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लायरबर्ड इंसानों की नक़ल करने वाली चिड़िया : Human Imitating Bird Lyrebird

लायरबर्ड इंसानों की नक़ल करने वाली चिड़िया : Human Imitating Bird Lyrebird, इंसानों की तरह नकल करने वाली चिड़िया ‘लायरबर्ड’, यह बच्चों के रोने की आवाज ऐसे निकालती है कि कोई भी हो जाएगा हैरान. किसी सुनसान जंगल से गुजरते वक्त बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दे तो चौंकना लाजमी है. लेकिन यह काम एक चिड़िया कर सकती है यह आश्चर्य कि बात होगी. ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित तारोंगा जू में एक ऐसी ही चिड़िया देखी गई है जो इंसानों की नकल करती है. यह हूबहू बच्चे की आवाज में रोने की नकल करती है. इसे लायरबर्ड इको कहते हैं. इंसानी आवाज की नकल करने के कारण इसे नकलची चिड़िया भी कहा जाता है.

Human Imitating Bird Lyrebird
Human Imitating Bird Lyrebird

कार के इंजन की आवाज भी निकाल सकती है

ऑस्ट्रेलिया के तारोंगा चिड़ियाघर ने लायरबर्ड का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है. ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम के मुताबिक, लायरबर्ड आवाजों की नकल करने में एक्सपर्ट होती है. यह आसपास लकड़ी काटने वाली मशीन, कार का इंजन, जानवरों की आवाज की भी नकल कर सकती है.

प्रजनन से पहले भी निकालते हैं आवाज

चिड़ियाघर प्रशासन का कहना है, कभी-कभी ये ऐसी आवाजें निकालती है कि यहां के कर्मचारी घबरा जाते हैं. नेशनल ऑउडुबॉन सोसाइटी का कहना है, नर लायरबर्ड कई बार प्रजजन के लिए आवाजें निकालता है. जब नर लायरबर्ड मादा के साथ सम्बंध बनाना चाहता है तो जोर से तरह-तरह की आवाजें निकालता है. इनके बीच प्रजनन आमतौर पर जून से अगस्त के बीच होता है. इस दौरान यह 4-4 घंटे तक गाता है.

आवाज से अपनी सुरक्षा भी करती है

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है, जब भी इस पक्षी को किसी तरह का खतरा होता है तो ये समूहों में रहने वाले पक्षियों की आवाजें निकालकर यह दर्शाता है कि इसके आसपास कई पक्षी हैं.

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वैज्ञानिकों द्वारा 12 करोड़ वर्ष पुरानी चिड़िया की, कि गई खोज

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि 12 करोड़ साल पहले मोर की तरह दिखने वाली चिड़िया अब खोजी गई, यह शरीर से 150 गुना लम्बी पूंछ से नर चिड़िया को रिझाती थी. इसलिए यह एक खास चिड़िया है. इसके मुंह में मौजूद दांत भी इसकी खासियत है. इसके शारीर में कई तरह के पंखों का भी काम्बीनेशन है. वैज्ञानिकों ने 12 करोड़ साल पहले मोर की तरह दिखने वाली चिड़िया की नई प्रजाति की खोजी . इसका नाम युआनचुआविस कॉम्प्सोसोरा है. इस चिड़िया की खोज अमेरिका और चीन के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है.

वैज्ञानिकों का कहना है, इस 12 करोड़ साल पुरानी चिड़िया के अवशेष मिले हैं. अवशेष को देखकर पता चलता है कि इस चिड़िया के पंख और पूंछ इसकी खूबसूरती का अहम हिस्सा रहे हैं. यह अपनी लम्बी पूंछ का इस्तेमाल नर चिड़िया को मेटिंग के लिए आकर्षित करने में करती थी.

चीन के ‘जुरासिक पार्क’ में मिले जीवाश्म
इस चिड़िया के जीवाश्म चीन के उत्तरी-पश्चिमी हिस्से के जहोल बायोटा में मिले हैं. इस हिस्से को चीन का जुरासिक पार्क कहा जाता है. चौंकाने वाली बात है कि जीवाश्म में 12 करोड़ साल पुरानी चिड़िया के पंख साफ देखे जा सकते हैं.

शरीर से 150 गुना लम्बी पूंछ
युआनचुआविस कॉम्प्सोसोरा एक छोटी चिड़िया थी, लेकिन इसकी पूंछ शरीर से 150 गुना लम्बी थी. शोधकर्ताओं का कहना है, चिड़िया की पूंछ इसे पार्टनर ढूंढने में मदद करती थी, लेकिन उड़ने में दिक्कते पैदा करती थी. यह खुले आकाश में उड़ने से बचती थी, क्योंकि शिकारियों के आने पर दूसरी चिड़ियों की तरह यह तेजी से नहीं उड़ पाती थी. चीन के उत्तरी-पश्चिमी हिस्से के जहोल बायोटा में इस चिड़िया के जीवाश्म मिले हैं. जीवाश्म के आधार पर चिड़िया का स्केच तैयार किया गया है.

चीनी पौराणिक कथा की चिड़िया के नाम पर नामकरण
युआनचुआविस कॉम्प्सोसोरा विलुप्त होने वाली चिड़ियों के उस ग्रुप से ताल्लुक रखती है जो उस दौर में भी देखने में मॉडर्न चिड़िया की तरह दिखती थीं. इस चिड़िया के दांत भी हैं जो इसे दूरी चिड़ियों से अलग बनाते थे. इस चिड़िया में दो तरह की पूंछ हैं, एक लम्बी और एक छोटी.। चीन की पौराणिक कथाओं में युआंनचू नाम की एक चिड़िया का जिक्र किया गया है. उसी के नाम पर नई चिड़िया का नाम युआनचुआविस रखा गया. शोधकर्ता और शिकागो फील्ड म्यूजियम के जीवाश्म विशेषज्ञ जिंगमाई ओ’कॉन्नर का कहना है, हमने इतनी तरह के पंखों वाली चिड़िया पहले कभी नहीं देखी. चिड़िया के शरीर के अंतिम हिस्से में छोटे पंख हैं और इसी हिस्से से दो लम्बे पूंछनुमा पंख हैं. ये पंख इसकी सेंट्रल स्पाइन से जुडे हैं.

इसलिए विलुप्त हुई यह चिड़िया
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह चिड़िया खासतौर पर जंगलों में रहना पसंद करती थी. यहां आग फैलने के कारण दुनिया के जंगल तबाह होते गए. नतीजा, धीरे-धीरे इनका ठिकाना छिनने के कारण ये विलुप्त हो गईं.

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