पशुओं के दूध कम होने पर क्या तरीका अपनाएं । Pashuon Ke Dudh Kam Hone Par Kya Tarika Apnayen
पशुओं के दूध कम होने पर क्या तरीका अपनाएं । Pashuon Ke Dudh Kam Hone Par Kya Tarika Apnayen, ठण्ड के मौसम में पशुपालकों के लिए परेशानी बढ़ जाती है। जैसे-जैसे ठण्ड बढ़ती जाती है, दुधारू पशुओं में 30 से 40 फीसदी तक दूध देने की क्षमता में होने लगती है।
पशु वैज्ञानिक ने पशुओं को पशु कोल्ड एक्सपोज़र से बचाने के लिए अतिरिक्त पोषण के साथ गुनगुना पानी पिलाने की सलाह दी है। साथ ही भूसे में मिनरल मिक्सचर या पौष्टिक आहार मिलकर खिलाने की सलाह दिया है।
सर्दियों के मौसम में पशुपालकों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान दुधारू पशुओं में दूध देने की क्षमता में कमी आ जाती है। इससे ना सिर्फ पशुपालकों के आमदनी में कमी होती है बल्कि ठण्ड और कुहासे के चलते मवेशियों के बीमार होने की चिंता सताने लगती है। जिससे पशुओं का आहार कम होने के साथ पानी पिने की क्षमता भी कम हो जाती है।
ठण्ड के बढ़ने से दुधारू मवेशियों में 30 से 40 फीसदी दूध उत्पादन क्षमता कम हो जाता है। पशुओ के दूध उत्पादन क्षमता कम होने से पशुपालकों के व्यवसाय पर भी इसका असर पड़ता है। ठण्ड बढ़ने के चलते पशु कोल्ड एक्सपोज़र के शिकार होने लगते है, इससे पशु पालकों की चिंता बढ़ जाती है।
क्यों घट जाती है पशुओं में दूध देने की क्षमता?
पशुधन एक्सपर्ट और पशुपालकों का कहना है जो गाय प्रतिदिन 10 लीटर तक दूध देती थी, वह गाय ठण्ड के बढ़ जाने से अब 5 से 6 लीटर तक ही दूध दे रही है। ठीक उसी तरह भैंस भी 10 लीटर की जगह 7 लीटर ही दूध दे रही है।
इस पर एक पशुपालक ने बताया कि इस ठंडी के मौसम में मवेशी आहार लेना व पानी पीना कम कर देते है। वही पशुं का ठण्ड के बचाव का उपाय करने के बावजूद भी दूध नहीं बढ़ पाता है।
पशु वैज्ञानिक ने बताया कि ठण्ड के दिनों में पशुओं का तापमान नियंत्रित करने के अधिक ऊर्जा कि आवश्यकता होती है, जिसे वे आंतरिक श्रोत से पूरा करती है। ऐसे में शारीरिक विकास और दूध उत्पादन दोनों घट जाता है।
ऐसे में पशु अपनी ऊर्जा का उपयोग रख-रखाव में खर्च करता है। इस स्थिति से निपटने के लिए किसानों को चारे का प्रबंधन और रख-रखाव पर विशेष ध्यान देने कि आवश्यकता होती है।
बेरोजगार युवाओं के लिए डेयरी फार्मिंग-सुनहरा अवसर
पशुओं को दें प्रोटीन युक्त चारा
पशु वैज्ञानिक का कहना है कि पशुओं में दूध उत्पादन बरक़रार रखने के लिए किसान पशुओं को अतिरिक्त पोषण दें और गुनगुना पानी पिलायें, साथ ही चारे में दाने कि मात्रा बढ़ा दें। दुधारू पशुओं को गुड़ खिलाएं और ऐसा चारा दें, जिसमें प्रोटीन कि मात्रा अधिक हो।
पशु वैज्ञानिक ने पशुओं को पशुशाला से बहार निकालने के वक्त शरीर को बोरे-चट्टी के चादरों से ढकने, भूंसे में मिनरल मिक्सचर या पौष्टिक आहार मिलाकर खिलाएं, प्रतिदिन पशुशाला कि सफाई करें, पशुओं के बैठने वाले स्थान पर पुआल बिछाने और पशुशाला में ठंडी हवाओं के प्रवेश करने पर रोक लगाने कि सलाह दी जाती है।
पशु वैज्ञानिक ने बताया कि पशुओं को खुले में मत रखें। जहाँ पशु बैठता है वहां पर पुआल बिछा दें, ताकि नीचे गर्मी रहे। वहीँ पशुओं को ठंडी हवा लगने से बचाएं, परतु चारों ओर से पूरी तरह से बंद नहीं करें। हवा आने के लिए थोड़ी जगह जरूर रखें। छोटे पशुओं में तापमान नियंत्रण कि क्षमता कम होती है, ऐसे में पशु निमोनिया के भी शिकार हो सकते हैं।
इन्हें भी पढ़ें : किलनी, जूं और चिचड़ीयों को मारने की घरेलु दवाई
इन्हें भी पढ़ें : पशुओं के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ
इन्हें भी पढ़ें : गाय भैंस में दूध बढ़ाने के घरेलु तरीके
इन्हें भी पढ़ें : ठंड के दिनों में पशुओं को खुरहा रोग से कैसे बचायें
प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार/रोकथाम के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें.
ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
Most Used Key :- पशुओं की सामान्य बीमारियाँ और घरेलु उपचार
किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कृपया स्वयं सुधार लेंवें अथवा मुझे नीचे दिए गये मेरे फेसबुक, टेलीग्राम अथवा व्हाट्स अप ग्रुप के लिंक के माध्यम से मुझे कमेन्ट सेक्शन मे जाकर कमेन्ट कर सकते है.
ऐसे ही पशुधन, कृषि और अन्य खबरों की जानकारी के लिये आप मेरे वेबसाइट pashudhankhabar.com पर विजिट करते रहें. ताकि मै आप सब को पशुधन से जूडी बेहतर जानकारी देता रहूँ.