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राजस्थान में खोजी गई बकरी की एक नई नस्ल : Rajasthan Me Khoji Bakri Ka Kya Name Hai

राजस्थान में खोजी गई बकरी की एक नई नस्ल : Rajasthan Me Khoji Bakri Ka Kya Name Hai, हाल ही में राजस्थान राज्य के करौली में बकरी की एक नई नस्ल खोजी गई है. बकरी की विशेष खासियत के चलते इस नस्ल को राजस्थान के प्रमुख पांच बकरियों के नस्लों में और देशभर की 34 विख्यात नस्लों में भी करौली गोट के नाम से प्रमुख दर्जा मिल गया है.

Rajasthan Me Khoji Bakri Ka Kya Name Hai
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सूत्रों की माने तो पूर्वी राजस्थान का करौली अब से अपने यहाँ पायी जाने वाली बकरी की एक खास नस्ल के लिए पुरे देश भार में पहचाना जायेगा. बता दें कि करौली में बकरी की एक नई नस्ल का पता चला है. जिसका नाम भी स्थानीय नाम के आधार पर करौली गोट रखा गया है. करौली गोट के नाम से खोजी गई बकरी के इस नस्ल को राजस्थान के प्रमुख पांच बकरियों के नस्लों में और देशभर की 34 विख्यात बकरियों की नस्लों में विशेष खासियत रखने के कारण भी ख़ास दर्जा मिल गया है.

पशुपालन विभाग करौली के मुताबिक 5 नवम्बर 2022 को महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर की एक पशु प्रजनन एवं आनुवांशिकी की टीम करौली आई थी. टीम द्वारा करौली के डांग क्षेत्र में पाई जाने वाली बकरी की नस्ल के लाक्षणिक गुणों को लेकर कई महीनों तक अध्ययन भी किया गया. कई महीनों के अध्ययन के बाद करौली नस्ल के बकरी को राष्ट्रीय पशु आनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो करनाल द्वारा ही नई बकरी के नस्ल के रूप में मान्यता दे दी गई. देशभर में करनाल ब्यूरो द्वारा ही पशुओं की नई नस्ल की पहचान कर उनकी नई नस्ल की घोषणा की जाती है.

करौली गोट की खासियत क्या है?

पशुपालन विभाग कि संयुक्त निदेशक डॉ. गंगा सहाय मीणा ने बताया कि बकरी की नई नस्ल करौली गोट एक तो दोहरे परपज से बहुत ही लाभकारी है. अर्थात इस नस्ल की बकरी दूध के साथ-साथ मांस उत्पादन में भी काफी लाभदायक है. प्रतिदिन इसकी दूध देने की क्षमता 2 लीटर के आसपास होती है. इस करौली गोट बकरी क्र बच्चे मांस उत्पादन की दृष्टि से आय बढ़ने और मुनाफा कमाने में काफी मददगार होंगे. करौली नस्ल की बकरियां का वजन 35-40 किलो के बीच होता है. उन्होंने बताया की करौली नस्ल की बकरियां 12 महीने के भीतरी अवस्था में यौवन अवस्था में आ जाती है. इसके बाद इस नस्ल की बकरी 15-16 महिना के बाद बच्चे देना शुरू भी कर देती हैं.

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करौली गोट क्रॉस ब्रीड नस्ल की बकरी है

पशुपालन विभाग कि संयुक्त निदेशक डॉ. गंगा सहाय मीणा के मुताबिक, करौली नस्ल की बकरी कोई स्पेशल बकरी के नस्ल के रूप में नहीं है. यह बकरी जमुनापारी और जखराना बकरी की एक तरह से क्रॉस ब्रीड है. बकरी की यह दोनों नस्लें ही बहुत बढ़िया नस्ल है. इनकी क्रॉस ब्रीड होने के कारण ही करौली गोट में मांस का उत्पादन अधिकतम पाया गया है.

करौली गोट की पहचान क्या है?

पशुपालन विभाग करौली के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. ब्रह्म कुमार पांडे ने बताया कि राजस्थान में अभी कुछ ही महिना पहले बकरियों की तीन नस्लें खोजी गई है. इन तीनों नस्लों में सबसे विशिष्ट करौली नस्ल की बकरी है. यह बकरी राजस्थान में करौली जिले के मंडरायल, सपोटरा और करौली तहसील में मुख्य रूप से पायी जाती है. इसके साथ ही यह कोटा, सवाई, माधोपुर, बूंदी व बांरा जिले में काफ़ी बहुतायत में पायी जाती है.

