मुर्गा किस देश का राष्ट्रीय पक्षी है जानें : Murga Kis Desh Ka Rashtriya Pakshi Hai
मुर्गा किस देश का राष्ट्रीय पक्षी है जानें : Murga Kis Desh Ka Rashtriya Pakshi Hai, आप भली-भांति जानते है कि हर देश का कोई न कोई राष्ट्रीय पशु या पक्षी होता है। जैसे कि हमारे देश भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ और राष्ट्रीय पक्षी मोर है।

इसी तरह मुर्गा भी किसी देश का राष्ट्रीय पक्षी है। क्या आप उस देश का नाम जानते है? यदि नहीं तो आज आपको इस लेखा के माधयम से राष्ट्रीय पक्षी मुर्गा और मुर्गा से जुडी अन्य तथ्यों कि जानकारी प्रदान कि जाएगी।
यदि आपको यह नहीं मालूम कि मुर्गा किस देश का राष्ट्रीय पक्षी है और आप इसके बारे में जानने के इच्छुक है तो आइये आपको बताते है कि मुर्गा हमारा पडोसी देश श्रीलंका का राष्ट्रीय पक्षी है। श्रीलंका का राष्ट्रीय पक्षी जंगली फ़ाउल अर्थात जंगलीमुर्गी है।
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पहले इसे सीलोन जंगली फ़ाउल कहा जाता था। यह पक्षी केवल श्रीलंका के विभिन्न वन क्षेत्रों में पायी जाती है। यह मुर्गे की एक प्रजाति है, ये जंगली मुर्गे सर्वाहरी अर्थात शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के होते हैं। इस जंगली मुर्गे की लम्बाई लगभग 35 सेंटीमीटर और इनका वजन 510 ग्राम से 645 ग्राम होता है।

आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि श्रीलंका के अलावा यूरोपीय देश फ़्रांस का भी राष्ट्रीय पक्षी मुर्गा ही है। यहाँ गैलिक रूस्टर यानी एक किस्म के जंगली मुर्गे को राष्ट्रीय पक्षी बने गया है।
क्या आप जानते हैं कि पहले अंडा आया या मुर्गी?
आइये इस तथ्य पर आगे बढ़ते हैं और जान लीजिये इस प्रश्न का सही जवाब। आज हम आपको बताएँगे कि आखिर इस सवाल का सही जवाब क्या है ? असल में वैज्ञानिकों ने इस सवाल का सही जवाब ढूंढ लिए हैं।

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी और नानजिंग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने दावा किया है की सबसे पहले धरती पर अंडा नही, बल्कि मुर्गा-मुर्गी आये। इसको लेकर कई तथ्य भी दिए गये हैं। रिसर्चर्स ने रिपोर्ट में दावा है कि हजारों वर्ष पहले मुर्गा-मुर्गी ऐसे नहीं थे जैसे की आज हैं।
हजारों साल पहले ये अंडे नही बल्कि पूर्ण रूप से बच्चे को जन्म देते थे। इसके बाद लगातार इनमें परिवर्तन होता चला गया और पूर्ण रूप से बच्चे को जन्म देने वाले मुर्गे-मुर्गियां की प्रजातियों में अंडे देने की भी क्षमता विकसित हो गई।
इससे साफ तौर पर यह कहा जा सकता है कि पहले अंडा पहले नहीं आया मुर्गा और मुर्गी पहले आए। रिसर्चर्स का कहना है कि बच्चे को जन्म देने की क्षमता का अलग-अलग होना ऐक्सटेडेड एम्ब्रायो रिटेंशन के वजह से होता है।
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चिड़िया, मगरमच्छ और कछुए ऐसे अंडे देते है जिनमें भ्रूण विकल्प भी नहीं होता है, ये बाद में तैयार होते हैं। जबकि कुछ जीव ऐसे होते हैं जो अन्दर से ही भ्रूण विकास के साथ अंडे देते हैं। सांप और छिपकलियाँ अंडे भले ही देते हैं, लेकिन बच्चों को भी जन्म दे सकते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ ब्रिस्टल स्कूल ऑफ़ अर्थ साइंसेज ने अध्ययन का नेतृत्व किया, जिसमें 51 जीवाश्म प्रजातियों और 29 जीवित प्रजातियों को ओविपेरस के रूप में वर्गीकृत किया गया। कठोर या नरम खोल वाले अंडे देना और बच्चे को जन्म देने की जाँच की गई।
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर माइकल बेंटन ने कहा कि एमनियोट्स से पहले, मछली के पंखों से अंगों को विकसित करने वाले टेट्रापोड्स मोटे तौर पर उभरते थे। उन्हें खाने और प्रजनन के लिए पानी में या उसके पास रहना पड़ता था, जैसा कि मेंढक और सैलामैंडर जैसे आधुनिक उभयचरों में होता है।
नानजिंग विश्वविद्यालय और ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा संचालित यह अध्ययन नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुआ है।
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