बकरियों में मदकाल और प्रजनन : Maturation and Reproduction in Goats
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बकरियों में मदकाल और प्रजनन : Maturation and Reproduction in Goats, हमारे देश में आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भूमिहीन मजदूर, लघु एवं सीमांत कृषक अपने परिवार की पोषण तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति प्राचीनकाल से ही बकरीपालन व्यवसाय से करते आ रहे हैं. ऐसे में आवश्यक होता है की बकरीपालन से जुड़ी विभिन्न वैज्ञानिक तकनीकियों की समुचित जानकारी प्राप्त कर उनका उपयोग किया जाये और अधिक से अधिक लाभ कमायें. बकरियों में उत्पादन बनाये रखने के लिये नियमित प्रजनन आवश्यक है. आज आवश्यकता इस बात की है कि बकरी पलकों को प्रजनन से जुड़ी विभिन्न पहलुओं की समुचित जानकारी हो, जिससे बकरियों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सके.

बकरी पालन को सफल बनाने के लिये आवश्यक बिंदु
1 . बकरी कम उम्र में गर्भ धारण कर ले.
2. बकरी प्रति ब्यात अधिकाधिक बच्चे दे.
3. ब्याने के बाद बकरी जल्दी पुनः ग्याब्हीं हो जाये.
4. बकरी अपनी जीवन काल में अधिकाधिक बच्चा पैदा करे.
नोट- बकरियों की प्रजनन क्षमता उम्र के साथ बढ़ती है. एक स्वस्थ बकरी 7-8 वर्ष की आयु तक तथा बकरा 4-7 वर्ष तक जनन क्षमता बनाये रखता है.
बकरियों में प्रजनन
सामान्यतः बकरी 8-12 माह की उम्र में गर्मी में आने लगती है, लेकिन अच्छे दूध उत्पादन वा शारीरिक भार में वृद्धि परिणाम के लिये बकरियों को 15 से 18 माह में ही गर्भित कराना चाहिए तथा इस आयु तक बकरी का वजन 22-25 किलो हो जाना चाहिए. बकरियों में मदकाल लगभग 24-48 घंटे का होता है, बकरियों के गर्मी में आने के 24 से 36 घंटे बाद गर्भित या कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहिए. इस दौरान यदि गर्भ नही ठहरे तो बकरी 18-21 दिन बाद पुनः मदकाल में आ जाति है. बकरी का गर्भकाल 145-151 दिन होता है. सामान्यतः बकरियों को सालभर गर्भित कराया जा सकता है, परंतु प्रजनन के लिये एक समय होना चाहिए जिससे की बच्चे पैदा होने के समय अच्छी चराई उपलब्ध हो तथा बरसात या ज्यादा ठण्ड का मौसम न हो. इससे बकरी का स्वास्थ्य ठीक रहने के साथ-साथ अधिक दूध उत्पादन से बच्चे की शारीरिक वृद्धि ठीक होगी तथा बच्चों में मृत्युदर कम रहेगी. मैदानी इलाकों के बकरी पालकों के लिये बकरियों का प्रजनन हेतु बसंत ऋतु का समय अधिक उपयुक्त होता है.
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बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान
बकरी 8-12 माह के उम्र में कृत्रिम गर्भाधान करने योग्य हो जाता है. लेकिन अच्छे परिणाम के लिये 15-18 माह में कृत्रिम गर्भधान कराना चाहिए. उत्पादन की दृष्टि से उत्तम मादा का चयन उतना ही आवश्यक है जितना की कृत्रिम गर्भाधान या गर्भाधान के लिये नर बकरा का. बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान कराने के लिये जमुनापारी, बीटल, सिरोही, नस्ल की बकरियां 20-26 माह में पहली बार बच्चा दे देती है तथा बारबरी, ब्लैक बंगाल, गंजाम नस्ल अपेक्षाकृत जल्दी 12-15 माह में पहली बार में माँ बन जाती है. बकरियों की उनकी नस्ल के अनुसार आयु तथा वजन प्राप्त कर लेने पर ही कृत्रिम गर्भाधान या गर्भाधान से गाभिन करायें.
बकरियों में गर्मी या मदकाल के लक्षण
बकरियों में यौनारम्भ के पश्चात्, शारीरिक रूप से प्रजनन के लिये परिपक्व हो जाति हैं, तब बकरियों में में निम्नलिखित मद या गर्मी के लक्षण दिखाई देते है.
1 . बकरियों का बेचैन होना तथा दाना चारा कम खाना.
2. बार-बार पेशाब करना तथा पूंछ बार-बार तेजी से हिलाना.
3. झुण्ड की दूसरी मादा बकरियों पर चढ़ना तथा बकरे को इसकी स्वीकृति देना.
4. बकरी की योनी का लाल होकर चिकनी व लसलसी हो जाना.
5. योनी मार्ग से पारदर्शी तरल पदार्थ का गिरना.
बकरियों में गर्भाधान का उचित समय
योनी द्रव्य मदकाल के आरंभ में कम व पतला, मध्यावस्था में अधिक व पारदर्शी तथा अंत में कम व गाढ़ा होने लगता है.बकरियां सामान्यतः 24-48 घंटे तक मदकाल में रहती है तथा इसी सिमित अवधी 24-40 घंटे में कृत्रिम गर्भाधान या प्रजनन योग्य उत्तम नस्ल के बकरे से गर्भाधान कराने पर गर्भधारण करती है. यदि बकरी सायं को मदकाल में आये उसे दुसरे दिन सुबह और शाम को गर्भाधान करायें. सुबह मदकाल में आई बकरी को उसी दिन सायं तथा दुसरे दिन सुबह गाभिन कराएँ. प्रजनन काल में बकरियों पर व्यक्तिगत ध्यान रखें तथा मदकाल का पता करने के लिये एक बकरे के पेट पर कपड़ा बांधकर बकरियों के झुण्ड में रोजाना सुबह-शाम घुमाने पर मदकाल में आयी बकरियों का पता चल जाता है. गर्भाधान के बाद अगर बकरी 18-21 दिन में पुनः मद के लक्षण प्रकट करे तो पुनः ऊपर बताई विधि से गर्भाधान करायें. बकरियां 2-3 हप्ते बाद गर्भधारण नहीं करें तो पुनः मदकाल में आती है अतः इनको पुनः गर्भाधान करायें.
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