करौली गोट की विशेषता और पहचान यह भूरा रंग लेकर काले रंग की होती है. इसका नाक रोमन होता है और सींग मुड़ा होने के साथ नुकीला भी हेता है. करौली गोट के कान लम्बे और लटके हुए होते हैं. उन्होंने बताया कि करौली गोट की सबसे बड़ी खासियत यह दोहरे उद्देश्य वाली होती हैं. इसका मतलब है कि करौली नस्ल की बकरी के बच्चे अच्छी वृद्धि के साथ मांस उत्पादन में बहुत बढ़िया रहते है और इस नस्ल की मादा बकरियां उत्तम क्वालिटी में दूध देने लायक होती हैं.

राजस्थान की सोजत, गूजरी नस्ल की बकरी क्या है?

राजस्थान की सोजत, गूजरी, करौली बकरी को मिली राष्ट्रीय स्तर पर पहचान – महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के वैज्ञानिकों द्वारा बकरी की तीन नई नस्लों का पंजीयन राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल के अन्तर्गत करवाया गया. विश्वविद्यालय के अधीनस्थ पशु उत्पादन विभाग द्वारा बकरी पालन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कार्य किया है जिसके तहत बकरी की तीन नई नस्लों का राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकरण करवाया गया है.

ये तीनों नस्लें राजस्थान के अलग-अलग जिलों में पायी जाती हैं. इन नस्लों के पंजीयन के बाद विश्वविद्यालय अधिकारिक रूप से इन नस्लों के शुद्ध वंशक्रम कर कार्य कर पायेगा जिससे प्रदेश के बकरी पालकों को इन नस्लों के शुद्ध पशु प्राप्त हो सकेंगे जो बकरी पालन के क्षेत्र को एक नई पहचान दिलायेगा.

सोजत बकरी

सोजत बकरी नस्ल उत्तर-पश्चिम शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क क्षेत्र की नई नस्ल है जिसका उद्गम स्थल सोजत और उसके आसपास का क्षेत्र है. इस नस्ल का मूल क्षेत्र पाली जिले की सोजत और पाली तहसील, जोधपुर जिले की बिलाड़ा तथा पीपाड़ तहसील हैं. यह नस्ल राजस्थान के पाली, जोधपुर, नागौर और जैसलमेर जिलों तक फैली हुई है.

यह नस्ल स्थानीय रूप से अपने गुलाबी त्वचा रंग एवं लम्बे कानों के लिए पहचानी जाती है. सोजत बकरी आकार में मध्यम होती है और इसके शरीर के सफेद रंग में भूरे धब्बे, लम्बे लटके हुए कान, ऊपर की ओर मुडें हुए सींग तथा हल्की दाढ़ी भी पाई जाती है. यह नस्ल मुख्य रूप से मांस के लिए पाली जाती है. इसका दुग्ध उत्पादन कम होता है। सोजत नस्ल राजस्थान की अन्य मौजूदा नस्लों से काफी अलग है.

इस नस्ल में कुछ अनूठी विशेषताएॅं हैं जो पूरे देशभर के बकरी पालकों द्वारा पसंद की जाती हैं. बकरीद के दौरान इस नस्ल के बकरों का मूल्य अच्छा मिलता है क्योंकि यह अन्य बकरियों की नस्लों में सबसे सुन्दर नस्ल की बकरी है. इस नस्ल के पंजीकरण के बाद देश और राज्य को इसके शुद्ध जर्मप्लाज्म गैर-वर्णित वंशकरण में सुधार होगा.

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गुजरी बकरी

गूजरी बकरी की एक नई नस्ल है जो जयपुर, अजमेर और टौंक जिलों और नागौर तथा सीकर जिले के कुछ हिस्सों में अर्द्धशुष्क पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में पायी जाती है. इस नस्ल का मूल क्षेत्र नागौर जिले की कुचामन और नावा तहसील है. इस नस्ल के जानवर आकार में बड़ें होते हैं. मुख्य रूप से दूध और मांस के लिए पाले जाते हैं. बकरी का रंग पैटर्न मिश्रित भूरा सफेद होता है जिसमें सफेद रंग का चेहरा, पैर और पेट इस नस्ल की विशिष्ट विशेषताएॅं होती हैं

इसके नर को मांस के लिए पाला जाता है. इस  नस्ल का दूध उत्पादन अधिक होता है. सफेद रंग का चेहरा, पैर, पेट और पूरे शरीर पर भूरे रंग के धब्बे होते हैं जिससे यह दूसरी नस्लों से भिन्न नजर आती है. सिरोही बकरी की तुलना में इसकी पीठ सीधी होती है जो पीछे की ओर झुकी हुई होती है.

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