लीवर फ्लू और डकहा रोग के पशुओं में लक्षण : Liver flue Aur Galghotu Bimari Ka Upchar
लीवर फ्लू और डकहा रोग के पशुओं में लक्षण : Liver flue Aur Galghotu Bimari Ka Upchar, अधिकांश पशुपालक किसान पशुओं को चराकर लाने के बाद उनका दूध निकालते हैं. इसके बाद उन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. पशुपालक पशुओ को कब कीड़े की दवा देनी चाहिए? और कौन सी दवा देनी चाहिए? इसकी जानकारी नहीं होती है.
कुछ पशुपालक ऐसे भी है कि उनको पशुपालन करते हुए 40-50 वर्ष हो गया है, परन्तु फिर भी उनको अभी तक पशुओं को समयानुसार कौन-कौन सी दवा दी जानी चाहिए पता ही नहीं है.
प्रदेश के श्रमदाता किसान भाई खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन से भी जुड़े हुए हैं, प्रदेश सहित कई राज्यों के पशुपालक किसान भाई पशुओं को चारा न के बराबर देते हैं और पशुओं को चराकर ही उनका पेट भरते हैं. ख़ासकर बाढ़ग्रस्त इलाके में पशुपालक किसानों की निर्भरता भी चराने पर ही देखने के लिए आपको मिल जाएगी. हालाकि वर्तमान समय में पशुपालन के बढ़ते दायरे के साथ किसान भाइयों को कई जानकारियों की भी जरुरत पड़ने लाही है.
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इससे पशुओं का पालन ठीक तरीके से हो और पशुपालकों को पूरा मुनाफा मिल सके, इसके लिए जरुरी है किसान भाइयों को पशुओं का ख्याल सही तरीके से रखना. पशुपालक किसानों के लिए pashudhankhabar.com पर हर रोज पशुपालन से जुड़ी कई लाभकारी जानकारियाँ लेकर आते हैं. आज की कहानी में हम पशुओं के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी पशु विज्ञान एक्सपर्ट के माध्यम से देते हैं.
पशुओं में होती है लीवरफ्लू
अधिकांश पशुपालक किसान अपने पशुओं को चराने के लिए खुले मैदान या जंगल में छोड़ देते हैं. जिससे पशु चराने के लिए दूर-दूर तक सफ़र तय करता है. लीवरफ्लू की बात करें तो पशु के तालाब में पानी पीने से ऐसी बीमारी होती है. इस बीमारी के प्रकोप हो जाने से पशु कम खाना खाते हैं, अक्सर बीमार रहते हैं और निचला जबड़ा फुला हुआ होता है. किसान बताते हैं कि इस बीमारी में डॉक्टर्स से उपचार कराने में काफी महंगा ईलाज होता है. इस बीमारी को किसान कई नामों से जानते है. जैसे गलघोंटू, मुंहपका, लीवरफ्लू, डकहा रोग आदि.
इसका ईलाज है बहुत ही सस्ता
कृषि विज्ञान केंद्र के पशु विज्ञान पदाधिकारी ने बताया कि ऐसे लक्षण दिखने पर किसान भाइयों को नहीं घबराना चाहिए. यह बीमारी पशुओं में सही समय में पेट की कीड़ा की दवा नहीं देने की वजह से होता है. इसलिए पशुओं को पेट के कीड़े की दवा सही समय पर देना चाहिए.
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उपचार
Triclabendazole 10 Mg प्रति किलो बॉडी वेट सिर्फ पशुओं को देना है. यह रोग 10 दिनों में ठीक हो सकता है. पशुओं के पुरे उपचार में आपको महज 500 रूपये तक ही खर्च होता है. पशुओं को प्रत्येक 3 माह के अन्तराल में पेट के कीड़े की दवा देते रहना चाहिए.
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प्रिय पशुप्रेमी और पशुपालक बंधुओं पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें. ऐसे ही पशुपालन, पशुपोषण और प्रबन्धन की जानकारी के लिये आप अपने मोबाईल फोन पर गूगल सर्च बॉक्स में जाकर सीधे मेरे वेबसाइट एड्रेस pashudhankhabar.com का नाम टाइप करके पशुधन से जुड़ी जानकारी एकत्र कर सकते है.
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