ रखना अति आवश्यक है। नहीं तो आपका दुधारू पशु बीमार भी पड़ सकता है। तापमान में गिरावट और दिन-रात के तापमान के अंतर के कारण पशुओं की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे पशुओं की दूध उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
इस स्थिति में पशुपालकों को अपने पशुओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। ऐसे में आइये पशुधन एक्सपर्ट की सलाह से पशुओं को स्वस्थ रखने के बारे में जानते है।
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किसानों के लिए एक्सपर्ट की सलाह
डेयरी एवं पशुपालन विज्ञान विभाग के प्रोफ़ेसरों ने किसानों को एडवायजरी जारी करते हुए बताया कि बरसीम सर्दी के मौसम में पौष्टिक चारे का एक उत्तम स्रोत है। इसमें रेशे की मात्रा कम औए प्रोटीन की मात्रा 20 से 22 प्रतिशत होती है। इसके चारे की पाचन शक्ति 70 से 75 प्रतिशत होती है।
इसके अतिरिक्त बरसीम के चारे में कैल्शियम और फास्फोरस भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं, जिसके कारण दुधारू पशुओं को अलग-अलग से खली-दाना देने की आवश्यकता कम पड़ती है।
बरसीम चारे का ज्यादा सेवन पशुओं के लिए नुकसान
एक्सपर्ट ने बाते कि यह देखा गया है कि बरसीम की प्रथम कटाई के दौरान कम उपज मिलाती है, परन्तु दूसरी और तीसरी कटाई के समय सबसे अधिक उपज मिलती है। किसान बरसीम बरसीम की अधिक उपलब्धता के कारण पशुओं को ज्यादा खीला देते हैं और पशुधन के प्रति नुकसान उठाना पड़ता है।
बरसीम अधिक खाने से पशुओं में अफारा रोग हो जाता है। इसलिए इसे पशुओं को सूखे चारे के साथ मिलाकर खिलाये या फिर पहले सुखा चारा खिलाये, फिर बरसीम चारा खिलाएं।
बरसीम के बुआई के समय ही यदि इसके बीज के साथ जई, गोभी और सरसों के बीज मिलाकर बोया जाये तो इसे ना केवल अधिक मात्रा में हरा चारा प्राप्त होगा, बल्कि पशु को अफारा रोग की समस्या से छुटकारा भी मिलेगा और चारे की पौष्टिकता, पाचकता भी बढ़ जाएगी।

पशुओं के स्वास्थ्य पर मौसम का असर
रात के समय में तापमान में गिरावट को देखते हुए एक्सपर्ट ने सुझाव दिया कि पशुओं को रात 10 बजे के बाद या उससे पहले शेड में बाँध देना चाहिए ताकि रात की ठंडी ना लगे। पशु का शेड साफ और वेंटिलेशन युक्त होनी चाहिए ताकि पशु ठंडी से बच सके। साथ ही उन्हें गर्म पानी और पौष्टिक भोजन देने की सलाह दी जाती है, ताकि उनके स्वास्थ्य पर मौसम का असर ना हो।
पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि पशुओं को दिन में धुप रखा जाये ,जिससे उनके शरीर को गर्मी मिले और उनकी सेहत में सुधार हो सके। वहीँ रात में ओस से बचने के लिए उन्हें सुरक्षित स्थान में रखना बहुत जरुरी है।
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बरसीम चारा की बुआई
किसान बरसीम की बुवाई कर उसे चारे के तौर पर बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा ले सकते हैं. बरसीम पशुओं की पाचन शक्ति को बेहतर बनाती है और उन्हें बीमारियों से बचाती है। किसान बरसीम की बुवाई सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्टूबर तक कर सकते हैं। बरसीम 40 से 45 दिनों में काटने के लिए तैयार हो जाती है। सितंबर में बोई हुई बरसीम मई तक किसानों को हरा चारा देती है। किसान इसे 6 से 8 बार तक काट सकते हैं।
बरसीम की बुवाई के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
पशुधन एक्सपर्ट ने बताया कि बरसीम की बुवाई करने के लिए खेत को गहरी जुताई करें। डिस्क हैरो से 2 से 3 गहरी जुताई करने के बाद किसान रोटावेटर चला कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। उसके बाद किसान पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें, ताकि जल निकासी बेहतर हो। पाटा लगाने के बाद किसान खेत को छोटी-छोटी क्यारियों में बांट लें।
ध्यान रखें कि खेत की जुताई करते वक्त पर्याप्त नमी होना चाहिए. खेत में बनाई हुई क्यारियों में पानी भरने के बाद किसान बरसीम के बीज का छिड़काव कर दें। ध्यान रखें की बुवाई करते वक्त क्यारियों में ज्यादा पानी नहीं होना चाहिए। बरसीम की खेती करने के लिए क्षारीय और बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है। 1 हेक्टेयर खेत में बरसीम की बुवाई करने के लिए 10 से 15 किलो ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
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