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मध्यप्रदेश में बनेंगे पशुओं के लिए 9 गो अभ्यारण्य : Madhya Pradesh Me Banega 9 Gau Abhyaranya

मध्यप्रदेश में बनेंगे पशुओं के लिए 9 गो अभ्यारण्य : Madhya Pradesh Me Banega 9 Gau Abhyaranya, मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार यह वर्ष गोरक्षा वर्ष के रूप में मना रही है. मध्यप्रदेश में निराश्रित गोवंशीय पशुओं की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए गो-अभ्यारण्यों का निर्माण करने का निर्णय लिया गया है.

Madhya Pradesh Me Banega 9 Gau Abhyaranya
Madhya Pradesh Me Banega 9 Gau Abhyaranya
  • गैर सरकारी संगठन को दी जाएगी गो-अभ्यारण्य संचालन की जिम्मेवारी.
  • मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के सालरिया 472 हेक्टेयर क्षेत्र में पहले से ही चल रहा गो-अभ्यारण्य.
  • मध्यप्रदेश में प्रत्येक गो-अभ्यारण्य बनाने का खर्च होगी 18 करोड़ रूपये की राशि.
  • 10 लाख निराश्रित गोवंश है प्रदेश में.
  • 25 हजार तक गोवंश रह सकेंगे गो-अभ्यारण्य में.
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Madhya Pradesh Me Banega 9 Gau Abhyaranya

मध्यप्रदेश के संभागीय मुख्यालय वाले 9 जिलों में निराश्रित गोवंशीय पशुओं की बेहतर देखाभाल के किये गो-अभ्यारण्य बनाये जायेंगे. प्रत्येक अभ्यारण्य के निर्माण में 18 करोड़ रूपये खर्च किये जायेंगे. इसके संचालन की जिम्मेवारी किसी गैर सरकारी संगठन को दी जाएगी. संगठन आय बढ़ाने के लिए वहां कुछ दुधारू गायों को भी रख सकेगा.

यह गोरक्षा वर्ष है

मध्यप्रदेश की राज्य सरकार इस वर्ष को गोरक्षा वर्ष के रूप में मना रही है, इसी कड़ी में यह निर्णय लिया गया है. अभ्यारण्य निर्माण की योजना की मंजूरी के लिए शीघ्र कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जायेगा. अभ्यारण्य ऐसी जगह पर बांये जायेंगे, जहाँ गोवंशीय पशुओं को दिन में चरने के लिए छोड़ा जा सके.

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मध्यप्रदेश मे लगभग 10 लाख निराश्रित गौवंश

पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा के अनुसार मध्यप्रदेश में लगभग 10 लाख निराश्रित गौवंशीय पशु है, जिसमें तीन लाख गोशालाओं में और बाकी खुले में हैं. निराश्रित होने के कारण गोवंशीय पशु राजमार्गों में दुर्घनाओं का शिकार होते रहते हैं. अभ्यारण्यों में क्षमता अनुसार 5 से 25 हजार तक गौवंशीय पशु रखे जा सकते हैं.बता दें कि अगर मालवा के सलरिया में एक गो-अभ्यारण्य पहले से संचालित है, जो 472 हेक्टेयर क्षेत्र में बना हुआ है. इसे भी विस्तारित करने की योजना है.

गौशालाओं से इस तरह अलग होंगे गो-अभ्यारण्य

गौशालाओं में गायों को चरने की सुविधा नहीं रहती है. जबकि अभ्यारण्य ऐसी जगह बनाये जाएँगे, वन में गाय घास चरने के लिए जा सकेंगी. इस क्षेत्र को किसी तरह की फेसिंग से सुरक्षित किया जायेगा, जिससे गौ वंश बाहर न जा सके और न ही उन्हें जंगली जानवरों से खतरा रहे. गोशालाओं में उन गायों को रखा जाता है जो दूध नहीं दे रही है, परन्तु गो-अभ्यारण्य में दुधारू गायों को भी रखा जा सकेगा.

यहाँ अभ्यारण्य बनाने का प्रस्ताव

मध्यप्रदेश के टीकमगढ में चरपुरा मंदसौर में मोरखेड़ा, पन्ना में शिकारपुरा, अशोक नगर में नडेर, रायसेन में चिखलौद कला, खरगोन में ओखला, सतना में पड़मनिया जागीर, जबलपुर में देहरीकलां या देहरीखुर्द और सागर में देवल गो-अभ्यारण्य प्रस्तावित है.

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