पशुओं के पतले दस्त का शीघ्र घरेलु उपचार : Quick Home Remedies for Loos Motions in Animals
पशुओं के पतले दस्त का शीघ्र घरेलु उपचार : Quick Home Remedies for Loos Motions in Animals, पशुपालक को पशु के रख-रखाव, पोषण, प्रबंधन, स्वास्थ्य के साथ-साथ पशु के खान-पान में सावधानियां रखना भी जरुरी है. पशुओं में डायरिया या पतले दस्त का कारण अनियमित, दूषित अथवा विषैले खाद्य पदार्थों को खा लेने से पशु पतला दस्त करने लगता है. इसके अलावा कुछ जीवाणुजन्य तथा विषाणुजन्य बिमारियों में भी पशुओं में पतला दस्त के लक्षण दिखाई देते है. पतले दस्त का समय पर उचित उपचार हो जाने पर पशु स्वस्थ हो जाता है. परंतु पशु का उपचार में देरी होने पर शरीर में पानी की कमी होने से पशु निर्बल और कमजोर हो जाता है. कभी-कभी पतला दस्त पशु के लिये घातक और जानलेवा भी शाबित हो सकता है.

पतले दस्त होने के कारण
पशुओं में कई बार अचानक दस्त होने लगता है, जिसका कारण पशुपालक को समझ में ही नहीं आता है और पशुपालक उपचार में देरी कर जाता है, जिससे पशुपालक को कभी-कभी पशुधन के रूप में आर्थिक नुकसान का सामना करना पद सकता है. पशुओं में पतले दस्त के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं.
1 . पशुओं के दूषित और विषैले खाद्य पदार्थ के खा लेने से.
2. पशुओं को अधिक हरे चारे खिलाने से.
3. अत्यधिक मात्रा में चना या चने से बने खाद्य को खिलाने से.
4. पशु द्वारा बासी या फफूंद लगा हुआ खा लेने से.
5. पशु का किसी तालाब, नदी, नाले के दूषित और गंदे पानी पी लेने से.
6. कीटनाशक या अन्य रसायन के छिडकाव वाले घास या पैरा खा लेने से.
7. किचड़ो अथवा गंदे पानी में उगे घास को खा लेने से भी पशु को पतला दस्त हो सकता है.
8. पशु द्वारा घास के पत्तों के साथ कीड़े-मकोड़े अथवा किसी अन्य जीव को खा लेने से भी पशु में दस्त ले लक्षण दिखाई देते हैं.
9. पशु को अधिक मात्रा में बिनौला या उनके खली को अधिक मात्रा में खिलाने से भी दस्त होता है.
10. पशु के शरीर में कीड़े, किलनी, जूं आदि मारने की दवा लगाने पर भी कभी-कभी पशु दस्त करने लगता है.
11. कभी-कभी पशु के दूध उत्पादन बढ़ाने वाली दवा के कारण भी, पशु को गर्मी हो जाता है और दस्त करने लगता है.
पशुओं में पतले दस्त के लक्षण
पशुओं दस्त के शुरुवाती में कब्ज हो जाता है, पशु सुस्त हो जाता है, खाना पीना जुगाली करना बंद कर देता है, बाद में पशु को पतले दस्त आना शुरू हो जाता है. आंत की अन्तः त्वचा के ऊपर घाव बन जाता है जिससे पेट में दर्द होने लगता है और दस्त या गोबर के साथ खून भी आने लगता है जैसे –
1 . पशु के गोबर में द्रव झाग जैसे पदार्थ आने लगता है.
2. पशु का गोबर पिचकारी की तरह दूर तक जाता है.
3. पशु के गोबर बदबूदार और कभी-कभी खून मिला हुआ होता है.
4. पशु का बैठे-बैठे गोबर करना और बार-बार गोबर करना.
5. पशु को ठण्ड लगना या बुखार आ जाना.
पशुओं में दस्त का घरेलु उपचार
पशुओं में दस्त के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देने पर पशु का घरेलु उपचार करके भी ठीक किया जा सकता है. यदि पशु में दस्त की समस्या ज्यादा गंभीर है तथा प्रभावित पशु को ज्यादा परेशानी हो रही है तो घरेलु उपचार का इंतजार नहीं करें. ऐसी स्थिति में नजदीकी पशुचिकित्सक को बुलाकर शीघ्र से शीघ्र उपचार करावें. पशु के दस्त रोकने के घरेलु नुस्खा निम्नलिखित है………
1 . दस्त करने वाले पशु को सरसों का तेल या सरसों के दाने चारे में मिलाकर खिलाना चाहिए.
2. दस्त की प्रारंभिक स्थिति में पशु को दही और छाछ पिलाना चाहिए.
3. इस समय पशु को गर्म अनाज, बिनौला आदि नहीं खिलाना चाहिए.
4. दस्तावर के लिये पशु को…..
नुस्खा | मात्रा |
पीसी खड़िया | 60 ग्राम |
कत्था | 30 ग्राम |
सोंठ का चूर्ण | 15 ग्राम |
बेलपत्ती | 30 ग्राम |
अफ़ीम | 4 ग्राम |
उपर्युक्त नुस्खे का अच्छा मिश्रण बनाकर पशु को सुबह शाम खिलाना चाहिए.
5. दस्त करने पर पशु का तापक्रम यदि बढ़ गया हो तो बुखार के लिये मेलोनेक्स प्लस (Melonex Pluse) की गोली तथा दस्त रोकने के लिये Sulpha Bolus खिलाना चाहिए.
6. पशु में डायरिया परजीवी के कारण होने पर पशु को कृमिनाशक दवा खिलाना चाहिए.
7. दस्त होने पर पशु के शरीर में पानी की कमी हो जाती है इसलिए पानी की पूर्ति के लिये पशु को अन्तः शिरा बोतल लगानी चाहिए एवं इलेक्ट्रोलाईट या इलेक्ट्राल पाउडर पानी में घोलकर पिलाना चाहिए.
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