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पशुओं में जुकाम के लक्षण और ईलाज : Pashuon Me Jukam Ka Gharelu Upchar

पशुओं में जुकाम के लक्षण और ईलाज : Pashuon Me Jukam Ka Gharelu Upchar, जैसे ही इंसान सर्दी, खांसी, जुकाम के चपेट में आता है ठीक वैसे ही पशु भी सर्दी, जुकाम, खांसी से पीड़ित हो जाता है. पशुओं में उपर्युक्त लक्षण दिखाई देने पर पशुपालक इसे नजरअंदाज न करें अन्यथा यह निमोनिया जैसे अन्य गंभीर बीमारी में परिवर्तित हो सकता है.

Pashuon Me Jukam Ka Gharelu Upchar
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देश में कड़ाके की ठंड पड़ने से कई राज्यों में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच जाता है. जिससे पाला और कड़ाके की सर्दी के कारण हाथ-पैरों की गलन बढ़ जाती है. कई जगहों पर लम्बे समय तक तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस पर बना हुआ रहता है. ठंड इतनी अधिक होती है कि इंसान ही नहीं, पशुओं का भी हाल बेहाल हो जाता है.

जिससे अधिक ठंड के चपेट में आकर पशुओं में सर्दी, जुकाम, खांसी जैसे अन्य लक्षण दिखाई देते है और बीमार पड़ पड़ जाते हैं. पशुपालक उनके उपचार के लिए डॉक्टरों के चक्कर काटते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जैसे बच्चे, बडे, बूढ़े सभी जुकाम होता है. वैसे ही पशु भी ठंड, जुकाम जैसी समस्या से पीड़ित होते हैं, आज यही जानने की कोशिश करते हैं. 

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पशुओं में जुकाम के लक्षण

  • आम इंसान को जुकाम होने पर नाक से पानी आने लगता है.
  • कई बार नाक जाम हो भी हो जाता है.
  • गले में खराश, आवाज भारी हो जाती है.
  • छींक, खांसी और अन्य लक्षण दिखने लगते हैं.
  • जुकाम से पीड़ित व्यक्ति डॉक्टर के पास जाकर अपना इलाज करा लेता है.
  • लेकिन पशुओं के साथ दिक्कत होती हैं.
  • वो खुद डॉक्टर के पास नहीं जा सकते हैं.
  • पशुपालक को ही उनके लक्षणों को पहचानकर उन्हें इलाज कराने की जरूरत होती है.
  • विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसी पशु (गाय, भैंस व अन्य) को जुकाम हो रहा है तो उसकी नाक, आंख से पानी आने लगता है.
  • पशु को भूख कम लगती है.
  • शरीर के रोएं खड़े हो जाते हैं.
  • पशु कुछ सुस्त हो जाता है. 

निमोनिया से भी पशु को बचाएं

  • अधिक ठंड होने पर जिस तरह लोग निमोनिया की चपेट में आते हैं.
  • इसी तरह पशुओं को भी निमोनिया हो जाता है.
  • निमोनिया होने पर पशु को बुखार आता है और वह जुगाली करना बंद कर देता है.
  • आंख, नाक से पानी आना शुरू हो जाता है.
  • निमोनिया होने पर पशु को ठंड में खुले में बिल्कुल न छोड़ें.
  • गर्म स्थान पर रखने से फायदा होगा.
  • पशुओं को निमोनिया से बचाने के लिए गर्म स्थानों पर बांधे.
  • धूप निकलने पर बाहर बांध दें.
  • गर्म पानी से उन्हें नहलाएं.
  • परेशानी बढ़ने पर तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाएं. 
  • नाक से पानी आने पर पशुशाला में अजवाइन का धुआं करें.

क्या है निमोनिया?

निमोनिया आमतौर पर फेफड़ों के संक्रमण के कारण होता है, जो किसी भी जानवर में हो सकता है. हवा में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. कई बार फंगस के कारण भी फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं. यदि कोई जानवर पहले से ही फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग जैसी किसी बीमारी से पीड़ित है, तो उन्हें गंभीर संक्रमण यानी गंभीर निमोनिया होने का खतरा होता है.

सांस लेने में होती है दिक्कत

निमोनिया में एक या दोनों फेफड़े कफ से भर जाते हैं. जिस वजह से फेफड़ों को ऑक्सीजन लेने में दिक्कत होने लगती है. बैक्टीरिया से होने वाले निमोनिया को दो से चार सप्ताह में ठीक किया जा सकता है, जबकि वायरस से होने वाले निमोनिया को ठीक होने में अधिक समय लगता है.

क्या हैं न्यूमोनिया के लक्षण?

छोटे जानवरों में न्यूमोनिया का कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देता है. ऐसे में छोटे जानवर अगर बीमार दिखें, तो उन्हें निमोनिया हो सकता है. सर्दी, तेज बुखार, खांसी, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सांस लेने में दिक्कत ये सभी निमोनिया के मुख्य लक्षण हैं.

कैसे करें बचाव?

  • जानवरों को साफ कमरे में रखें. ध्यान रखें कि जानवरों के कमरे में सूरज की रोशनी जरूर आनी चाहिए. कमरा हवादार होना चाहिए.
  • कमरे को गर्म रखें और जानवरों के शरीर, खासतौर पर छाती और पैरों को गर्म रखने के लिए उन्हें अच्छी तरह से ढकें.
  • अधिकांश निमोनिया का इलाज अस्पताल में भर्ती किए बिना, डॉक्टर की देखरेख में किया जा सकता है.
  • आमतौर पर मौखिक एंटीबायोटिक्स, आराम, तरल पदार्थ और घरेलू देखभाल पूरी तरह से ठीक होने के लिए पर्याप्त हैं.
  • टेट्रासाइक्लिन जैसी एंटीबायोटिक्स 15-20 मिलीग्राम/किग्रा वजन पर दी जानी चाहिए. पशुओं को वजन के आधार पर स्ट्रोटोपेनिसिलिन 25 मिग्रा/किग्रा तथा एम्पीसिलीन एवं क्लोक्सासिलिन 7-10 मिग्रा युक्त दवा देनी चाहिए.
  • डेक्सामेथासिन जैसे स्टेरॉयड बड़े जानवरों के लिए 5 मिलीलीटर और छोटे जानवरों के लिए 2-3 मिलीलीटर की मात्रा में दिए जाने चाहिए.
  • एंटीहिस्टामाइन और एनाल्जेसिक आवश्यकतानुसार और डॉक्टर की सलाह पर दी जानी चाहिए.
  • ब्रोन्कोडिलेटर और कफ निस्सारक आयुर्वेदिक औषधियां इसी प्रकार देनी चाहिए.

पशुओं में सर्दी, खांसी, जुकाम और निमोनिया का घरेलू उपचार

जैसे इंसान के बीमार होने पर उसकी कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ता है ठीक वैसे ही पशु में भी बीमारियां होने पर उसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है. कुछ साधारण बीमारियां जैसे निमोनिया, खांसी, सर्दी, जुकाम के इलाज के लिए आमतौर पर हमारे पास अपनी दादी-नानी के कुछ देसी नुस्खें होते हैं. ठीक उसी तरह पशुओं में भी ये बीमारियां होने पर कुछ देसी तरीकों से इनका इलाज किया जा सकता है.

हालांकि पशु के बीमार होने पर उसे पशु चिकित्सक की सलाह से ही दवा देनी चाहिए लेकिन कई बार पशु चिकित्सक जल्दी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं ऐसे में पशु पालक को इन बीमारियों के इलाज के लिए कुछ कारगर देसी नुस्खें पता होने पर समस्या का समाधान आसान हो जाता है.

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निमोनिया/खांसी/सर्दी/बुखार जुकाम का उपचार

उपचार – सबसे पहले पशु के ऊपर कपड़ा बांध दें फिर 250 ग्राम अडूसा के पत्ते, 100 ग्राम सौंठ, 20 ग्राम काली मिर्च, 50 ग्राम अजवायन लेकर सबको मिलाकर बारीक पीसकर 20 ग्राम पिसी हल्दी और 500 ग्राम गुड़ में अच्छी तरह से मिलाकर इनसे 6 लड्डू बना और दिन में तीन बार पशुओं को चटाने से जल्दी आराम मिल जाता है. नहीं तो 100 ग्राम सुहागा के फूल, 200 ग्राम पिसी मुलेठी को 500 ग्राम गुड़ में मिलाकर 6 लड्डू बना लें और दिन में तीन बार एक-एक लड्डू देने से आराम मिल जाता है. यह उपचार 4-5 दिनों तक करना चाहिए.

बुखार आना

अडुसा के 100 ग्राम पत्ते, नीम गिलोय 10 ग्राम, कुटकी 100 ग्राम और 50 ग्राम काली मिर्च को मिलाकर बारीक पिस लें और इसमें से 25 ग्राम सुबह व 25 ग्राम शाम को 1 लीटर पानी में उबाल कर इस पानी को पिलाने से बुखार उतर जाता है. इस उपाय को 1-2 दिनों तक करना चाहिए.

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प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.

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